गंगा और कोसी के कटाव से 30 वर्षो से झुगगी-झोपड़ी में रहने को विवश हैं विस्थापित परिवार, इस तरह रतजगा कर कटती है जिंदगी

कटिहार में गंगा और कोसी के कटाव से लोग परेशान हैं। लोग विगत 30 वर्षो से झुग्गी-झोपड़ी में रहने को विवश हैं। इनकी ङ्क्षजदगी नारकीय बन चुकी है। लेकिन अब तक इन लोगों के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकट सका है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 05:00 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 05:00 PM (IST)
गंगा और कोसी के कटाव से 30 वर्षो से झुगगी-झोपड़ी में रहने को विवश हैं विस्थापित परिवार, इस तरह रतजगा कर कटती है जिंदगी
कटिहार में गंगा और कोसी के कटाव से लोग परेशान हैं।

 संवाद सूत्र, कुरसेला (कटिहार)। गंगा व कोसी के भीषण कटाव से मलिनिया गांव के लोग विगत 30 वर्षो से झुग्गी-झोपड़ी में रहने को विवश हैं। इनकी ङ्क्षजदगी नारकीय बन चुकी है। बावजूद इसके आजतक किसी भी सक्षम पदाधिकारी या जनप्रतिनिधियों की नजर इनकी बेवशी पर नहीं गई है। विस्थापन की दंश झेल रहे लोग मजदिया रेलवे ढाला तथा रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क के किनारे झुग्गी-झोपङी बनाकर विगत 30 वर्षों से रहने को विवश हैं। इन विस्थापित परिवार को बरसात के मौसम में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

कटाव ने खुशियों पर फेरा पानी

विस्थापित परिवारों द्वारा दुख-दर्द की कहानी बताते हुए उनकी आंखें नम हो जाती हैं। बताते हैं कि इस गांव में सब कुछ ठीक था। सभी परिवार हंसी-खुशी के साथ रहते थे। सुंदर सड़कें, गांव की चौपाल, त्योहारों की खुशियां व बच्चों के ठहाके से जीवन हंसी-खुशी चल रहा था। लेकिन गंगा व कोसी के भीषण कटाव ने सारी खुशियों पर पानी फेर डाला। जमीन, घर, गांव सब कुछ समाप्त हो गया। पूरा गांव ही सड़क पर आ गया।

गांव के लोग पुराने दिनों को याद कर सिहर उठते हैं। आशियाने की आस में इतने दिन गुजर गए। लेकिन शासन तथा प्रशासन कटाव पीडि़तों को सरकारी छत मुहैया कराने में आज तक विफल रही है। कुरसेला प्रखंड के विस्थापित परिवार लगभग 30 वर्षों से रेलवे लाइन एवं सड़क के किनारे रहने को विवश हैं।

अनगिनत बार लगा चुके हैं दफ्तरों का चक्कर:

विस्थापित परिवारों ने बताया कि लगभग 30 वर्ष पहले गंगा के भीषण कटाव से पूरा मलिनिया गांव नदी में समा गया। तभी से गांव के लोग सड़क तथा रेलवे लाइन के किनारे रहने को विवश हैं। लोगों का कहना है कि शासन एवं प्रशासन से विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने की अनगिनत बार गुहार लगाई गई, लेकिन सब बेअसर रहा। सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। विस्थापित परिवार की धौलिया , गीता देवी, फुदिया देवी, ङ्क्षरकी देवी, रानी देवी, एतवारी राम ने बताया कि गंगा के कटाव में घर सहित उपजाऊ जमीन गंगा में समा गई। लोग बेघर हो गए। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए किसी प्रकार का साधन नहीं है। जिसके कारण हमलोग परिवार सहित खानाबदोश की ङ्क्षजदगी जी रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकार के किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इंदिरा आवास, राशन -किरासन, शौचालय आदि का लाभ नहीं मिल रहा है। चुनाव के समय पंचायत जनप्रतिनिधि से लेकर विधायक, सांसद सिर्फ आश्वासन देते हैं कि समस्या का समाधान चुनाव जीतने के बाद कर दिया जाएगा। लेकिन होता कुछ नहीं है।

सभी विस्थापित परिवारों की सूची जिला कार्यालय को भेज दी गई है। दिशा-निर्देश मिलने पर जल्द ही इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

-अमर कुमार वर्मा, अंचलाधिकारी कुरसेला  

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