सामुदायिक नलकूप योजना से किसानों के खेतों में मुफ्त होगी बोरिंग, जानें कैसे करना है आवेदन?
योजना के तहत पांच किसानों के समूह को लाभ मिलेगा। ढाई हेक्टेयर होनी चाहिए जमीन पर बोरिंग। किसानों को समूह में इस योजना का लभा मिलेगा। इससे सिंचाई को लेकर किसानों की चिंता दूर हो जाएगी। चलिए जानते हैं कि कैसे योजना का लाभ मिलेगा।
संवाद सूत्र, बांका: सिंचाई की समस्या गंभीर होती देख अब सरकार किसानों को समूह में नलकूप देगा। ऐसे में किसानों के खेतों में आसानी से पानी पहुंचे, इसके लिए सरकार सामुदायिक नलकूप योजना चला रही है। इस योजना के तहत पांच किसानों का एक समूह बनाना होगा। इस किसानों के पास एक जगह पर ढाई हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए। इस समूह को विभाग नि:शुल्क बोरिंग कराएगी। इसके साथ ही मिनी स्प्रिंकलर पर 90 फीसद अनुदान मिलेगा।
पहले इस योजना के तहत पांच हेक्टेयर में आठ किसानों के समूह को सामुदायिक नल-कूप योजना का लाभ मिलता था। इसमें काफी परेशानी होती थी। ऐसे में अब सरकार द्वारा इसको कम करके पांच किसानों पर ढाई हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त सिंगल किसान भी मिनी स्प्रिंकलर योजना का लाभ ले सकते हैं। इसपर 90 फीसद अनुदान विभाग मिलेगा। इसके लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करना है।
ऐसे मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग की वेबसाइट के डीबीटी पोर्टल पर आवेदन करना होगा। किसान अपनी पसंद की कंपनी का चयन कर सकते हैं। आवेदन करने के बाद किसानों को रिफरेंस नंबर उनके मोबाइल पर आएगा। जिसे किसानों को सुरक्षित रखना होगा। इसमें किसानों को अनुदान की राशि को घटाकर भुगतान कर सकते हैं।
पानी की होगी बचत
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को पटवन से संबंधित यंत्र लगाने के लिए 90 फीसद अनुदान मिलेगा। सबसे अधिक पानी की खपत फसलों की सिंचाई में होती है। इस योजना के तहत जरूरत के हिसाब से फसलों को पानी मिलेगी। ड्रिप सिंचाई के तहत खेतों में स्प्रिंकल लगाने के बाद किसान आधुनिक तरीके से खेती कर सकते हैं। सूक्ष्म सिंचाई एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है। इसके द्वारा पौधे की जड़ में पाइप से कम समय में पानी दिया जाता है।
'अब पांच किसान के समूह को भी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ मिलेगा। इसके लिए आनलाइन आवेदन करना होगा। योजना से बोरिंग मुफ्त में की जाएगी। अन्य सामान्य के लिए जीएसटी व दस फीसद किसान का शेयर जमा करना होगा।'- डा. अमृता कुमारी, सहायक निदेशक उद्यान