बिहार के बांका में दुल्हा-दुल्हन के अरमानों को दफन कर गई शराब, मामला जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान
बिहार के बांका में शराबबंदी का असर शादियों पर देखने को मिल रहा है। आदिवासी समाज में शराबबंदी के कारण कई शादियां नहीं हो पा रही हैं। इसी बात को लेकर पांच अप्रैल को बांका जिला के धोरैया कुशाहा गांव एक शादी रुक गई।
जागरण संवाददाता, बांका। शादी का शराब से गहरा नाता रहा है। उसमें भी शादी जब आदिवासी समाज की हो तो यह बिन शराब अधूरी रह जाती है। शादी में उसके देवता भी बिन शराब नहीं मानते हैं। मगर बिहार की शराबबंदी इस समाज की शादी में खलल डाल रही है। बांका के कुशाहा की एक शादी में बंद डब्बे की शराब से ही हंगामा खड़ा हो गया है। बिना शराब पीये ही शादी कराने वाला ग्राम प्रधान पांच लीटर शराब का डब्बा रखने के जुर्म में गिरफ्तार हो गया। इसके बाद शादी की वैधानिकता पर भी संकट छा गया है।
पांच अप्रैल को बांका जिला के धोरैया कुशाहा गांव केे ग्राम प्रधान गोपाल सोरेन को शराब के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इसी दिन गांव में रसिकलाल मुर्मू की बेटी बासमती मुर्मू की शादी होनी थी। दुल्हा बौंसी शेाभापाथर का अरविंद मरांडी बारात में दो सौ लोग लेकर समय पर कुशाहा पहुंच गया। शादी से पहले ही प्रधान की गिरफ्तारी से शादी रूक गई। लड़की के परिवार और ग्रामीणों का कहना है कि पांच लीटर देसी शराब शादी की रस्म के लिए रखा गया था। इसके बाद पुलिस ने शराब रखने के आरोप में प्रधान को गिरफ्तार कर लिया।
प्रधान की गिरफ्तारी बिना शादी ही छह अप्रैल को दूल्हा दूल्हन को लेकर अपने गांव जिले के बौंसी प्रखंड के शोभापाथर लौट आया। पर आदिवासी नियमों का हवाला देकर बिन शादी दुल्हा-दुल्हन को गांव में प्रवेश नहीं मिला। इससे दुल्हा-दुल्हन के अरमानों पर ही पानी फिर गया। इसके बाद लड़का के गांव वालों ने इसके लिए इसका एक उपाय निकाला और दूसरे दिन छह अप्रैल को लड़का के घर पर ही वहां के प्रधान मांझीराम की मौजूदगी में दोनों की शादी करायी। इसके बाद दोनों को घर में प्रवेश मिला। शादी होने के बाद दो दिनों से शादी का बांकी रस्म पूरा किया जा रहा है। दहेज में ट्रंक और गोदरेज दिया गया। जबकि आदिवासी महिलाओं ने मांदर की थाप पर नृत्य कर वर -वधु का स्वागत किया।
बोले मंच अध्यक्ष
आदिवासी समाज की शादी में ग्राम प्रधान की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी प्रधान की अनुपस्थिति में शादी रूक जाएगी। शादी की रस्म को प्रमाणिक और जोग मांझी पूरी कराते हैं। कुशाहा में ग्रामीणों ने अगर ऐसा नहीं किया तो इसका मतलब वे पुलिस पर प्रधान को छुड़ाने का दवाब बना रहे थे।
देवनारायण मरांडी, अध्यक्ष, आदिवासी सांस्कृतिक मंच
बोले प्रमुख
बासमती मुर्मू और अरविंद मरांडी की शादी हो गई है। कुछ रस्में लड़की के घर कुशाहा में हुआ। बांकी रस्में शोभापाथर लड़के के घर में पूरी कर ली गई है। लड़के के गांव में गुरूवार को भी शादी का जश्न मनाया गया है। शादी में शराब की कहीं कोई बाधा नहीं है।
बाबूराम बास्की, प्रखंड प्रमुख सह लड़का का फूफा
बोले लड़की के पिता
हमारे समाज में प्रधान की मौजूदगी के बिना शादी मान्य नहीं है। हम जब तक अपने प्रधान की मौजूदगी में शादी नहीं कराएंगे तब तक शादी को नहीं मानेंगे। गरीब परिवार का होने के कारण अब बारात को ज्यादा दिन नहीं रख सकते थे। इसलिए हमने लड़की और लड़के को बारात के साथ दुसरे दिन विदा कर दिया है।
रसिकलाल मुर्मू, लड़की के पिता
आदिवासी समाज में इस तरह से होती शादियां
आदिवासी समाज में शादी करने की कई रस्में हैं। लड़का एवं लड़का के राजी होने पर भी दोनों एक साथ रहने लगते हैं। इसके अलावा किसी लड़के को कोई लड़की पसंद होने पर उसे साथ रखने लगते हैं। वैसे, यह सब प्रथा अब समाप्ति की ओर है। प्रधान द्वारा ही शादी कराने का अधिक प्रचलन है।
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पांच लीटर शराब बरामदगी मामले में प्रधान गोपाल सोरेन की गिरफ्तारी हुई है। आरोपित पर धारा 30 ए -बिहार उत्पाद संशोधित अधिनियम 2018 के तहत केस किया गया है। जमानत के लिए फाइल करने पर दो से तीन दिनों में बेल मिल सकता है।
महेश्वर राय, थानाध्यक्ष, धौरैया