मूसलाधार बारिश से उलाई नदी उफान पर, कई गांवों का संपर्क शहर से टूटा, पुल नहीं बनने से बढ़ी परेशानी

झाझा में भारी बारिश के बाद उलाई नदी का जलस्‍तर बढ़ गया है। इससे कई गांवों का संपर्क शहर से टूट गया है। सबसे अधिक परेशानी पुल नहीं बनने से हो रही है। पुल के बन जाने से ये परेशानी नहीं होती।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 04:31 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 04:31 PM (IST)
मूसलाधार बारिश से उलाई नदी उफान पर, कई गांवों का संपर्क शहर से टूटा, पुल नहीं बनने से बढ़ी परेशानी
झाझा में भारी बारिश के बाद उलाई नदी का जलस्‍तर बढ़ गया है।

संवाद सूत्र, झाझा (जमुई)। बलियो गांव के समीप उलाई नदी पर पुल का निर्माण नहीं किया गया है। दो दिनों से मूसलाधार बारिश से उलाई नदी उफान पर है। पुल नहीं रहने के कारण कई गांवों का संपर्क शहर से टूट गया है। ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश है। नवयुवक संघ के संयोजक गौरव ङ्क्षसह राठौर ने बताया कि बलियो पुल का निर्माण ना होना बहुत दुखद है। इसके लिए हमलोगों ने अपने स्तर से जनप्रतिनधियों को जगाने का प्रयास किया।

जनप्रतिनिधि नहीं देते हैं इस पर ध्‍यान   

बाबजूद जनप्रतिनिधियों के कान पर जू तक नहीं रेंगा।उलाई नदी में पानी आने पर छात्रों की पढ़ाई बंद है। गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए अस्पताल आने के लिए कई गांव घुमकर पहुंचना पड़ता है। इससे लोगों को कापुी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोगों ने इसकी शिकायत अब तक कई बार की है। पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। लोगों ने जनप्रतिनिधियों पर भी उदासीनता का आरोप लगाया है।

गर्भवती महिलाओं की बढ़ जाती हैं मुश्किलें

पुल नहीं रहने से बलियो, कोडवाडीह, सीमरासोत, तेतरीया, बंदरचुआ, इस्लामनगर आदि कई गांव प्रभावित है। गांव के भूषण शर्मा, छोटू वर्णवाल, रोहित मांझी, नसीम खान, ङ्क्षपटू यादव, अंशू वर्णवाल आदि ने कहा कि वर्षो से नदी में पुल की मांग कर रहे हैं। नदी में पानी आने पर महिलाओं को काफी परेशानी होती है। रात में कोई बिमार पड़ जाता है तो उसको अस्पताल ले जाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। कई गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के क्रम में बच्चे हो जाते है। कई ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया है। अम्बा गांव के रास्ते लोगों को जिला मुख्यालय एवं अस्पताल जाना पड़ता है। इसमें काफी समय लग जाता है।

मामले की जानकारी नहीं है। नदी में पानी ज्यादा है। कोई भी व्यक्ति अभी नदी नहीं पार करेगा।

दीपेश कुमार, बीडीओ  

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