Drinking Water Crisis in Smart City: मानिक सरकार चौक, तिलकामांझी चौक और सीटीएस मार्ग में जलापूर्ति पाइप की चाबी खराब

सिल्क सिटी भागलपुर के लोग इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। पिछले 18 घंटों से बरारी तिलकामांझी आदमपुर पटलबाबू रोड समेत डेढ़ लाख आबादी को देर शाम जलापूर्ति नहीं हुई। कुछ मोहल्ले में निगम ने टैंकर भेजकर लोगों को पानी उपलब्ध कराया।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 07:50 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 07:50 AM (IST)
Drinking Water Crisis in Smart City: मानिक सरकार चौक, तिलकामांझी चौक और सीटीएस मार्ग में जलापूर्ति पाइप की चाबी खराब
सिल्क सिटी भागलपुर के लोग इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।

 जागरण संवाददाता, भागलपुर। मानिक सरकार चौक पर जलापूर्ति पाइप के चाबी में खराब होने से शहर में 18 घंटे तक बरारी वाटर वक्र्स से आपूर्ति बाधित रही। तिलकामांझी चौक व सीटीएस मार्ग में भी चाबी खराब होने से लोगों को जलसंकट का सामना करना पड़ा। बरारी वाटर वक्र्स से 12 वार्डों में होने वाली की जलापूर्ति को मंगलवार की देर शाम सात बजे से बुधवार की दोपहर तीन बजे तक बंद करना पड़ा। इससे बरारी, तिलकामांझी, आदमपुर, पटलबाबू रोड समेत डेढ़ लाख आबादी को देर शाम जलापूर्ति नहीं हुई। कुछ मोहल्ले में निगम ने टैंकर भेजकर लोगों को पानी उपलब्ध कराया। लेकिन, यह भी लोगों के लिए नाकाफी रहा। दोपहर बाद तीनों स्थान पर चाबी मरम्मत करने के बाद लोगों को जलापूर्ति का लाभ मिल पाया।

प्रदूषित पानी का हो रहा शोधन

गंगा की मुख्य धारा इंटेकवेल और पिपली धाम पंपिंग स्टेशन से तीन किलोमीटर दूर जाने के स्वच्छ पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। नदी में शहर के 80 नालों का पानी जमा हो रहा है। जिसमें मायागंज अस्पताल के नाले का पानी भी धारा में मिल रहा है। जिससे नदी के पानी के प्रदूषित होने की संभावना बनी हुई है। इसके कारण पंपिंग स्टेशन से आपूर्ति होने वाले पानी में झाग की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रत्येक वर्ष नदी में पानी कम होने से चार माह तक निगम को इस तरह की समस्या से जूझना पड़ता है। शहरवासी के सेहत का ख्याल रखने के लिए निगम ने अब तक पानी की गुणवत्ता जांच के लिए लैब नहीं भेजा है।

पहले भी होती रही पानी की किल्लत

भागलपुर में पानी की किल्लत कोई नई बात नहीं है। यहां पर पहले भी पानी की किल्लत होती रही है। लेकिन इस ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर बार केवल थोड़-बहुत काम करा कर छोड़ दिया जाता है। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। वरीय अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं देते हैं।  

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