राजेंद्र बाबा ने पोती को उपहार में दिया था भागलपुर विश्वविद्यालय, तैयार की थी सूत कातकर शारदा की शादी के लिए साड़ी

Dr Rajendra Prasad Birth Anniversary आज देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद की जयंती है। ऐसे में भागलपुर से जुड़े उनके कुछ दिलचस्प किस्से हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल राजेंद्र बाबू की पोती भागलपुर की बहू बनकर आई थीं। वे बाबा के बारे में बताते नहीं थकती...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 11:24 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 04:22 PM (IST)
राजेंद्र बाबा ने पोती को उपहार में दिया था भागलपुर विश्वविद्यालय, तैयार की थी सूत कातकर शारदा की शादी के लिए साड़ी
Dr Rajendra Prasad Birth Anniversary:राजेंद्र बाबू की पोती थी भागलपुर की बहू।

आनलाइन डेस्क, भागलपुर। अंग प्रदेश भागलपुर देश के पहले राष्ट्रपति की राजेंद्र प्रसाद (First President of India Rajendra Prasad) के कई किस्सों को अपने गर्भ में समेटे हुए हैं। ये किस्से बेहद दिलचस्प हैं। इसी वर्ष भागलपुर स्थित आवास में राजेंद्र बाबू की पोती शारदा सहाय (Sharda Sahay) का 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। शहर के प्रमुख कायस्थ परिवार व सूर्य भवन निवासी श्याम कृष्ण सहाय की पत्नी शारदा सहाय राजेंद्र बाबा के कई किस्सों को बयां करती आई थीं। शादी के बाद उपहार में मिला भागलपुर विश्वविद्यालय हो या राष्ट्रपति भवन में गुजारे गए दिन। माने बाबा, अपने परिवार को लेकर कितने सजग रहते थे। शारदा सहाय की इन बातों को सुन भागलपुर ही नहीं बिहार के सभी लोग राजेंद्र बाबू के चलते हुए प्रतिबिंब को अपनी आंखों में बसा लेते हैं।

राजेंद्र बाबू, भागलपुर के लिए तो बाबा हैं। हां उन्हें भुट्टा बहुत पसंद था। इसके साथ ही पुआ भी। जब भी वे घर आते थे तो उनके लिए भुट्टा जरूर बनाया जाता था। घर पर बाबा, हमेशा भोजपुरी में ही बात किया करते थे। संयुक्त परिवार, आजकल कम ही देखने को मिलते हैं। लेकिन राजेंद्र बाबू परिवार को साथ में लेकर चलना भी जानते थे और रिश्तों को निभाना भी। तभी तो बड़े भइया महेन्द्र प्रसाद के पुत्र जनार्दन प्रसाद की दूसरी पुत्री शारदा सहाय अपने राजेंद्र बाबा के किस्से सुनाते नहीं थकती थीं। अब शारदा सहाय भी भागलपुर और इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी हैं। लेकिन उनकी बयां की गईं कहानियां भागलपुर में गूंज रहीं हैं।

(शारदा सहाय- फाइल फोटो) 

राजेंद्र बाबू की पोती थी भागलपुर की बहू

शारदा सहाय से उनके बाबा राजेंद्र बाबू को बहुत लगाव था। यही वजह थी कि जब भागलपुर की बहू बनने जा रहीं शारदा का लगन तय हुआ। तब बाबा ने शारदा के लिए अपने हाथों से सूत कातकर धागा बनाया और उसी सूत से खादी की साड़ी बनवाई। जिसे पहनकर ही शारदा ने शादी की। शारदा ने इसे हमेशा सहेजकर रखा।

शारदा बताती थी बाबा के बारे में 

शारदा सहाय हमेशा राजेंद्र प्रसाद के बारे में बताती थीं। वे कहती थी, 'मेरी शादी 1959 में पटना में हुई थी। उस समय तत्कालीन उपराष्ट्रपति जाकिर हुसैन सहित कई गणमान्य पधारे थे। 1958 में शादी हुई लेकिन 1959 तक राष्ट्रपति भवन में रही। तीन बच्चों के जन्म के बाद भागलपुर विश्वविद्यालय में नामांकन कराया। लेकिन, पारिवारिक जिम्मेदारी के चलते पढ़ाई पूरी कर पायी, न ही परीक्षा दे पाई। हां दिल्ली के रामजस कालेज से राजनीति शात्र में स्नातक जरूर किया था।'

नियमित रूप से गीता पाठ

 शारदा बताती थीं कि घर पर बाबा हमेशा भोजपुरी में बात करते थे। लेकिन कभी राजनीतिक चर्चाएं नहीं हुईं। सुबह उनके साथ सभी बच्चे नियमित रूप से गीता-पाठ किया करते थे। राष्ट्रपति भवन में होने वाले कार्यक्रम में परिवार वालों के लिए अलग से दीर्घा बनाई जाती थी। शारदा शपथ ग्रहण समारोह एवं माउंटवेटन की भारत से विदाई समारोह को याद करते हुए कहती थीं कि उस समय सरोजनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू के साथ थी।

जेपी से भी जुड़ा किस्सा

शारदा सहाय ने बताया था कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती रिश्ते में मौसी लगती थीं। उनके नेतृत्व में पटना में कभी-कभी प्रभात फेरी में जाते थे। इधर, बुआ दादी मानें बाबा की बहन का नाम भी प्रभावती ही था, वह भी बढ़-चढ़कर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेती थीं। इस लिहाज, से लगाव बढ़ गया था।

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