Munger : कोरोना के नाम पर दो से तीन गुणा तक डाक्टरों ने बढ़ा दिया फीस, आइएमए दे रहा यह तर्क
मुंगेर के निजी क्लीनिकों के चिकित्सकों ने फीस 50 से 90 फीसद तक बढ़ा दी है। ऐसे में आम से खास लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय शहर में छोटे-बड़े मिलाकर तकरीबन 90 फीसद क्लीनिक चालू है।
जागरण संवाददाता, मुंगेर। कोरोना की दूसरी लहर से शहर के लोग अभी पूरी तरह से निकल भी नहीं पाए हैं कि अब धरती के भगवान ने फीस बढ़ाकर लोगों को लाचार कर दिया है। दो माह के अंदर शहर के निजी क्लीनिकों के चिकित्सकों ने फीस 50 से 90 फीसद तक बढ़ा दी है। ऐसे में आम से खास लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कल तक जहां चार सौ रुपये में इलाज होता था, अब वह आठ सौ से एक हजार रुपये तक देना पड़ रहा है। इस समय शहर में छोटे-बड़े मिलाकर तकरीबन 90 फीसद क्लीनिक चालू है। लाकडाउन से पहले यहां जितने मरीज आते थे, उसकी तुलना में मरीजों की संख्या में कमी आई है। इसलिए भी फीस बढ़ाने का हवाला दिया जा रहा है। बढ़ी फीस की वजह से मरीज वैसे डाक्टर के पास जाना चाह रहे हैं, जिनकी फीस कम है। ऐसे डाक्टरों की जानकारी कंपाउंडर से लेते हैं। जिन चिकित्सकों की फीस सामान्य दिनों में सात सौ रुपये और इमरजेंसी के नाम पर 12 सौ रुपये तक है। उसी तरह कोरोना की दूसरी लहर से पहले जिनकी फीस चार सौ थी वह सात से आठ कर दिए हैं।
प्वाइंटर्स
-50 से 90 फीसद बढ़ गए फीस
-02 माह के अंदर हुआ इजाफा
-07 सौ कमसे कम रखा गया है फीस
-90 से छोटे-बड़े क्लीनिकों की संख्या
फीस में ही कोरोना किट का खर्च अटैच
जिन डाक्टरों ने फीस बढ़ाई है। वह कोरोना से सुरक्षा का हवाना दे रहे हैं। कुछ डाक्टरों ने चुपके से फीस बढ़ा दी है। इसका सीधा असर उन मरीजों पर पड़ रहा है जिनकी कमाई लगभग ठप है। पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट, सैनिटाइजर और मास्क की राशि फीस में ही शामिल की गई है। कुल मिलाकर फीस में ही कोरोना किट के खर्च को अटैच कर दिया है।
10 वर्षों में इतना नहीं हुआ महंगा
फीस वृद्धि पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं है। अब तक 10 वर्षाें में इतना फीस महंगा नहीं हुआ है। मुंगेर के निजी क्लीनिकों में हर दिन चार से एक हजार से 16 सौ के बीच मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। इसमें से कई ऐसे भी मरीज होते हैं जिन्हें के पास फीस के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। ऐसेे में यह मरीज लाचार होकर बिना इलाज कराए लौट जाते हैं।
केस स्टडी-एक
-लखीसराय का मरीज रितेश कुमार शहर के प्रसिद्ध फिजिशियन से इलाज कराने के लिए मुंगेर पहुंचा। मरीज के साथ आए स्वजनों को फीस बढऩे की जानकारी नहीं थी। उन्होंने नंबर लगा रहे कंपाउंडर को पुराना फीस चार सौ रुपये बढ़ाए। कंपाउंडर ने साफ कहा कि साहब का फीस बढ़ गया है। 12 सौ रुपये लगेगा। अंत में मरीज वहां से दूसरी जगह दिखाने चला गया।
केस स्टडी-दो
-जमालपुर की जयंती देवी लीवर का इलाज कराने के लिए बुधवार को मुंगेर पहुंची। पहले तो कंपाउंडर ने मास्क और सैनिटाइजर लाने को कहा। इसके बाद जब महिला ने पहले का निर्धारित फीस सात सौ रुपये दिए तो कंपाउंडर ने डेढ़ हजार जमा करने को कहा। महिला इसके बाद सदर अस्प्ताल चली गई। इनका कहना था कि चिकित्सक मनमानी कर रहे हैं।
कोरोना के बाद चिकित्सक पीपीई किट, ग्लब्स,मास्क पहनकर इलाज करते हैं। मरीजों के लिए क्लीनिक में सैनिटाइजर की व्यवस्था है। ऐसे में कुछ फीस में इजाफा हुआ है।
-डा. रंजीत कुमार, आइएमए, जिला सचिव।
-कोरेाना काल में कम से कम मरीजों को देखना है। इस दौरान सेनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट का खर्च आता है। परेशन के दौरान तीन से चार बार किट बदलना पड़ता है। एक किट की कीमत तीन से चार है। डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दाम के कारण भी जांच और फीस बढ़ा है। फीस निर्धारिण के लिए आइएमए के पास कोई गाइडलाइन नहीं है। -डा. देव प्रसून, अध्यक्ष आइएमए।