Flooding in Kosi: डायवर्सन टूटा, कटिहार-गेड़ाबाड़ी पथ पर आवागमन बाधित, जिला मुख्यालय जाने के लिए करनी होगी 15 किमी अतिरिक्त यात्रा
विवार की दोपहर से वाहनों का आवागमन ठप हो गया है। ऐसे में गेड़ाबाड़ी व कटिहार के बीच दस से 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय लोगों को आवगमन करना पड़ रहा है। बताया गया कि पानी के अत्यधिक दबाब के कारण यह डायवर्सन टूट गया।
कटिहार, जेएनएन। कटिहार को गेड़ाबाड़ी से जोडऩे वाली अति महत्वपूर्ण एनएच 81 पर तीनपनिया के समीप मौजूद डायवर्सन पानी के अत्यधिक दबाब के कारण टूट गया। इससे पथ पर रविवार की दोपहर से वाहनों का आवागमन ठप हो गया है। ऐसे में गेड़ाबाड़ी व कटिहार के बीच दस से 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय लोगों को आवगमन करना पड़ रहा है। इससे कई प्रखंडों के लोग प्रभावित हुए हैं।
घटना की सूचना पर कोढ़ा अंचलाधिकारी व थानाध्यक्ष तत्काल मौके पर पहुंच गए। डायवर्सन के मरम्मत के लिए प्रशासनिक स्तर से कार्य शुरु कर दिया गया है। सोमवार देर शाम या फिर मंगलवार की सुबह तक पथ पर आवागमन बहाल होने की संभावना है। बता दें कि लगातार एक सप्ताह से जारी बारिश के कारण कारी कोशी नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। तीनपनिया के समीप चल रहे पुल निर्माण को लेकर यहां डायवर्सन के सहारे आवागमन हो रहा था। पानी के लगातार दबाब के कारण डायवर्सन में जलनिकासी की व्यवस्था फेल हो गई और डायवर्सन टूट गया।
वैकल्पिक रास्ते से चल रहे वाहन
कटिहार से आने वाला वाहन दिघरी से ग्रामीण सड़क होकर पर चेथरियापीर राष्ट्रीय राज्य मार्ग 31 पर पहुंच रहा है। वहीं गेडाबाडी से कटिहार जाने वाली सभी वाहन खेरिया मवेशी हॉट से ग्रामीण सड़क होकर दिघरी होकर कोलासी पहुंच रहा है। इस चलते दस से 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है।
जलनिकासी के लिए लगाया जा रहा उपयुक्त पाई
अंचल पदाधिकारी मनोज बर्णवाल ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी द्वारा डायवर्सन में जेसीबी से होम पाइप लगाया जा रहा है। यह पाइप पानी के दबाब में भी कारगर होगा। थानाध्यक्ष रवींद्र कुमार ने कहा कि डायवर्सन स्थल पर निगरानी के लिए पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है।
कटिहार-पूर्णिया पथ का पहले से है बुरा हाल
बता दें कि कटिहार-गेड़ाबाड़ी मार्ग का बेहतर विकल्प कटिहार-पूर्णिया पथ है। खासकर बड़े यात्री वाहनों व ट्रकों के लिए यह बेहतर विकल् है। फिलहाल कटिहार-पूर्णिया पथ की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। खासकर कटिहार से रौतारा तक पथ का नामोनिशान ही नहीं बचा है। बड़े-बड़े गडढे हो जाने व उसमें पानी भर जाने से छोटे वाहनों का परिचालन भी इस पथ पर मुश्किल हो गया है।