Tarkishore Prasad reached Bhagalpur: डीप्‍टी सीएम सर, आप भागलपुर में है, कृपया इस ओर भी ध्‍यान दीजिएगा...

भागलपुर में उपमुख्‍यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का जमकर स्‍वागत हो रहा है। वे कल ही भागलपुर आ गए हैं। आज भर यहां रुकेंगे। आइए... हम उनके नजर में भागलपुर की समस्‍याओं और योजनाओं के क्रियान्‍वयन की जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 10:45 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 10:45 AM (IST)
Tarkishore Prasad reached Bhagalpur: डीप्‍टी सीएम सर, आप भागलपुर में है, कृपया इस ओर भी ध्‍यान दीजिएगा...
भागलपुर के परिसदन में प्रेस कॉफेंस करते उपमुख्‍यमंत्री तारकिशोर प्रसाद।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर में उपमुख्‍यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का आगमन हो चुका है। कल ही आए हैं। आज यहां रुकेंगे। कई योजनाओं का शिलान्‍यास और उद्घाटन करेंगे। बैठकें होगी। साथ ही कई जगह जाएंगे भी। सुल्‍तानगंज में भी उनका कार्यक्रम है।

जल जीवन हरियाली योजना

शहर में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली को नगर निगम प्रशासन पलीता लगा रहा है। निगम का कंपनीबाग मोहल्ले में एक मात्र तालाब है। 18 लाख रुपये की निविदा होने के बाद भी सुंदरीकरण का कार्य नहीं हुआ। कंपनीबाग तालाब का क्षेत्रफल करीब सात बीघे का है। पर अतिक्रमण के कारण वह तीन बीघे का भी नहीं बचा है। लिहाजा, संवेदक ने जीर्णोद्धार का कार्य बंद कर रखा है। यहां से अतिक्रमण हटाने की सिर्फ कागजी कवायद चल रही है। जगदीशपुर सीओ को अतिक्रमण हटाने के लिए निगम ने कई बार पत्र भेजा। बावजूद इसके सकारात्मक पहल नहीं हुआ। शहर में चापाकल, प्याऊ, कुंआ आदि के पास वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण की रफ्तार भी थम सी गई है।

अतिक्रमण से कराह रहा शहर, जाम से जूझ रहे लोग

नगर निगम को सरकार ने भले ही अतिक्रमण व अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दे रखा हो, पर कार्रवाई नहीं के बराबर होती है। निगम की मंसूरगंज, पीपरपांती, कौवाकोली, इंदिरा कालोनी, दाउदवाट, बबरगंज में जमीन पर अवैध कब्जा है। इसे खाली तक कराने का प्रयास नहीं हुआ। अभियान चलाया गया पर सिर्फ दिखावे के लिए।  नतीजा खलीफाबाग चौक, बाजार, स्टेशन चौक, कोतवाली हो या शहर के अन्य प्रमुख चौराहे। अतिक्रमण ने शहर को बदसूरत बनाकर रख दिया है। कहीं सड़क किनारे बसे लोगों ने अपने भवन आगे बढ़ाकर बना लिए हैं तो कहीं फुटपाथ पर लगने वाली चाय-पान और फलों की दुकानों ने सड़क को संकरा बना दिया है। शहर में वाहनों की पार्किंग व्यवस्था न होने से यहां के फुटपाथ पार्किंग बन गए हैं। शहर की मुख्य सड़कें ही नहीं मोहल्ले के अंदर की गलियों में भी अतिक्रमण है। किसी ने बढ़ाकर मकान बना लिया है तो किसी ने अपने घर की चहारदीवारी बढ़ा कर बना ली। कई लोगों ने तो गैराज सड़क तक बना लिए हैं। जिन गलियों में कभी बस आसानी से निकल जाती थी वहां आज कार तक निकलना मुश्किल है। नाले-नालियों पर अतिक्रमणकारी काबिज हैं। इसकी वजह से नालियों को साफ करने में भी दिक्कत होती है। नालियां साफ करने में दिक्कत आ रही है।

सम्राट अशोक भवन के निर्माण की मियाद पूरी पर कार्य अधूरा

निगम परिसर में 2018 में 93 लाख की लागत से सम्राट अशोक भवन का निर्माण शुरू हुआ था। पिछले वर्ष निर्माण कार्य की मियाद समाप्त होने के बावजूद भवन अद्र्धनिर्मित है। निगम परिसर में तीन वर्षों में पार्षद कक्ष भवन का भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। सम्राट अशोक भवन के निर्माण पर 1.18 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। उसमें से 93 लाख रुपये भवन के निर्माण पर एवं शेष राशि सौंदर्यीकरण व अन्य सामग्रियों पर खर्च किए जाएंगे। दो मंजिला भवन में एक बड़ा सभागार, कमरा और शौचालय का निर्माण किया जाना है। 86 पिलर पर भवन की बुनियाद खड़ी हुई है। अब तक ग्राउंड फ्लोर का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है। प्लास्टर व शौचालय का कार्य किया जा रहा है, जबकि हॉल में मंच का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। प्रथम तल पर दो कमरे व शौचालय आदि का कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ। भवन के ग्राउंड फ्लोर में पोर्टिको का निर्माण नहीं कराया गया।

नाथनगर वेंडिंग जोन पर 73 लाख खर्च, फिर भी पड़ा हुआ है वीरान

नाथनगर के कर्णगढ़ में शहर का पहला वेंडिंग जोन 75.97 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार है। 20 फरवरी को लोकायुक्त के आदेश पर निगम ने लॉटरी के माध्यम से फुटकर विक्रेताओं के बीच दुकानें आवंटित कर दी। वेंडिंग जोन में 143 दुकानों का निर्माण कराया गया है। 28 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से इसका उद्घाटन किया। लेकिन निगम की जल्दबाजी और आवंटन की गलत नीति की वजह से शहर का पहला मॉडल वेंडिंग जोन वीरान पड़ा है। दरअसल, लोकायुक्त की फटकार के बाद नगर निगम ने 74 के करीब दुकान लॉटरी के माध्यम से आवंटित कर दी। दुकानदारों ने दुकान आवंटन नीति का विरोध किया। दूसरी ओर, शहर के 67 स्थानों पर अस्थायी वेंडिंग जोन पर फुटकर विक्रेताओं को व्यवस्थित नहीं किया जा सका है।

सरकार की योजना पर पलीता लगा रहा निगम, सफाई व्यवस्था बेपटरी

शहर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के साथ-साथ सरकार ने भी सख्त निर्देश दे रखा है। निगम को सालिड वेस्ट मैनेजमेंट 2016 की नियमावली पर कार्य करना है। बावजूद अब तक न तो घर-घर कूड़ेदान का वितरण हुआ, ना ही डंपिंग ग्राउंड में प्रोसेसिंग प्लांट लगा। आउट सोर्सिंग से शहर की सफाई व्यवस्था पर कोई कार्य नहीं हुआ। वार्डों में कूड़ा उठाव को कूड़ेदान, ठेला व झाडू तक का अभाव है। सफाई संसाधन खरीदारी में हाइवा, पाकलेन, ऑटो टीपर, ठेला चार वर्ष में भी खरीदारी नहीं हो पाई। जैविक खाद पीट की दिशा में भी कारगर पहल नहीं हुई। शहर में 75 हजार घरों के लिए 1.5 लाख कूड़ेदान दिया जाना है। लेकिन कार्य नहीं हुआ। आबादी के अनुरूप मजदूर और संसाधन देने की योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। ताकि यहां से गीले और सूखे कूड़े को अलग करने के बाद प्रोसेसिंग के लिए भेजा जाना था। शहर के 51 वार्ड के गीले कूड़े से जैविक खाद तैयार करने को 17 स्थानों पर पीट का निर्माण होना था। प्रत्येक तीन वार्ड पर एक जैविक खाद पीट का निर्माण तीन हजार वर्ग फीट में होना था। लेकिन मॉडल उपलब्ध कराए जाने के बाद भी कार्य नहीं हुआ। सुविधा के अभाव में मोहल्ले कूड़े से बजबजा रहे हैं।

कनकैथी में मिला डंपिंग ग्रउंड पर व्यवस्था नहीं हुई दुरुस्त

नगर निगम को कूड़ा निस्तारण के लिए जगदीशपुर के कनकैथी में जमीन दी गई है। पहले 4.7 एकड़ और बाद में पांच एकड़ जमीन मिल गई है। पर यहां प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित नहीं हो पाया है। तीन वर्षों में डंपिंग ग्राउंड तक आवागमन की सुविधा तक दुरुस्त नहीं हो पाई। नतीजा यहां शहर का कूड़ा नहीं पहुंच रहा। कर्मचारियों को शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में जहां मन करता है वहां कूड़ा गिरा देते हैं। विभाग ने निगम को कूड़ा डंपिंग और प्रोसेसिंग प्लांट के लिए 10 एकड़ जमीन अलग से लीज पर खरीदारी का निर्देश दिया, पर वह फाइलों में रह गया।

आवंटन मिला नहीं, 20 करोड़ की योजनाओं की जारी कर दी निविदा

शहर में विकास कार्य से संबंधित नगर निगम की ओर से 90 करोड़ की 444 योजनाओं की निविदा कर दी है। पर, विभाग से आवंटन की कमी के कारण करीब 20 करोड़ की योजना अधर में फंस गई है। मुख्यमंत्री शहरी कच्ची नली गली योजना की करीब 161 योजनाओं का कार्य उक्त राशि से होना है। नगर निगम ने वर्ष 2019 में निविदा करने में जल्दबाजी कर दी। लिहाजा, निगम प्रशासन अब तक एग्रीमेंट भी नहीं कर पाया है। अब विभाग से आवंटन की आस लगाए बैठे हैं। राशि के अभाव में विकास कार्य पर ब्रेक लग गया है। निविदा के बाद कार्य कराने को लेकर निगम प्रशासन का दम फूल रहा है। पार्षदों का कार्यकाल पूरा होने में आठ माह शेष बचे है। पार्षद निगम प्रशासन पर निविदा का एग्रीमेंट पूरा करने का दवाब बना रहे हैं। दरअसल, निगम प्रशासन का दावा है कि विभाग ने दो वर्ष पहले आदेश जारी कर मुख्यमंत्री शहरी नली गली योजना का चार गुणा निविदा करने का निर्देश दिया था। साथ में यह भी कहा गया कि समय-समय पर आवंटन जारी होता रहेगा। तत्कालीन नगर आयुक्त ने निर्देश के आलोक में निविदा कर दी। नतीजा, एक चौथाई योजना फाइलों में धूल फांक रही है।

इन महत्वपूर्ण योजना को आवंटन का इंतजार

विभाग से आवंटन मिलने के इंतजार में डिक्शन मार्ग में 45 लाख रुपये की लागत से दूसरे चरण का नाला निर्माण का कार्य अधर में है। हाउसिंग बोर्ड परिसर में 32 लाख की योजना से नाला निर्माण, सराय के लाल खां दरगाह लेन में दो चरणों में 98 लाख रुपये की लागत से सड़क निर्माण, वार्ड 51 में 43 लाख रुपये की लागत से नाला निर्माण का कार्य बाधित है। वार्ड 21 में शुक्ल टोला में 38 लाख रुपये से नाला, वार्ड 44 में 42 लाख रुपये की लागत से नाला और वार्ड 42 में 45 लाख रुपये की लागत से नाला निर्माण आदि कार्य प्रभावित है।

मेयर सीमा साहा ने कहा कि नगर विकास व आवास मंत्री को योजनाओं की समीक्षा के दौरान आवंटन की समस्या से अवगत कराया जाएगा। शहर के विकास कार्यों को लेकर प्रस्ताव भी दूंगी। शहर के विकास कार्यों को लेकर कई एजेंडे पर चर्चा होगी।

भोलानाथ अंडरपास पर फ्लाइओवर निर्माण की जनता लगा बैठी है आस

भोलानाथ अंडरपास व ईशाकचक मार्ग से लेकर बौंसी रेलवे अंडरपास में जलजमाव के बीच शहर के दक्षिणी क्षेत्र के लोगों को जद्दोजहद करना पड़ रहा है। इससे न सिर्फ शहर का विकास थम गया है बल्कि जनप्रतिनिधियों का आश्वासन सुनते-सुनते जनता ऊब चकी है। राजनीतिक दलों के चुनावी मेनिफेस्टो में भोलानाथ पुल में जलजमाव का निदान सुर्खियों में रहता है। पर चुनाव बाद कोई कुछ नहीं करता। आवंटन के अभाव में योजना पर कार्य नहीं हुआ। जबकि रेल प्रशासन ने डीपीआर की मंजूरी तक दे दी। दरअसल, हल्की बारिश होने पर भी दक्षिणी क्षेत्र मुख्य शहर से कट जाता है। अंडरपास के जलजमाव में गाड़ी खराब हो जाती है। कई लोग गिरकर जख्मी भी हो रहे हैं। यहां समस्या निदान के लिए करीब तीन करोड़ की योजना से नाला निर्माण कार्य 2015 में शुरू हुआ। पर, पार्षदों ने कम गहराई और चौड़ाई को लेकर कार्य बंद करा दिया। उक्त राशि विभाग को लौट गई। जो बाद में निगम से डिमांड करने के बावजूद वापस नहीं लौट सकी। वर्तमान में कच्ची नाले से होकर 10 वार्डों का पानी निकास इशाकचक मार्ग से हो रहा है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है।

ट्रिपल सी भवन व स्मार्ट सड़क के बिना अधूरा है सर्विलांस सिस्टम

शहर में सर्विलांस सिस्टम लगाने के लिए ट्रिपल सी साफ्टवेयर की निविदा अंतिम चरण में है। लेकिन, यह योजना तभी धरातल पर उतर पाएगी, जब शहर में स्मार्ट सड़कों का कार्य होगा। इस साफ्टवेयर का सर्वर रूम पुलिस लाइन के ट्रिपल सी भवन में स्थापित होना है। लेकिन भवन निर्माण अधूरा है और मामला जिला न्यायालय में लंबित है। ऐसे में 191 करोड़ रुपये के ट्रिपल सी साफ्टवेयर की निविदा होने के बाद भी कार्य शुरू करने में परेशानी होगी। यह सुविधा स्मार्ट सड़क और ट्रिपल सी भवन का कार्य पूरा करने के बाद ही मिल सकेगी। इसके लिए न्यायालय के आदेश का इंतजार करना होगा। दरअसल, स्मार्ट सड़क व ट्रिपल सी भवन निर्माण कार्य में विलंब के कारण भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने निविदा रद कर दी। दोनों योजनाओं की नए सिरे से निविदा की गई है। इसकी वजह दोनों कंपनियां अब कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही हैं।

औद्योगिक नगरी के सपने को साकार करने में मदद की दरकार

सिल्क सिटी की अपनी अलग पहचान रही है। इसे औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। बुधवार को उप मुख्यमंत्री ताराकिशोर प्रसाद भागलपुर आएंगे और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे। ऐसे में भागलपुर को औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए उप मुख्यमंत्री कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। कई लंबित परियोजनाओं को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।

बियाडा में 68 इकाईयां कार्यरत, जूता-चप्पल की फैक्ट्री को मिली हरी झंडी

भागलपुर बियाडा परिसर में 99 इकाईयों में मात्र 68 ही कार्यरत हैं। 11 इकाई का काम चल रहा है। सात का मामला न्यायालय में लंबित है। हाल ही में बियाडा में जूते-चप्पल की फैक्ट्री खोलने के लिए संतनगर निवासी अशोक कुमार को 2886 वर्गफीट जमीन आवंटित की गई है। एक साल के अंदर उत्पादन शुरू होने की संभावना है। बियाडा में अभी भी दो एकड़ से अधिक जमीन खाली है।

फूड प्रोसेसिंग यूनिट का मामला है लंबित

राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी समेकित सहकारी विकास परियोजना ने सभी जिलों से दो-दो आइकानिक प्रोजेक्ट लगाने के लिए प्रस्ताव मांगा था। जिला सहकारिता पदाधिकारी ने जिले में मक्का, आम और लीची प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना का प्रस्ताव भेजा। इसके साथ ही शहद प्रोसेसिंग यूनिट और उसना चावल मिल लगाने का भी प्रस्ताव भेजा है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना होने के बाद जहां किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकेगा। वहीं, स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

इथनाल फैक्ट्री को मिली हरी झंडी

निवेश प्रोत्साहन परिषद ने भागलपुर में इथनाल फैक्ट्री लगाने के प्रस्ताव को प्रथम चरण की स्वीकृति प्रदान कर दी है। भागलपुर में मेसर्स शाहू एग्रो बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड को इथनाल फैक्ट्री लगाने की जिम्मेवारी दी गई है। 50 एकड़ में बनने वाले इथनाल फैक्ट्री पर 4486 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे मक्का उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकेगा। साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

रोजगार से संबंधित योजनाओं में बैंकों बैंकों की उदासीनता पर लगानी होगी रोक

रोजगार से संबंधित योजनाओं में ऋण देने में बैंकों की ओर से उदासीनता बरती जा रही है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के मात्र तीन आवेदकों को ही इस वित्तीय वर्ष में ऋण दिया गया। अब अधिकांश लोग मुख्यमंत्री महिला और युवा उद्यमी योजना के तहत आवेदन कर रहे हैं। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में अगर बैंकों की ओर से उदारता बरती जाएगी, तो रोजगार सृजन को रफ्तार नहीं मिलेगी। वहीं, प्रवासी मजदूरों के लिए जिला में बनाए गए पांचों कलस्टरों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

स्मार्ट सिटी को मिला आवंटन पर निविदा के पेंच उलझीं योजनाएं

भागलपुर में स्मार्ट सिटी की योजना सपना बनकर रह गया है। केंद सरकार ने अप्रैल 2016 में ही भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। लेकिन, अफसरों की लालफीताशाही के कारण निविदा का खेल चल रहा है। अधिकांश योजनाओं का सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। यूं कहें स्मार्ट सिटी का काम ढाई कोस भी नहीं चल पाया है। ऐसे में शहर को स्मार्ट बनाने का सपना टूटता नजर आ रहा है।

शहर को 1300 करोड़ रुपये से स्मार्ट बनाने की योजना है। 382 करोड़ रुपये चार वर्ष पहले उपलब्ध करा दिए गए। इसका बैंक में ब्याज भी 30 करोड़ से अधिक हो गया है। रूफटॉप सोलर पर 1.69 करोड़, सैंडिस कंपाउंड पर 38.12 करोड़, 100 बेड के शेल्टर हाउस भवन निर्माण पर 5.68 करोड़, 26.99 करोड़ से टाउन हाल का निर्माण शुरू हुआ है।

हालांकि विकास के मुख्य कार्यों के लिए भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड बोर्ड की अब तक दो दर्जन से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं। इसमें एजेंडे भी बनाए गए, पर धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया। कंट्रोल एंड कमांड केंद्र व स्मार्ट सड़क की निविदा में न्यायालय का पेंच फंसा है। अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि नगर विकास मंत्री और प्रधान सचिव के अल्टीमेटम भी बेअसर हैं। कहने को सोलर लाइट का कार्य पूरा हो चुका है। तिलकामांझी में ट्रैफिक सिंग्‍नल लगा अधिकारी अपरी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि स्मार्ट सिटी से सड़क किनारे यूनिरल, ओपेन जिम, बच्चों के लिए झूले, सीसी कैमरा आदि दम तोड़ चुके हैं।

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