डेंगू ने मारा डंक, सरकारी तंत्र बेखबर

भागलपुर। सिल्क सिटी में डेंगू के डंक से लोग बेहाल हैं। सरकारी में ही नहीं बल्कि क्लीनिकों में भी र्भी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 01:48 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 01:48 AM (IST)
डेंगू ने मारा डंक, सरकारी तंत्र बेखबर
डेंगू ने मारा डंक, सरकारी तंत्र बेखबर

भागलपुर। सिल्क सिटी में डेंगू के डंक से लोग बेहाल हैं। सरकारी में ही नहीं, बल्कि क्लीनिकों में भी डेंगू के मरीजों का इलाज चल रहा है। डेंगू पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। डेंगू के लार्वा भी पनप रहे हैं। इसके बावजूद सरकारी तंत्र बेखबर है। न कहीं फागिंग हो रही है और इस पर ध्यान दिया जा रहा है।

पिछले तीन-चार दिन में लगातार हुई बारिश के कारण शहर में जगह-जगह जलजमाव हो गया है और मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। एक सप्ताह से शहर में डेंगू का प्रकोप बढ़ने लगा है। बारिश की वजह से जल-जमाव की वजह से भी डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। मायागंज अस्पताल में पीरपैंती बाजार निवासी डेंगू पीड़ित को 16 अक्टूबर को भर्ती किया गया है। इसके अलावा निजी क्लीनिक में भी डेंगू पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है। विवेकानंद कालोनी, आदमपुर में भी डेंगू पीड़ित मिले हैं। एक सप्ताह में पांच डेंगू मरीज मिले हैं। सिविल सर्जन डा. उमेश शर्मा ने कहा कि जिले में अभी डेंगू के मरीज नहीं मिल रहे हैं। अस्पताल अधीक्षक डा. असीम कुमार दास ने कहा है कि ट्रामा वार्ड को डेंगू वार्ड बनाया गया है। साथ ही अस्पताल में जांच की सारी सुविधाएं भी हैं।

बारिश के कारण शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। रसोई घर से लेकर बेडरूम तक हर जगह मच्छरों का डंक। घर के अंदर साफ-सफाई रखने के बाद भी मच्छरों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही। नए जमाने के मच्छरों पर बाजार में उपलब्ध मच्छर वाली अगरबत्ती और अन्य मच्छररोधी रसायन का भी कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। मच्छर चाहे जितने भी डंक मारें, सिस्टम नहीं सुधरने वाला है। लार्वा मारना तो दूर फागिंग तक नहीं कराई जा रही है। मच्छरों से नगर निगम के साथ-साथ जिला मलेरिया विभाग के अधिकारी भी परेशान हैं। बावजूद इसके सभी कान में तेल डालकर सोए हुए हैं। लार्वा मारना तो दूर फागिंग तक की व्यवस्था नहीं की जा रही है।

मुख्यालय से आदेश का इंतजार

इतनी परेशानी के बाद भी जिला मलेरिया विभाग ने साफ-साफ कह दिया है कि फिलहाल मच्छर निरोधी दवा के छिड़काव की कोई योजना नहीं है। मलेरिया मरीजों की संख्या बढ़ने पर देखा जाएगा। मुख्यालय से निर्देश आने पर ही छिड़काव होगा।

जब जाच ही नहीं हो रही तो कैसे पता चलेगा मलेरिया हुआ है नहीं

टेक्नीशियन के नहीं होने के कारण जिला मलेरिया विभाग में मलेरिया की जाच कई वषरें से बंद है। प्रखंडों की भी यही स्थिति है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब जाच ही नहीं हो रही है तो आखिर विभाग को कैसे पता चलेगा कि कोई मलेरिया की चपेट में आया है या नहीं। लिहाजा विभाग द्वारा यह कहना कि मलेरिया मरीजों की संख्या बढऩे पर छिड़काव किया जाएगा, आइवाश करने जैसा है।

स्टोर में बंद हैं फागिग मशीनें

जिला मलेरिया कार्यालय में छह फागिग मशीनें हैं। एक मशीन बाका भेज दी गई है। पाच मशीनें वषरें से स्टोर में बंद हैं। इसकी देखरेख भी नहीं होती। लंबे समय से इन मशीनों का उपयोग नहीं किया गया है।

नगर निगम को लिखा गया है पत्र

पिछले कई वषरें से नगर निगम के जिम्में मच्छर निरोधी दवा छिड़काव की जिम्मेदारी है। जिला मलेरिया कार्यालय ने नगर निगम को मच्छर निरोधी दवा का छिड़काव करने के बाबत पत्र भी लिखा है, पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। एक हजार की आबादी पर दो लोग मलेरिया से पीड़ित होंगे तो दवा के छिड़काव के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा जाएगा। हालाकि सिविल सर्जन भी आदेश दे सकते हैं, पर उसके लिए भी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी जरूरी है।

145 में से 138 पद हैं रिक्त

जिला मलेरिया कार्यालय में 145 पद स्वीकृत हैं। इनमें 138 पद रिक्त हैं। मात्र सात कर्मचारी कार्यरत हैं। रिक्त पदों को भरने की कवायद स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा।

---------

वर्ष मलेरिया ग्रस्त लोगों की संख्या 2018 9 2019 2 2020 3 2021 7 एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया फजिशियिन डा. आरपी जायसवाल के मुताबिक प्लाजमोडिया नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। एक सप्ताह के अंदर ही मरीज में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

------------

मलेरिया के लक्षण - शाम होते ही ठंड के साथ 103 से 105 डिग्री तक बुखार आना - उल्टी होना, कुछ देर के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाना (नोट - इस प्रजाति के मच्छर किसी भी स्थान में ठहरे हुए पानी में रहते हैं। नालियों में अंडे देते हैं।) एडिस मच्छर के काटने से होता है डेंगू एडिस मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह मच्छर दिन में ही काटता है और साफ पानी में रहता है। काटने के तीन से सात दिनों के अंदर डेंगू के लक्षण सामने आने लगते हैं। ये हैं डेंगू के लक्षण इनमें तेज बुखार, सिर दर्द, बदन में दर्द, उल्टी होना, कमजोरी होना, शरीर में लाल धब्बे होना, बीपी कम हो जाना, शौच काला होना, खून निकलना आदि डेंगू के लक्षण हैं। फाइलेरिया : क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। रात में मच्छर काटता है। जहा काटता है वहा सूजन हो जाती है। यह मच्छर ज्यादातर पैर में काटता है। बुखार और ठंड लगती है।

------------

क्या बरतें सावधानी - पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें - सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें - घर के आसपास जल-जमाव नहीं होने दें, यदि हो तो मिट्टी से पाट दें - केरोसिन का छिड़काव करें, इससे मच्छरों का लार्वा नष्ट हो जाता है - नालियों की समय-समय पर सफाई करते रहें। यह भी जानें - 1897 में ब्रिटिश वैज्ञानिक डा. रोनाल्ड रास ने की थी मच्छरों की खोज - 3500 प्रजातिया हैं विश्व भर में, मात्र 100 नस्ल इंसानों के लिए खतरनाक -------------

नगर निगम द्वारा रूटीन फागिंग कराई जाती है। अगर मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ती है तो मुख्यालय से छिड़काव करने का आदेश दिए जाता है। अभी तक कोई दिशा-निर्देश पटना से नहीं मिला है।

- डा. कुंदन भाई पटेल, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी

chat bot
आपका साथी