दीपावली 2021: कुम्हारों ने 'चाक' पर दी रफ्तार, जमुई में मिट्टी के दीपक से जगगम करेगा घर व मंदिर
दीपावली 2021 इस बार दीपावली में मिट्टी के दीपक से घर चमकाए जाएंगे। मिट्टी के दीपक खिलौनों बर्तनों आदि की बिक्री घट गई है। लेकिन लोगों का मानना है कि जो भी हो इस बार घरों को स्वदेशी तकनीक से रोशन किया जाएगा।
संवाद सहयोगी, जमुई। कहते है कुम्हार पंडित महंगाई ने तो कमर तोड़ दी। एक तो वैसे ही चाइनीज लाइटों सामानों की वजह से मिट्टी के दीपक, खिलौनों, बर्तनों आदि की बिक्री घट गई है। अब तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं। महंगाई बढ़ गई है। कौन दिये में तेल डालकर जलाएगा। कोरोना काल में लगे लाकडाउन में रोजगार भी छिन गया। बीते दो वर्षों से घर बैठ गए। जमा पूंजी बची थी खत्म हो गया है। ले देकर कब तक काम चलेगा। अब दुर्गा पूजा के बाद दीपावली का त्योहार, छठ पर्व आ रहा है। इसी को लेकर मिट्टी के बरतन, दिया, कपटी, चुकड़ी, पतिला, मूर्ति, बच्चों के लिए घरकुंड़ा सजाने वाले सामान आदि बनाकर तैयार कर रहे हैं। इस उम्मीद में कुछ बिक्री हो जाएगा। कुछ मदद मिलेगी।
परिवार चलाने में सरकार से भी कुछ मदद नहीं मिल पा रही है। दुर्गा पूजा के बाद अब रोशनी का त्योहार दिपावली और छठ महा पर्व आने वाला है। ऐसे में कुम्हार पंड़ितों ने अपने 'चाक' मिट्टी का सामान बनाने, गढ़ने वाला चक्का पर रफ्तार दे दी है। दिन रात पूरा परिवार मिलकर एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर मिट्टी के सामान बना रहे हैं। उसे पका कर रंग रोगन कर तैयार कर रहे हैं। ताकि त्योहार आने पर बाजार में बेचकर कुछ मुनाफा मजदुरी कमा सके। परिवार के भरण पोषण में सहायता मिल सके।
रवि पंडित, रुकमणी देवी ने बताया कि खेती बारी भी नहीं है। जगह जमीन भी अब नहीं बचा है। किसी प्रकार मेहनत मजदूरी से बनाऐ कच्चे खपड़े फूस के मकान में रहकर परिवार का भरण पोषण करते आ रहे हैं। सरकारी सहायता कुछ मिलती नहीं है। सभी परिवार मेहनत मजदूरी कर पेट पालते थे। लेकिन बीते दो वर्षो से कोरोना ने कमर तोड़ दी है। काम रोजगार छूट गया है। मजदूरी मिलती नहीं मजबूरन अपने पुश्तैनी काम में लगे हैं। मिट्टी के सामान बना रहे हैं। मेहनत मजदूरी करके भी बेटी बेटो को पढ़ाया है। कोई बीए, बीएससी और इंटर में है। पत्नी सिलाई का काम करती है। सभी साथ मिलकर मिट्टी के सामान भी बनाते हैं। उसी के सहारे घर परिवार चलता है।