गंगा में शव बहाने के लिए नाविक ने मांगे 11 हजार

सर्पदंश से मृत व्यक्ति का शव गंगा में प्रभावित करने के लिए 11 हजार रुपये की मांग की गई। दो घंटे बाद जब बात नहीं बनी तो स्वजन शव को लेकर यहां से 30 किलोमीटर दूर कहलगांव पहुंचे और वहां पर शव को गंगा में प्रवाहित कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 02:19 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 02:19 AM (IST)
गंगा में शव बहाने के लिए नाविक ने मांगे 11 हजार
गंगा में शव बहाने के लिए नाविक ने मांगे 11 हजार

भागलपुर । बरारी श्मशान घाट पर सर्पदंश से मृत एक व्यक्ति के शव को गंगा में प्रभावित करने के लिए 11 हजार रुपये की मांग की गई। दो घंटे बाद जब बात नहीं बनी तो स्वजन शव को लेकर यहां से 30 किलोमीटर दूर कहलगांव पहुंचे और वहां पर शव को गंगा में प्रवाहित कर दिया।

बांका जिले के नवादा बाजार में शनिवार को सांप के काटने से मिथिलेश कुमार की मौत हो गई थी। इसके बाद स्वजन शव को भागलपुर के बरारी श्मशान घाट लेकर पहुंच गए, लेकिन घाट पर नाविक और डोम राजा ने शव को गंगा में फेंकने के लिए पहले 21 हजार रुपये की मांग की, लेकिन दो घंटे तक मोलभाव के बाद भी बात नहीं बनी। बाद में नाविक ने गंगा में शव प्रवाहित करने के लिए 11 हजार रुपये और दो बोरी अनाज का सौदा किया, लेकिन मृतक के स्वजन के पास उतने पैसा भी नहीं थे। नाविक के मनमाने रवैये के कारण दो ऑटो में लदे केले के तने और शव के साथ पहुंचे स्वजन कहलगांव के लिए रवाना हो गए।

भागलपुर बरारी से 30 किलोमीटर दूर कहलगांव घाट पर शव प्रवाहित करने पहुंचे। स्वजनों ने कहलगांव घाट के डोम राजा के साथ डेढ़ हजार और नाविक ने ढाई हजार रुपये लेकर गंगा नदी में शव प्रवाहित करने पर सहमति जता दी। फिर वे शव को गंगा के बीच ले गए, केले के पेड़ के तने से बांधकर नदी में प्रवाहित कर दिया। सर्पदंश से मरने वाले एक व्यक्ति के स्वजन ने स्थानीय निवासियों के विरोध के बावजूद रविवार को उसके शव को गंगा में फेंक दिया। स्थानीय लोगों ने घटना की वीडियो क्लिप बनाई, जो हुई। इस संबंध में कहलगांव पुलिस ने बताया कि इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। दरअसल, श्मशान घाट पर मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की तैनाती थी। पांच जून से प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट को हटा दिया गया है।

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घाट राजा की मनमानी पर लगाम नहीं

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दाह संस्कार के लिए घाट राजा ने लोगों का जमकर आर्थिक शोषण किया। उसकी मनमानी पर लगाम लगाने को प्रशासन के पास कारगर रणनीति नहीं है। यही कारण है कि वर्ष 2020 में एक बैंक कर्मी की मौत कोरोना संक्रमण से हुई थी तो घाट राजा ने डेढ़ लाख रुपये की मांग की तो स्वजन शव को अस्पताल लौटा लाए। प्रशासन की मदद से दाह संस्कार दूसरे दिन हो पाया था। इस वर्ष मार्च से लेकर जून के बीच दो दर्जन घटनाएं हुई। संक्रमित शवों से एक लाख से 50 हजार रुपये तक की मांग की गई। घाट राजा ने एंबुलेंस चालक के साथ मारपीट की। अप्रैल माह में बाबूपुर के काविड शव के दाह संस्कार के नाम 38 हजार रुपये मांगे गए। इस पर स्वजन वापस लेकर चले गए। घाट राजा ने तो विद्युत शवदाह गृह के फर्निंस चेंबर के बाहर रखे राख में सोना व चांदी ढुंढने चले गए।

गंगा में शव प्रवाहित करने की है परंपरा

सर्पदंश वाले शवों को गंगा व नदी में प्रवाहित करने की परंपरा रही है। इस आधुनिक युग में भी लोग पंरपरा से जुड़े हैं। श्मशान घाट पर सर्पदंश वाले शवों का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। ऐसे में केले के तने पर शवों को जलधारा में प्रवाहित किया जाता है। लोगों की आस्था है कि जलधारा में बहाने के बाद जहर समाप्त हो जाता है और लोग जिदा हो जाते हैं। इसी को लेकर जिले के गंगा घाटों पर प्रति वर्ष दो दर्जन से अधिक शवों को जलधारा में प्रवाहित किया जाता है। मानसून के दौरान इसकी संख्या अधिक होती है।

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विद्युत शवदाह गृह से मिली राहत पर घाट राजा की मनमानी

बुडको ने बरारी श्मशान घाट पर विद्युत शवदाह गृह का निर्माण किया। कोरोना संक्रमण वाले शवों के दाह संस्कार में परेशानी को देखते हुए निगम ने गत अगस्त माह में सेवा बहाल कर दी। संक्रमित शवों का दाह संस्कार निश्शल्क किया जा रहा है। वहीं समाप्य शव के लिए 500 रुपये का सेवा शुल्क लिया जा रहा है, लेकिन गंगा घाट पर लकड़ी पर दाह संस्कार और मुखाग्नि की दर नगर निगम ने स्थायी समिति ने एक हजार रुपये तय की थी। इसमें घाट राजा के साथ बैठक कर मानदेय तय नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है।

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