Cyber crime : क्लर्क के खाते पर लंबे समय से थी साइबर अपराधियों की नजर, सौ बार में निकाले थे 7.25 लाख रुपये

Cyber crime लेनदेन के बाद ओटीपी और शेष राशि का संदेश उनके मोबाइल पर नियमित रूप से जा रहा था लेकिन साइबर अपराधी उन ओटीपी का यूज कर उसे मिटा दे रहे थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 11:46 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 11:46 AM (IST)
Cyber crime : क्लर्क के खाते पर लंबे समय से थी साइबर अपराधियों की नजर, सौ बार में निकाले थे 7.25 लाख रुपये
Cyber crime : क्लर्क के खाते पर लंबे समय से थी साइबर अपराधियों की नजर, सौ बार में निकाले थे 7.25 लाख रुपये

भागलपुर, जेएनएन। बिहार कृषि महाविद्यालय सबौर के प्रधान लिपिक संजय श्रीवास्तव के खाते से रुपये की निकासी का सारा साक्ष्य बैंक अधिकारियों ने पीडि़त को सौंप दिया है। बैंक अधिकारियों के मुताबिक क्लर्क के खाते पर साइबर अपराधियों की नजर लंबे समय से थी। वे लोग उस खाते को अपने अनुसार पिछले कई महीने से ऑपरेट कर रहे थे। यही कारण है कि क्लर्क के खाते से सात लाख पच्चीस हजार रुपये की निकासी साइबर अपराधियों ने सौ से अधिक बार में की। शनिवार को जब बैंक अधिकारियों ने लेनदेन का सारा ब्यौरा क्लर्क को दिया तो उनके होश उड़ गए।

क्लर्क का कहना था कि उन्हें एक भी लेनदेन के बारे में जानकारी नहीं है। बैंक अधिकारियों के मुताबिक लेनदेन के बाद ओटीपी और शेष राशि का संदेश उनके मोबाइल पर नियमित रूप से जा रहा था, लेकिन साइबर अपराधी उन ओटीपी का यूज कर उसे मिटा दे रहे थे। यानि क्लर्क के पास मोबाइल तो जरूर था, लेकिन उसे साइबर अपराधियों ने हैक कर रखा था। इस कारण यह मामला अब तक उजागर नहीं हो सका था।  

पीडि़त क्लर्क ने बताया कि बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए सारे लेन-देन के ब्यौरा को उन्होंने पुलिस को सौंप दिया है। इसमें पैसे की निकासी के लिए किन-किन खाते और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया है, उन सबकी सारी जानकारी है। साथ ही राशि का हस्तांतरण किस खाते में किया गया है उसकी भी जानकारी है। वहीं, सबौर थानेदार सुनील कुमार झा ने बताया कि सारे कागजात तकनीकी शाखा भागलपुर को भेजी गई है। अनुसंधान किया जा रहा है। बहुत जल्द मामला का पटाक्षेप हो जाएगा।

इस तरह खुला मामला

एक सप्ताह पहले सबौर की एचडीएफसी शाखा में पासबुक अपडेट कराने के दौरान 50 हजार निकासी की जानकारी क्लर्क को मिली। उन्होंने इसकी एफआइआर दर्ज कराई। इसके बाद उन्होंने यूको बैंक की सबौर शाखा में अपने दूसरे खाते की जांच कराई। जांच के दौरान उनके खाते से सात लाख 25 हजार गायब मिले। खाते से सौ से अधिक लेनदेन किए गए थे। इसकी जरा भी भनक क्लर्क को नहीं थी।

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