लगातार बारिश के बाद मधेपुरा में फसल तबाह, धान की फसल को सबसे अधिक नुकसान

मधेपुरा में भारी बारिश के बाद फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। किसान पानी में डूबे व खेतों में गिर चुके धान के पौधे को किसी तरह काटकर उसे सड़कों व खुले स्थानों पर सुखाने को विवश हैं। जहां 15 से 20 प्रतिशत धान की बर्बादी हो रही है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 05:52 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:52 PM (IST)
लगातार बारिश के बाद मधेपुरा में फसल तबाह, धान की फसल को सबसे अधिक नुकसान
मधेपुरा में भारी बारिश के बाद फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।

संवाद सूत्र,पुरैनी (मधेपुरा)। पिछले दिनों लगातार हुई बारिश ने प्रखंड क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ दी है। प्रकृति की मार से किसानों के आंखों के आंसू सूख चुके हैं। आफत की बारिश ने जहां खेतों में लगे तैयार हो चुके धान की फसल को तहस-नहस कर डाला है। वहीं प्रखंड क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर होने वाले आलू की खेती व रबी फसल की बोआई पर भी ग्रहण लगा दिया है। किसान पानी में डूबे व खेतों में गिर चुके धान के पौधे को किसी तरह काटकर उसे सड़कों व खुले स्थानों पर सुखाने को विवश हैं। जहां 15 से 20 प्रतिशत धान की बर्बादी हो रही है।

मालूम हो कि धान की खेती के शुरूआती दौर से ही लगातार मौसम का साथ दिए जाने व खेतों में लगे लहलहाती धान की फसल को देख किसान गदगद थे। उन्हें इस बार धान की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद थी। लेकिन पिछले दिनों तेज हवा के साथ हुई लगातार आफत की बारिश ने अन्नदाताओं की खुशियां ही छीन ली। आफत की बारिश व तेज हवा ने जहां खेतों में तैयार हो चुके धान के पौधे को गिरा कर पानी में डूबो दिया। वहीं खेतों में काट कर रखें पक चुके धान को भी पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।

इतना ही नहीं धान की फसल की बर्बादी से छाती पीट रहे किसान को अब रबी फसल की बुआई की भी ङ्क्षचता सताने लगी है। आफत की बारिश से खेतों में काफी मात्रा में नमी हो जाने से अब किसानों को समय से आलू की खेती सहित रबी फसल के लिए खेतों की तैयारी करना फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा है। वहीं दूसरी ओर गहराई वाले जमीन में पानी भरे रहने से धान की कटनी कराने में किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जबकि धान पूरी तरह खेतों में पक चुकी है। किसान दोगुनी मजदूरी देकर धान की कटाई कराने को मजबूर हैं।

प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने बताया कि खेतों में पूर्ण रूप से पक चुके धान के पौधे गिरकर पानी में डूबे रहने की वजह से उसमें अंकुरण होना शुरू हो गया है। अगर उसकी अविलंब कटाई नहीं की गई तो वह खेतों में ही सड़ कर नष्ट हो जाएगी। इतना ही नहीं काफी परेशानी के बीच खेतों में कटाई कराने के बाद उसे सड़कों व खुले स्थानों पर लाकर सुखाने की भी मजबूरी है। पौधे को बिना सुखाए थ्रेसर से तैयारी कराना संभव नहीं है। प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने प्रकृति की मार से तैयार हो चुके धान के फसल क्षति के मुआवजे की मांग कृषि विभाग सहित सरकार से लगातार कर रहे हैं।

प्रखंड कृषि पदाधिकारी ओमप्रकाश यादव ने बताया कि असमय बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र में किसानों का 20 से 25 प्रतिशत धान के फसल की क्षति होने का आकलन किया गया है। जबकि सरकारी स्तर पर 33 प्रतिशत से अधिक क्षति होने के बाद ही मुआवजा देने का प्रावधान है।

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