कोरोना कर रहा परंपरा को खत्म, पड़ोसी फेर रहे मुंह, नहीं मिल रहे अर्थी को कंधा देने वाले

कोरोना वायरस सभी सामाजिक और पारिवारिक परंपरा को खत्म कर रहा है। अब पड़ोसी फेर रहे मुंह। नहीं मिल रहे अर्थी को कंधा देने वाले। वर्षों से चली आ रही परंपरा से पीछे भाग रहे लोग। शारीरिक दूरी की जगह बढ़ रहा मनभेद।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:43 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:43 AM (IST)
कोरोना कर रहा परंपरा को खत्म, पड़ोसी फेर रहे मुंह, नहीं मिल रहे अर्थी को कंधा देने वाले
भागलपुर के भीखनपुर में किसी ने नहीं दिया साथ तो बेटी ने निभाया धर्म।

भागलपुर [रजनीश]। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देख अंतिम निवास (श्मशान घाट) तक अर्थी को ले जाने के लिए अपनों और पड़ोसी का साथ नहीं मिल रहा है। लोग इस कदर डरे हैं कि अर्थी को कंधा देने में परहेज कर रहे हैं। सभी की मानवता मर गई है। कोरोना ने अपनों को पराया कर दिया। समाज मे दूरियां बढ़ गई। बाप बेटे को, पत्नी पति को और पड़ोस को समाज से अलग कर दिया है। एक ओर जहां आइसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना मरीजों के शवों को जलाया और दफनाया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर इलाज के दौरान मौत के मामले में भी सामाजिक भेदभाव से अपने ही अपनों के शवों को कंधा देने और श्मशान- कब्रिस्तान में शवों को जलाने और दफनाने ले प्रतिबंध लगा रहे हैं।

घर पर गई जान, अपनों का नहीं मिला साथ

भागलपुर के अलीगंज निवासी बैंक से सेवानिवृत्त करमचारी की मौत दो दिन पहले हो गई। इन्होंने कोरोना की जांच नहीं कराई थी। लेकिन तबीयत एक सप्ताह से खराब चल रहा था। घर पर ही परिवार वाले चिकित्सकों की सलाह पर दवा दे रहे थे। इस बीच बुधवार की शाम कर्मी ने दम तोड़ दिया। रात हो जाने के कारण इनका अंतिम संस्कार गुरुवार की सुबह होना सुनिश्चित हुआ। सुबह में घर के सदस्य आस पड़ोस को घाट तक जाने के लिए कहने गए।  लेकिन कोई जाने से मना कर दिया। लाचार होकर घर के सदस्य और नाते रिश्तेदार हैं उत्सव लेकर बरारी श्मशान घाट के लिए निकले।

पढ़े-लिखे भी कर रहे विरोध

कोरोना की वजह से समझदार और पढ़े-लिखे लोगों की भी मानवता मर गई है। लगातार जिले में हो रही मौत ने सभी को झकझोर दिया है। कोरोना संक्रमण का काल बढ़ते जा रहा है,जगह-जगह कोरोना मरीज और दूसरे कारणों से मरे मरीजों को जलाने और दफनाने को ले अपने ही अपनों का विरोध करते देखे जा रहे हैं।

कुछ डटे हैं कर्तव्य पर

कोरोना संक्रमण के डर से शहर में कई निजी क्लीनिक में ताले लटके हैं। डॉक्टर मरीजों को देखने से कतरा रहे हैं। इन सभी के बीच कुछ चिकित्सकों में मानवता बची हुई है और वह मरीजों को का इलाज भी कर रहे हैं। अभी इस बीमारी से कई चिकित्सक भी चपेट में आ गए हैं फिर भी अपने कर्तव्य से कुछ डॉक्टर पीछे नहीं हट रहे हैं।

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