Bihar: बेटी ने जलाने की जगह दफना दिया मां-बाप का शव, मानवता झकझोर देने वाली है यह कहानी सुनकर आप भी सिहर उठेंगे

बिहार के अररिया में कोरोना संक्रमित माता और पिता का निधन हो गया। दोनों की मौत चार-पांच दिन के अंतराल पर हुआ। बेटी ने दोनों के शव को मिट्टी में दफना दिया। हिंदू होकर के भी शव को जला नहीं पाए।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 06:30 AM (IST)
Bihar: बेटी ने जलाने की जगह दफना दिया मां-बाप का शव, मानवता झकझोर देने वाली है यह कहानी सुनकर आप भी सिहर उठेंगे
समाज से नहीं आया कोई आगे, कोरोना संक्रमण से हुई थी मौत।

अररिया [विमल कुमार]। इसे बहादुरी कहें, जिम्मेदारी कहें या फिर विपदा की इस घड़ी की मजबूरी! कहानी 14 वर्षीया उस किशोरी सोनी की है, जिसके मां और पिता दोनों पांच दिनों के अंतराल पर कोरोना के कारण इस दुनिया को छोड़ गए। घर में सिर्फ उसकी 12 वर्षीया बहन चांदनी और 11 वर्षीय भाई नीतीश। इस विपदा की घड़ी में समाज अंतिम संस्कार में मदद तक के दायित्व से पीछे हट गया। तब सोनी ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए घर के पीछे ही अपने माता-पिता का शव दफन किया। कसक जरूर रही कि हिंदू रीति-रिवाज से वह इनके पार्थिव शरीर तक का अंतिम संस्कार नहीं कर पाई।

बात अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड अंतर्गत विशनपुर पंचायत के मधुलता गांव की है। यहां वीरेंद्र मेहता (40 वर्ष) कोरोना संक्रमण की चपेट में आए। हालत बिगडऩे पर उन्हें पूर्णिया के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। सोमवार को उनकी मौत हो गई। एंबुलेंस से उनके शव को गांव लाया गया। समाज के लोग आगे नहीं आए। तब सोनी ने अपने भाई-बहनों की मदद से गड्ढा खोदा। भाई नीतीश कुमार से मृत पिता के मुख में आग रखवा दिया और उन्हें मिट्टी की चादर के नीचे हमेशा के लिए सुला दिया। इसके बाद सोनी की मां प्रियंका देवी भी कोरोना की चपेट में आ गईं। हालत बिगडऩे पर गुरुवार रात में उन्हें फारबिसगंज कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया गया। वहां से उन्हें मधेपुरा रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में उनकी भी मौत हो गई।

शुक्रवार को प्रियंका देवी का शव लेकर एंबुलेंस गांव पहुंची। सोनी, चांदनी और नीतीश ने ग्रामीणों से मदद मांगी, लेकिन दोबारा भी कोई सामने नहीं आया। इसके बाद गांव के मुखिया सरोज कुमार ने सोनी को पीपीई किट उपलब्ध करवाया। उसे पहनकर उसने अपनी मां के पार्थिव शरीर को भी अपने पिता के बगल की जमीन में दफन कर दिया। इससे पहले, नीतीश ने मां के मुख में आग रखी। सरोज कुमार ने बताया कि वे खुद कोरोना पॉजिटिव होने के कारण आइसोलेट हैं। पंचायत में करीब एक दर्जन कोरोना पॉजिटिव हैं, जिस कारण लोग डरे हुए हैं। सोनी के पिता ग्रामीण चिकित्सक थे।

शनिवार को अररिया से पहुंची एक मेडिकल टीम ने सोनी के घर को सैनिटाइज किया। तीनों भाई-बहनों की कोरोना जांच की गई है। एंजीटन रिपोर्ट निगेटिव आई है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट आने में अभी समय है। तीनों बच्चों के लिए घर में थोड़ा-बहुत अनाज बचा है, जिससे ये काम चला रहे हैं। सोनी के ऊपर अब अपने भाई-बहनों की जिम्मेदारी भी आ गई है। इधर, इंटरनेट मीडिया पर सोनी की हिम्मत की जमकर सराहना की जा रही है।

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