गर्भस्थ शिशु की सर्जरी हुआ आसान, अब रोबोट से भी ऑपरेशन संभव Bhagalpur news

कार्यक्रम में सभी चिकित्‍सकों ने कहा कि रुपये के पीछे नहीं भागें और मरीजों के दर्द को समझें डॉक्‍टर इसी दौरान सर्जन ऑफ इंडिया बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ. यूसी इस्सर बनाए गए।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 17 Nov 2019 08:59 AM (IST) Updated:Sun, 17 Nov 2019 08:59 AM (IST)
गर्भस्थ शिशु की सर्जरी हुआ आसान, अब रोबोट से भी ऑपरेशन संभव Bhagalpur news
गर्भस्थ शिशु की सर्जरी हुआ आसान, अब रोबोट से भी ऑपरेशन संभव Bhagalpur news

भागलपुर [जेएनएन]। एसोसिएशन सर्जन ऑफ इंडिया बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ. यूसी इस्सर बनाए गए। सचिव डॉ. आलोक अभिजीत ने डॉ. इस्सर को माला पहनाकर पदभार ग्रहण करवाया। डॉ. इस्सर ने कहा कि संगठन को और भी मजबूत किया जाएगा। संघ में सदस्यों की संख्या मात्र छह सौ है, संख्या और बढ़ाई जाएगी। साथ ही कार्यशाला आयोजित की जाएगी।

मेडिकल कॉलेज में समारोह का उद्घाटन किया गया। डॉ. सुभाष खन्ना ने कहा कि डॉक्टर मरीजों का दर्द समझे, जहां तक संभव हो खर्च कम करवाएं। डॉक्टर केवल रुपये के पीछे नहीं भागे। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा ने कहा कि सर्जरी विभाग का और भी विकास किया जाएगा। ऐसे आयोजनों से डॉक्टरों की जानकारी बढ़ती है। डॉ. एसएन झा, डॉ. ज्योत्सना कुलकर्णी आदि ने भी विचार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत सर्जरी विभाग के अध्यक्ष एवं ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय कुमार ने किया। मंच संचालन डॉ. जेपी सिन्हा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बीके जायसवाल ने किया। इस अवसर पर सोवेनियर का भी विमोचन किया गया। डॉ. एके राय, डॉ. सीएम उपाध्याय, डॉ. कुमार रत्नेश, डॉ. पंकज, डॉ. पवन झा, डॉ. सीएम सिन्हा सहित कई डॉक्टर उपस्थित थे।

अब रोबोट करेगा ऑपरेशन

अब रोबोट करेगा ऑपरेशन। यह सुनकर भले ही आश्चर्य लगे लेकिन देश के कई बड़े शहरों रोबोट द्वारा ऑपरेशन किया जाने लगा हैं। बीसी रॉय अवार्ड से सम्मानित गुवाहाटी के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. सुभाष खन्ना ने कहा कि रोबोट से ऑपरेशन करना उन डॉक्टरों के लिए आसान है जिनकी ज्यादा उम्र की वजह से हाथ कांपते हैं। डॉ. खन्ना एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया बिहार शाखा द्वारा जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित वैज्ञानिक सत्र में कहा।

उन्होंने कहा कि अब पेट में बड़ा चीरा लगाकर ऑपरेशन करने का जमाना चला गया। इसके स्थान पर इंडोस्कोपिक और लेप्रोस्कोपिक की जा रही है। अब रोबोट द्वारा हार्निया, अपेंडिक्स, गॉल ब्लाडर सहित अन्य ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं। चंद मिनटों में ही रोबोट ऑपरेशन करता है। अभी दिल्ली, मुंबई और मद्रास के कुछ निजी नर्सिंग होम में रोबोट द्वारा ऑपरेशन किए जा रहे हैं। जल्द ही गुवाहाटी में भी रोबोट द्वारा ऑपरेशन करने की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस मरीज का ऑपरेशन करना है, उसके पेट में छोटा सा छिद्र कर रोबोट में लगे उपकरण और दूरबीन डाली जाती है। कुछ दूर बैठा डॉक्टर कंसोल (रिमोट) के सहारे ऑपरेशन को अंजाम देगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सर्जन को इंडोस्कोपिक और लेप्रोस्कोपिक द्वारा ऑपरेशन करने की जानकारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर को सावधान रहना चाहिए। क्योंकि लापरवाही से आंत में छेद हो सकता है या पित्त की थैली फट सकती है। इससे डॉक्टर को दोबारा ऑपरेशन करना पड़ सकता है।

छाती में गांठ हो जाए तो कराए मेमोग्राफी

छाती में गांठ है तो यह जरुरी नहीं है कि कैंसर ही होगा। इसके लिए मेमोग्राफी और अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। मेडिकल कॉलेज में वैज्ञानिक सत्र के दौरान कई बातें सामने आईं। इसमें रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना, डॉ. परिमल, डॉ. शशिधर कुमार ने हिस्सा लिया। कई गांठों को छूने या दबाने से दर्द नहीं होता है। हालांकि ब्रेस्ट कैंसर गांठ होने से होती है। एफएनएसी जांच करवानी चाहिए। महिला को ब्रेस्ट को खुद चेक करते रहना चाहिए। कोलकाता के डॉ. सरफराज बेग ने कहा कि बड़ा ऑपरेशन करने पर समय भी ज्यादा लगता है और हार्निया होने की संभावना 30 फीसद बढ़ जाती है। इसलिए लेप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन करना आसान है और मात्र 10 फीसद हार्निया होने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि कभी भी सर्जन को ऑपरेशन करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

गर्भस्थ शिशु की सर्जरी करना हुआ आसान

अब गर्भ में पल रहे शिशु की सर्जरी भी लेप्रोस्कोपिक विधि से करना आसान है। सर्जनों के कार्यशाला में पटना एम्स के शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. बिंदे कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि गर्भवस्था में शिशु की सर्जरी आसान है। तीन माह के बाद गर्भस्थ शिशु की सर्जरी की जा सकती है। पटना एम्स में भी उक्त सर्जरी की शुरुआत शीघ्र की जाएगी। उन्होंने कहा कि बच्चों की सर्जरी करना आसान है। उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान मां को फोलिक एसिड दवा का सेवन करना चाहिए। दवा नहीं खाने से 15 सौ में एक शिशु को पीठ में जख्म हो जाता है। जो महिला पहली बार मां बनती है उन बच्चों के पीठ पर अक्सर जख्म होते हैं। अल्ट्रासाउंड में गर्भस्थ शिशु की बीमारी की पहचान होती है। उसका ऑपरेशन भी किया जाता है।

कम पानी पीने से गॉल ब्लाडर में बन जाता है स्टोन

अगर लंबे समय तक गॉल ब्लाडर में स्टोन रहेगा तो कैंसर होने की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए समय रहते स्टोन को ऑपरेशन द्वारा निकालवा लेना चाहिए। ये बातें एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया की बिहार शाखा के अधिवेशन में आए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. पीके सिन्हा ने कही। उन्होंने कहा कि गॉल ब्लाडर में स्टोन किसी भी उम्र में हो सकता है। पेट दर्द इसका लक्षण है और अल्ट्रासाउंड करवाने से स्टोन है या नहीं है, इसकी जानकारी मिलती है। लंबे समय तक गॉल ब्लाडर में स्टोन रहने से कैंसर होने की संभावना रहती है। पित्त की थैली में स्टोन अगर फंस जाय तो जॉडिंस होने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि टमाटर, रेड मीट, पालक ज्यादा खाने से स्टोन होने की संभावना रहती है। इसलिए फाइवरयुक्त भोजन करना चाहिए। प्रतिदिन चार से पांच लीटर पानी पीने से किडनी में फंसे स्टोन पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं। रमजान के समय पानी कम पीने की वजह से स्टोन के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो जाती है।

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