Chess tournament kishanganj : संपूर्णा, प्रियोशी और अनुराग ने मारी बाजी
किशनगंज के इंडोर स्टेडियम में शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में दर्जनों प्रतिभागी शामिल हुए। प्रतिभा निखारने के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया है। तीन विभागों में बांटकर कराया प्रतियोगिता कराया गया। प्रतियोगिता का काफी लोगों ने आनंद लिया।
जागरण संवाददाता, किशनगंज। डुमरिया स्थित इंडोर स्टेडियम में सोमवार को एक निश्शुल्क शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में दर्जनों प्रतिभागी शामिल हुए। संघ के मानद महासचिव शंकर नारायण दत्ता व आयोजन सचिव कमल कर्मकार ने बताया कि प्रतिभागियों को कुल तीन विभागों में बांट कर इस प्रतियोगिता को संपन्न कराया गया।
इसके ओपन विभाग में संपूर्णा दास चैंपियन बनी। संपूर्णा के बाद अगले स्थानों पर क्रमश: युवराज सेठिया, ऋत्विक मजूमदार, विक्रम भारद्वाज, रुशील झा और विद्या कुमारी ने जगह बनाई। जूनियर बालिका विभाग में प्रियोशी देव शर्मा ने बाजी मारी। प्रियोशी के बाद मंदिरीता दत्ता, देवांशी और शैली क्रमश: दूसरे से चौथे स्थान पर काबिज हुई। इसी तरह जूनियर बालक विभाग में अनुराग कुमार अव्वल रहे। इसके अगले स्थानों पर क्रमश: आयुष्मान झा, मैत्रीय ङ्क्षसह, सत्यम झा व हार्दिक ने जगह बनाई।
सभी विजेताओं को कादोगांव निवासी दीपक सहनी और शतरंज संघ के द्वारा पुरस्कृत किया गया। इससे पूर्व प्रतियोगिता का उदघाटन करते हुए दीपक सहनी ने कहा कि बच्चों के स्वस्थ मनोरंजन के लिए शतरंज उत्कृष्ट खेल है। खेल के साथ-साथ मानसिक विकास भी स्वत: हो जाता है। मौके पर संयुक्त सचिव सुधांशु सरकार, सहायक सचिव रोहन कुमार, अमन कुमार गुप्ता, दिव्यांशु सिंह समेत अन्य अभिभावकगण मौजूद रहे।
कोरोना काल के बाद पहली ओपन शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया। इस दौरान मौजूद प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए जिला शतरंज संघ के मानद महासचिव शंकर नारायण दत्ता ने कहा कि आजकल बच्चे मोबाइल व वीडियो गेम में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन किशनगंज जिले में बड़ी संख्या में बच्चे शतरंज प्रतियोगिता में न सिर्फ शामिल हो रहे हैं बल्कि इसमें महारत हासिल करने के प्रति लगनशील भी हैं। यह खेल न सिर्फ बच्चों का स्वस्थ मनोरंजन कर रहा है बल्कि इसमें ऊंचाई हासिल कर करियर भी बनाया जा सकता है। परिवार, समाज से लेकर जिला, राज्य एवं देशभर में प्रसिद्धि मिल सकती है। हमारे सामने विश्वनाथन आनंद इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। जिन्होंने पांच बार इस खेल में विश्व चैंपियन बनकर भारत का डंका बजाया है। वे आज सभी शतरंज खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।