हत्याकांड में 45 साल बाद फैसला, 28 साल बीत गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इंतजार में Bhagalpur News

45 साल पूर्व 28 अप्रैल 1974 को हुए धनंजय चौधरी हत्‍याकांड में अदालत ने आरोपित चतुरानंद चौधरी उर्फ मंटू को दोषी करार दिया। दोषी को सजा 25 सितंबर को सुनाई जाएगी।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Thu, 19 Sep 2019 01:58 PM (IST) Updated:Thu, 19 Sep 2019 01:58 PM (IST)
हत्याकांड में 45 साल बाद फैसला, 28 साल बीत गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इंतजार में Bhagalpur News
हत्याकांड में 45 साल बाद फैसला, 28 साल बीत गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इंतजार में Bhagalpur News

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। अदालत इंतजार करती रही, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आनी थी तो नहीं ही आई। हत्या के एक मामले में बुधवार को 45 साल बाद निर्णय हुआ, जिसमें 28 साल सिर्फ पोस्टमार्टम रिपोर्ट की आस में गुजर गए।

अदालतों में मुकदमों का बोझ आखिर क्यों बढ़ रहा और न्याय में देरी क्यों हो रही, इसकी यह एक बानगी भर है। सन्हौला थाना क्षेत्र के पोठिया गांव निवासी धनंजय चौधरी की 28 अप्रैल 1974 को खेत का पानी बहाने के विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ और अदालती कार्रवाई शुरू की गई। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही नहीं आ रही थी। इसके बावजूद साढ़े चार दशक बाद ही सही, फैसले ने लोगों का अदालत पर भरोसा और मजबूत कर दिया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर अष्टम जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमपी सिंह की अदालत ने कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा, सारे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए चतुराई से गेंद दूसरे के पाले फेंकते रहे। नतीजा शून्य रहा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई नहीं। न ही जब्त बंदूक की रिपोर्ट। अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। इसलिए अब फैसले की तिथि तय कर रहे हैं। इतना लिख न्यायाधीश ने फैसले के लिए 18 सितंबर 2019 की तिथि तय कर दी थी और इसी तिथि को 45 साल पुराने हत्या के मामले में आरोपित चतुरानंद चौधरी उर्फ मंटू को दोषी करार दिया।

अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिखा था। सिविल सर्जन ने जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के अधीक्षक को पत्र भेज दिया। अस्पताल अधीक्षक ने सिविल सर्जन को। सिविल सर्जन ने अदालत को पत्र लिखा कि उन्होंने अस्पताल अधीक्षक को पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए लिख दिया है। टालमटोल देख अदालत ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक को पत्र लिखा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आने पर जिलाधिकारी को भी पत्र भेजा। लेकिन रिपोर्ट नहीं आई।

चतुरानंद दोषी करार, 25 सितंबर को सुनाई जाएगी सजा

45 साल पूर्व 28 अप्रैल 1974 को हुए हत्याकांड में अदालत ने आरोपित चतुरानंद चौधरी उर्फ मंटू को दोषी करार दिया। दोषी को सजा 25 सितंबर को सुनाई जाएगी। उसे जेल भेज दिया गया है। अष्टम जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमपी सिंह की अदालत में दोनों आरोपित चतुरानंद चौधरी और रविन्‍द्र चौधरी उपस्थित हुए, जिसमें रविन्‍द्र को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया गया। सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक मुहम्मद रियाज खां ने पक्ष रखा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण मामला वर्षो खिंचता चला गया।

एक आरोपित का मामला किशोर न्याय बोर्ड को

सन्हौला थाना क्षेत्र के पोठिया गांव निवासी धनंजय चौधरी की हत्या खेत का पानी बहाने के विवाद में कर दी गई थी। इस मामले में विजयकांत चौधरी के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें रविन्‍द्र चौधरी, चतुरानंद चौधरी, मदन कुमार चौधरी, चंद्रकिशोर चौधरी और राम विलास चौधरी को आरोपित बनाया गया। ट्रायल के दौरान चंद्रकिशोर और रामविलास की मृत्यु हो चुकी है। र¨वद्र और चतुरानंद का ट्रायल अष्टम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश एमपी सिंह की अदालत में चल रहा था। इसी हत्या में तीसरे आरोपित मदन कुमार चौधरी की ओर से उसके अधिवक्ता ने पूर्व में न्यायालय में यह अर्जी दी थी कि वारदात के समय वह नाबालिग था। इसलिए उसकी सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में कराई जाए। इस वजह से जिंदा बचे तीसरे आरोपित का केस रिकार्ड किशोर न्याय बोर्ड स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां बोर्ड का निर्णय आना बाकी है।

जिस धनंजय चौधरी की हत्या हुई, उनके बेटे तब बच्चे थे। चार बेटों में तीन अधेड़ हो चले हैं। सबसे बड़े लड़के दिलीप कुमार चौधरी की मृत्यु डेढ़ साल पूर्व हो गई। अन्य तीनों बेटे शंकर प्रसाद चौधरी, सुभाषचंद्र चौधरी और सबसे छोटे संजय कुमार चौधरी मुकदमे की सुनवाई की हर तिथि पर सभी झंझावातों को ङोलते हुए भी पहुंचते रहे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली थी। इसको लेकर भी निराश थे। पुलिस, अस्पताल, जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैये से निराश हो चुके बेटों ने हौसला नहीं छोड़ा। उन्हें अदालत पर भरोसा था। न्यायालय ने जब एक आरोपित को मुजरिम ठहराया तो संजय कुमार चौधरी ने कहा- जय भगवान बड़ी इंतजार करलियै, लेकिन न्याय मिली गेलै (बहुत इंतजार किया, लेकिन न्याय मिल गया।

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