Chaitra Navratra 2021: घर में शांत, पवित्र और एकाग्रता से मातारानी की आराधना लाभकारी, नीम पत्ता और फल सेवन की परंपरा ज्यादा महत्वपूर्ण
Chaitra Navratra 2021 चैत्र नवरात्रा शुरू हो गया है। इस बार कोरोना के कारण ज्यादा तर मंदिर बंद हैं। लोग अपने घरों में माता की पूजा कर रहे हैं। इस दौरान नीम के पत्ते और फल के सेवन करने की परंपरा कोरोना को देखते हुए लाभकारी होगा।
संवाद सहयोगी, भागलपुर। चैत्र नवरात्र पर घर में शांत, पवित्र और एकाग्र होकर मातारानी की आराधना ज्यादा और जल्द लाभकारी है। नौ दिनों तक पूजा, व्रत और ध्यान के साथ ही नीम के पत्ते खाने की भी परंपरा है। कोरोना काल में ये परंपराएं और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई हैं, क्योंकि इनका संबंध हमारी सेहत से है।
जिछो दुर्गा मंदिर के पूजारी शरद मिश्रा बताते हैं कि एक साल में चार बार नवरात्र आता है और चारों बार ये पर्व दो ऋतुओं के संधिकाल में ही आता है। संधिकाल अर्थात एक ऋतु जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय। अभी बसंत ऋतु के जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है और चैत्र नवरात्र मनाया जा रहा है। इस समय मौसमी बीमारियों का असर काफी बढ़ जाता है, जो भी परंपराएं हैं, वे इसी बदलाव को दिनचर्या में उतारने के लिए हैं।
नीम की पत्तियों से लाभ
अध्यात्म और आयुर्वेद में नीम के पत्तियों के सेवन नवरात्र व उपवास में करने की परंपरा है। इसकी पत्तियों का रोज सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो हम बीमार कम होंगे। हमारी इम्युनिटी बढ़ती है। इसलिए नीम का सेवन करने की परंपरा प्रचलित है। इन दिनों में शरीर स्वस्थ रहेगा तो पूजा-पाठ में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी। कोरोना काल में ये परंपरा का महत्व और भी बढ़ गया है।
चैत्र नवरात्र के समय मौसम न तो बहुत ज्यादा गर्म होता है और न ही बहुत ज्यादा ठंडा। ऐसे वातावरण में एकाग्रता बनाए रखना आसान है। आरामदायक कपड़े पहनें और खाली पेट ध्यान करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। एकाग्र मन के साथ किए गए ध्यान से बहुत जल्दी लाभ मिल सकता है। भक्ति, पूजा-पाठ, व्रत-उपवास एकाग्रता के साथ कर पाते हैं। घर में शांत और पवित्र जगह पर माता रानी की आराधना करें।
नवरात्र में फलाहार लाभप्रद
डॉ. श्याम नारायण प्रसाद कहते हैं कि फलों से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिल जाती है। फल आसानी से पच भी जाता है। अगर इन दिनों में अन्न का सेवन किया जाएगा तो पूजा-पाठ के समय आलस की वजह से एकाग्रता टूट सकती है। पूजा एक जगह बैठकर करनी होती है और ऐसे में अन्न खाएंगे तो बैठे-बैठे अन्न पचेगा नहीं, अपच हो सकता है। पूजा-पाठ में एकाग्रता बनी रहे और आलस दूर रहे, इसलिए नवरात्र में फलों का सेवन खासतौर पर किया जाता है।