सृजन घोटाला : अकूत बेनामी संपत्ति जुटाने वाले सरकारी सेवकों पर नजर, CBI ऐसे सेवकों की खंगाल रही कुंडली
Srijan scam Bhagalpur सीबीआइ की टीम बैंक खाते रकम हस्तांतरण प्रक्रिया किन लोगों के खाते में मोटी रकम भेजी गई किन सरकारी सेवकों व नेताओं ने अपने या अपनी पत्नी के नाम पर कर्ज लिया था आदि की जांच कर रही है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। चर्चित सृजन घोटाले में आरोपितों से रकम लेकर निवेश करने वाले सरकारी सेवकों पर सीबीआइ की नजर है। अबतक सामने आए सरकारी सेवकों और बैंक अधिकारियों की भूमिका नापी गई थी। सृजन की खेवनहार रही मनोरमा देवी और उसके बेटे अमित कुमार की करोड़ों की राशि जमीन, होटलों व फ्लैटों में लगाई गई है। अमित कुमार और उनकी पत्नी प्रिया कुमार अब तक फरार है।
सीबीआइ कर रही है जांच
बताया जा रहा है कि सीबीआइ की टीम सृजन से जुड़े बैंक खाते, रकम हस्तांतरण प्रक्रिया, किन-किन लोगों के खाते में मोटी रकम भेजी गई, किन सरकारी सेवकों व नेताओं ने अपने या अपनी पत्नी के नाम पर कर्ज लिया था आदि मामलों की जांच कर रही है। जिला प्रशासन में तैनात तीन लिपिक वर्ग के सेवकों की संपत्ति की भी जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आ रही है कि बाइपास में करोड़ों की जमीन में पैसा तब लगाया गया जब उस जमीन की पैमाइश बाइपास के नाम पर होने वाली थी। तब यह चर्चा सरकारी महकमे की फाइलों में ही कैद थी। उस समय कई एकड़ जमीन में रुपये निवेश किए गए। रकम निवेश करने में तब मनोरमा देवी के साथ साये की तरह दिखने वाले लिपिक के शामिल होने की बात कही जा रही है।
कई राज्यों में लगाई गई है रकम
सृजन घोटाले की रकम भागलपुर, पटना, कोलकाता और बेंगलुरु के अलावा झारखंड के रांची व गोड्डा में भी लगाई गई। एक लिपिक ने तब खुद को एक पूर्व डीजीपी का रिश्तेदार बताकर अपना प्रभाव बना रखा था। इसी के सहारे वह कार्रवाई की जद से बचता रहा। बताया जा रहा है कि सहकारिता विभाग के प्रशासक की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के बाद सीबीआइ की निगाह में ऐसे निवेश की परत खुलने लगी है। बताया जा रहा है कि जल्द ही ऐसे सरकारी सेवक सीबीआइ जांच की जद में होंगे।