आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर बस में आग, जिंदा जला यात्री, सुपौल के लोग थे सवार

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस पर बस में आग लगने से सुपौल के एक मजदूर की मौत हो गई। बस पर 70 लोग सवार थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 16 Aug 2020 01:49 PM (IST) Updated:Sun, 16 Aug 2020 01:49 PM (IST)
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर बस में आग, जिंदा जला यात्री, सुपौल के लोग थे सवार
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर बस में आग, जिंदा जला यात्री, सुपौल के लोग थे सवार

सुपौल, जेएनएन। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर रविवार तड़के हादसा हो गया। डिवाइडर से टकराने के बाद स्लीपर कोच बस में अचानक आग लग गई। बस में सो रहे यात्रियों में से एक जिंदा जल गया, दो झुलस गए। हादसा सुबह लगभग साढ़े पांच बजे नसीरपुर थाना क्षेत्र में 54 किमी के पास हुआ। बिहार के सुपौल से मेहसाणा गुजरात जा रही रवीना ट्रैवल्स जोधपुर की एसी स्लीपर कोच बस में 70 यात्री सवार थे। अचानक बस डिवाइडर से टकराई और चढ़ गई। अगले की पल बस में आग लग गयी। हादसे में बस का अगला शीशा टूटने से परिचालक नीचे गिर गया। चीखपुकार के बीच यात्री किसी तरह बस से बाहर निकले, मगर एक यात्री घायल होने के कारण बाहर नहीं निकल सका और आग ने बस को अपनी चपेट में ले लिया। यूपीडा की सूचना पर एसपी ग्रामीण राजेश कुमार कई थानों के फोर्स और फायर ब्रिगेड की गाड़ी के साथ पहुंचे। लगभग आधा घंटे में बस की आग पर काबू पाया गया।

एसपी ने बताया हादसे में 30 वर्षीय यात्री विष्णु ऋषिदेव पुत्र काडा ऋषि देव निवासी पिपहा छाता पुर सुपौल की मौत हो गई, वही बस स्टाफ के दो लोग झुलस गए है। यात्रियों को अन्य वाहनों से रवाना कर दिया गया। हादसे की वजह ड्राइवर को नींद की झपकी आना माना जा रहा है। फिलहाल वह फरार है।

डेढ़ साल पहले लगी थी ऐसी ही

एक्सप्रेस वे पर डेढ़ साल पहले स्लीपर कोच बस में आग लगने की घटना हुई थी, जिसमें मां बेटी जिंदा जल गई थी। आज हुए घटना में यात्रियों के बस से निकलने में कुछ मिनट देर हो जाती तो हालात भयानक होते।

मौत से स्‍वजनों में शोक, अब कैसे होगा भरण-पोषण

सुपौल के छातापुर प्रखंड अंतर्गत घीवहा पंचायत के वार्ड संख्या एक निवासी विशुन ऋषिदेव की मौत के बाद गांव में मातमी सन्‍नाटा पसरा हुआ है। विशुन पड़ोसी पंचायत गुड़िया निवासी फुलेश्वर ऋषिदेव के साथ रोजी रोटी की खोज में बीते शुक्रवार को गुजरात जा रहा था जहां आगरा के समीप उनकी बस दुर्घनाग्रस्त हो गयी। स्थानीय पुलिस द्वारा मृतक की पहचान करते हुए उनके परिजनों को जैसे ही घटना की खबर दी गई उनके परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों के अनुसार विशुन ऋषिदेव दो भाई है, एक भाई अपने ससुराल में ही रहता है। वह काफी गरीब था और उसके पास सिर ढकने के लिए एक घर तक नहीं है। वह प्रायः मजदूरी कर ही अपने परिवार का भरण पोषण करता था। वह किसी तरह  सड़क  किनारे घर बनाकर अपना जीवन यापन कर रहा था। विशुन की मौत से उसके परिवार के ऊपर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उसकी पांच संतान हैं, जिनका भरण-पोषण उसकी मजदूरी से ही होता था। परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य के चले जाने से अब उसके परिवार के पास रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। मृतक की पत्नी रंजन देवी के आंसू नहीं थमते दिख रहे। रोते बिलखते अपने सभी संतानों में बड़ा लड़का भवेश कुमार (10 वर्ष), प्रवेश कुमार (8 वर्ष), कुमोद कुमार (6  वर्ष),  सोनी कुमारी (4 वर्ष), बबिता कुमारी  (2 वर्ष) को सीने से लगाये। वैसे भी विशुन ने मजदूरी कर लाई गई रकम से उसके परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पाता था। अब जबकि परिवार में कमाई का कोई जरिया ही नहीं रहा तो ऐसे में उसके संपूर्ण परिवार के ऊपर मुसीबत का काला साया सा घिर आया है। आस पड़ोस के लोगों की माने तो लॉकडॉन में घर बैठे रहने के कारण उसके ऊपर काफी कर्ज़ चढ़ गया था। जिस कारण वह परदेश जा रहा था ताकि कुछ कमाई कर घर चला सके परंतु तकदीर को कुछ और ही मंजूर था।

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