बिहार-झारखंड को जोड़ने वाले चीर नदी पर पुल निर्माण का रास्‍ता साफ, जनवरी के पहले सप्‍ताह में होगा टेंडर

बिहार-झारखंड को जोड़ने वाले चीर नदी पर पुल निर्माण का रास्‍ता साफ हो गया है। जनवरी के पहले सप्‍ताह में पुल का टेंडर निकाला जाएगा। 24 महीने के अंदर पुल का काम पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 01:35 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 01:35 PM (IST)
बिहार-झारखंड को जोड़ने वाले चीर नदी पर पुल निर्माण का रास्‍ता साफ, जनवरी के पहले सप्‍ताह में होगा टेंडर
बिहार-झारखंड को जोड़ने वाले चीर नदी पर पुल निर्माण का रास्‍ता साफ हो गया है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार को झारखंड से जोडऩे वाले भागलपुर-गोड्डा मार्ग पर पंजवारा के पास चीर नदी पर प्रस्तावित पुल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इस पुल का टेंडर किया गया है। सात जनवरी 2022 को टेंडर की तकनीकी बिड खुलेगी। इसमें सफल एजेंसी की वित्तीय बिड खोली जाएगी। चयनित एजेंसी को 24 महीने में पुल निर्माण पूरा करना होगा।

-बिहार-झारखंड को जोडऩे वाले पुल निर्माण का रास्ता साफ, सात जनवरी को खुलेगा टेंडर, तकनीकी बिड में सफल एजेंसी की खोली जाएगी वित्तीय बिड -चयनित एजेंसी को 24 माह में पूरा करना होगा पुल निर्माण

ठीकेदार को छह जनवरी तक टेंडर भरने का समय दिया गया है। इसके लिए 10 हजार आवेदन शुल्क है। 40 करोड़ की लागत से बनने वाले उच्च स्तरीय पुल निर्माण का अक्टूबर में शुरू करने की योजना थी, लेकिन डिजिटल सिग्नेचर के पेंच में मामला री-टेंडर में फंस गया। अब मार्च 2022 में इस पुल का निर्माण शुरू होगा और जनवरी 2024 में चालू करने की योजना है।

इधर, इस पुल के बनने से गोड्डा और भागलपुर के बीच आवागमन सुलभ होगा। भागलपुर का गोड्डा से सड़क मार्ग से संपर्क बना रहेगा। पुल का निर्माण इंजीनियरिंग प्रॉक्यूरमेंट कंस्ट्रक्शन (इपीसी) मोड में होगा। एनएच विभाग के अधिकारियों के अनुसार पुल बनाने वाली एजेंसी को ही इंजीनियरिंग डिजाइनिंग और कंस्ट्रक्शन कार्य करना होगा। चीर नदी पर 58 साल पूर्व निर्मित पुल जर्जर हो चुका है। पुल मरम्मत कराने लायक तक नहीं है।

वाहनों के दवाब झेलने की स्थिति में नहीं है। पुल कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। बिहार को झारखंड व बंगाल से जोडऩे वाला यह महत्वपूर्ण पुल है। इस पुल का वर्ष 1963 में कराया गया था। उचित रखरखाव के अभाव में पुल खराब हो गया। इस पुल पर भागलपुर, धोरैया, गोड्डा, बांका सहित बंगाल व झारखंड के प्रतिदिन छोटे-बड़े 20 हजार से अधिक वाहनों का परिचालन होता है।  

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