लाल बालू का काला खेल... बांका के लोहागढ पुल पर मंडराने लगा खतरा, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

बांका में लाल बालू का काला कारोबार जारी है। बालू माफिया के कारण अब लोहागढ़ पुल के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। प्रशासन सब कुछ जान कर भी मौन है। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 12:15 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 12:15 PM (IST)
लाल बालू का काला खेल... बांका के लोहागढ पुल पर मंडराने लगा खतरा, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
बांका में लाल बालू का काला कारोबार जारी है।

जागरण संवाददाता, बांका। शंभूगंज क्षेत्र के मालडीह गांव के समीप लोहागढ़ नदी से इन दिनों अवैध तरीके से बालू का उठाव तेजी से हो रहा है। अब तो बालू माफिया पुल से सटे बालू का उत्खन्न करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इससे पुल पर खतरा मंडराने लगा है। इससे आसपास के लोगों चिंतित हैं। 

पश्चिम छोर का धंसने लगा है पाया

बालू के अवैध उत्खनन से पुल के पश्चिमी छोर का पाया धंसना शुरू हो चुका है। यदि यह सिलसिला जारी रहा तो पुल का पाया कभी भी ध्वस्त हो सकता है। स्थानीय निवासी माधव प्रसाद ङ्क्षसह , दीपनारायण ङ्क्षसह , ज्योतिष प्रसाद सहित अन्य ने बताया कि वर्ष 2014 - 15 में लोहागढ़ नदी पर ग्रामीण कार्य विभाग योजना के तहत पुल का निर्माण किया गया है। पुल निर्माण हुए मुश्किल से छह वर्ष भी नहीं हुए हैं, पीलर पर असर पडऩा शुरू हो गया है। लेकिन इस पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।

पाया के 50 मीटर के दायरे में नहीं करना है खनन

सरकार के गाइड लाइन के हिसाब से नदी में पुल से 50 गज की दूरी तक बालू उत्खनन अवैध है। इसके बावजूद भी माफिया द्वारा पुल के पाये से सटे बालू उत्खन्न करने से परहेज नहीं कर रहे हैं। ग्रामीण बालू माफियाओं के सामने कुछ भी कहने से परहेज करते हैं , और शासन - प्रशासन को कोई मतलब नहीं है। यहां तक कि शिकायत करने के बावजूद भी प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ता है। यदि पुल क्षतिग्रस्त हुआ तो मालडीह, भरतशीला , झालूचक , भूमिहारा , परमानंदपुर , टिंटही , भलुआ सहित दर्जनों गांव प्रभावित होंगे। इस बाबत अंचलाधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि लोहागढ़ नदी से पुल के समीप बालू उत्खनन होना गंभीर विषय है। बालू उठाव पर अंकुश लगे , इसके लिए प्रयासरत हैं। दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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