पूर्णिया की परवल से पकेगी हैदराबाद की बिरयानी, परवल मैन मायनंद विश्वास तैयार कर रहे छह किस्मों के पौधे, जानिए क्यों है खास
अब पूर्णिया की परवल से हैदराबाद की बिरयानी पकेगी। इकसे लिए यहां पर परवल मैन द्वार छह विशेष किस्मोंं के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन पौधों की सप्लाई हैदराबाद की जाएगी। इसकी वहां काफी मांग हो रही है।
पूर्णिया [राजीव कुमार]। अब पूर्णिया के परवल से हैदराबाद की बिरयानी पकेगी। यहां के परवल के पौधे से तैयार परवल के स्वाद ने दक्षिण भारत के लोगों को दीवाना बना दिया है। यही वजह है की यहां तैयार छह किस्मों के परवल के पौधों की मांग बढ़ी है। बताया जाता है की इस परवल के उपयोग सें खासकर वेज बिरयानी काफी लजीज बन रही है। पूर्णिया के गढ़बनैली के बनैली सिंधिया पंचायत के रहने वाले किसान मायानंद विश्वास द्वारा तैयार परवल के पौधे की मांग ना केवल हैदराबाद बल्कि बंगाल एवं बिहार के कई जिलों में परवल की खेती करने वाले किसानों के बीच काफी मांग है। पहले किसानों द्वारा परवल की खेती इसकी लत लगाकर की जाती थी। लेकिन कलम विधि से तैयार इसके पौधे ने परवल की खेती में नयी क्रांति लाया है। परवल के कलम विधि से तैयार परवल ना केवल स्वाद के मामले में लाजवाब है बल्कि परवल का साइज एवं इसके उत्पादन में भी काफी इजाफा हुआ है। पूर्णिया के किसान मायानंद विश्वास दो वर्षों से परवल के कलम विधि से पौधे तैयार कर रहे हैं।
पिछले वर्ष उनके द्वारा लगभग डेढ़ लाख परवल के पौधे तैयार किए गए थे। इस बार वे तीन लाख पौधे तैयार कर रहे हैं। उनके अनुसार परवल के पौधे की बढ़ती हुई मांग को देखकर किया जा रहा है। उनके अनुसार पिछले वर्ष हैदराबाद की कंपनी गौस कंपनी द्वारा 25 हजार परवल के पौधे मंगाए गए थे। इस बार उसकी मांग पचास लाख पौधे की है। इसी तरह बंगाल एवं बिहार के समस्तीपुर मुज्जफरपुर, झारखंड के साहिबगंज में उनके परवल के पौधे की काफी मांग है।
एक परवल के पौधे की 20 से 25 रूपए तक में होती है बिक्री
किसान मायानंद विश्वास की मानें तो उनके द्वारा तैयार परवल के पौधे 20 से पच्चीस रूपए तक बिकते हैं। एक पौधे को तैयार करने में चार से पांच रूपए तक का खर्च आता है। पिछले वर्ष परवल के पौधे की बिक्री से उन्हें चार से पांच लाख की आय हुई। परवल का पौधा तैयार करने में 15 दिनों तक का समय लगता है। परवल का कलम कर पौधा तैयार करने का प्रशिक्षण उन्हें सबौर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया था। उस प्रशिक्षण के बाद वे खुद अपने स्तर से कई किस्मों के परवल के पौधे एक दूसरे को क्रास कर तैयार करने लगे। परवल की कई किस्में तैयार करने के लिए राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा सम्मानित भी किया गया है।
पूर्णिया के किसान के तैयार परवल के कलम कर तैयार किए पौधे की मांग हैदराबाद में बढ़ी है, वहां यहा के परवल को वेज बिरयानी में उपयोग किया जा रहा है जिस कारण वहां इसकी काफी मांग बढ़ी है। समुद्र किनारे के इलाकों में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए खेती का दायरा भी बढ़ाया गया है। - सीमा कुमारी कृषि वैज्ञानिक कृषि केन्द्र जलालगढ़
पूर्णिया में तैयार किए जा रहे छह किस्म के परवल के पौधे
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कैसे तैयार किया जाता है परवल का कलम से पौधा
परवल का पौधा तैयार उसकी लत से कलम द्वारा तैयार किया जाता है। चार इंच की लत को तीन बाई चार इंच के पोली बैंग में मिट्टी डाल के भर दिया जाता है। कुछ दिनों के बाद जब अंकुरण हो जाता है तो उसे वहां से काट कर अलग कर दिया जाता है। फिर इस पौधे की आपूर्ति मांग के अनुसार बाजारों में की जाती है। पूर्णिया में तैयार परवल के पौधे की मांग हैदराबाद के अलावा बिहार के कई जिलों एवं बंगाल में भी काफी है।