JLNMCH Bhagalpur के बायो कचरे से कराह रहीं गंगा, चार MLD तक बहाया जाता है पानी
भागलपुर में चार एमएलडी तक बहाया जाता है पानी प्रतिदिन मुसहरी घाट पर गंगा की धारा में। 500 मीटर के दायरे में कचरा फेंकने और 100 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक है गंगा एक्शन प्लान के तहत।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। अस्पतालों के कचरे के निस्तारण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्त पाबंदी है। इसके मानक के अनुरूप बायो वेस्ट का निस्तारण अस्पताल प्रबंधन को करना है। सूखे बायो वेस्ट को प्रोसेसिंग प्लांट तो भेजा जाता है, लेकिन आपरेशन थिएटर व वार्डों की सफाई कर नालों के जरिये बायो वेस्ट गंगा बहाए जाने से निर्मलीकरण का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। मायागंज अस्पताल में लिक्विड बायो वेस्ट के ट्रीटमेंट की सुविधा नहीं है। नतीजा, अस्पताल का कचरा व वार्डों से लेकर आपरेशन थिएटर का बायो केमिकल सीधे गंगा में बहाया जाता है।
अस्पताल में नहीं है ट्रीटमेंट प्लांट
मायागंज अस्पताल के पीछे मुसहरी घाट से होकर गंगा की धार गुजरती है। इसमें अस्पताल का पानी नालों के सहारे सीधे प्रवाहित किया जा रहा है। यह गंदगी नाले के जरिए गंगा में मिलती है। बेहद बदबूदार और केमिकल मिले गंदे पानी से आस-पास का वातावरण बेहद दूषित होने लगा है। प्रतिदिन चार एमएलडी (मिलियन्स आफ लीटर पर डे) पानी बहाया जाता है। पालीथिन से लेकर साबुन और मलमूत्र की मात्रा ने गंगा को अब नहाने लायक भी नहीं छोड़ा है। एनजीटी के निर्देश के मुताबिक अस्पताल में वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एसटीपी नहीं है। वहां अब भी आपरेशन थिएटर से निकलने वाले जैविक कचरे को सीवर में बहाया जा रहा है।
गंगा घाट पर एंबुलेंस की सफाई
गंगा में गंदगी को प्रवाहित करना तो छोडि़ए यहां तो एंबुलेंस की धुलाई की खुली छूट है। अस्पताल में मरीजों को पहुंचाने के बाद एंबुलेंस मुसहरी घाट पर पहुंचते हैं। प्रतिदिन करीब 20 से अधिक सर्विसिंग सेंटर में वाशिंंग बजाय मुसहरी घाट में एंबुलेंस खड़ी कर दी जाती है। गंगा जल से एंबुलेंस को सैंपू और साबुन आदि से धुलाई की जा रही है। इससे गंगा की धारा में तेल, मोबिल व बायो वेस्ट बहाया जा रहा है।
इन नालियों से मिलता का बायो वेस्ट
इतना ही नहीं मायागंज व सुरखीकल के क्षेत्र में निजी नर्सिंग होम भी है। इस होकर चारों नाले का गंदा पानी ट्रीटमेंट के बिना गंगा नदी में बहाया जा रहा है। डीएम आवास से लेकर नूरपुर तक, मिश्रा टोला से नवीन गांगुली रोड तक, सिंचाई विभाग से खंजरपुर तक एवं सुरखीकल से लेकर हथिया नाला की स्थिति नारकीय बनी हुई है। हथिया नाले का पानी सीधे खंजरपुर व मुसहरी घाट के आसपास गंगा में प्रवाहित किया जाता है। इससे नदी का जल प्रदूषित हो रहा है।
अस्पताल में ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं है। इसके लिए अभी कार्ययोजना नहीं बनी है। शहर में नमामि गंगे परियोजना के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा। इसका फायदा अस्पताल को मिलेगा। - डा. एके दास, अस्पताल अधीक्षक