सुपौल में बायो डायवर्सिटी पार्क बनने का रास्ता साफ, सहेजे जाएंगे दुर्लभ पौधे, पिकनिक स्पाट की तरह होगा विकसित
सुपौल में बायो डायवर्सिटी पार्क बनने का रास्ता साफ हो गया है। बायो डायवर्सिटी पार्क बनने से न सिर्फ लोगों को प्रकृति को करीब से जानने का मौका मिलेगा बल्कि यह पार्क एक बड़े पिकनिक स्थल के रूप में भी विकसित होगा।
संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। बिहार में एक औऱ जैव विविधता पार्क निर्माण की सहमति भारत सरकार द्वारा दी गई है। इसको लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग वन प्रमंडल सुपौल जमीन तलाशना शुरू कर दिया है। बता दें कि बायो डायवर्सिटी पार्क बनने से न सिर्फ लोगों को प्रकृति को करीब से जानने का मौका मिलेगा, बल्कि यह पार्क एक बड़े पिकनिक स्थल के रूप में भी विकसित होगा। अभी दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अलावा बिहार के अररिया और गया में बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित हैं।
इसकी तर्ज पर नमामि गंगे परियोजना के तहत ये पार्क विकसित किए जा रहे हैं। इसको लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार शरण ने जिलाधिकारी सुपौल को जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह करते हुए एक पत्र लिखा है। वन प्रमंडल पदाधिकारी ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में जिलांतर्गत 25 से 30 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की मांग करते हुए बताया है कि भारत सरकार द्वारा बिहार में एक औऱ जैव विविधता पार्क निर्माण हेतु सहमति दी गई है। इसके लिए कम से कम 25 से 30 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। यदि सुपौल में भूमि उपलब्ध होती है तो यहां एक जैव विविधता पार्क की स्थापना की जा सकती है।
-नमामि गंगे परियोजना विकसित किया जाएगा यह पार्क
-बिहार का होगा तीसरा पार्क, सरकार तलाश रही जमीन
एसडीओ ने सीओ को दिया निर्देश
गौरतलब है कि वरीय अधिकारियों से प्राप्त निर्देश के आधार पर त्रिवेणीगंज एसडीओ एसजेड हसन द्वारा अंचलाधिकारी त्रिवेणीगंज और छातापुर को जैव विविधता पार्क निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने को कहा गया है। अनुमंडल पदाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया है कि जैव विविधता पार्क निर्माण हेतु उपर्युक्त भूमि का आकलन का प्रस्ताव जल्द उपलब्ध कराया जाए ताकि प्रस्ताव भेजा जा सके।
बोले वन प्रमंडल पदाधिकारी
जैव विविधता पार्क के संबंध में पूछे जाने पर वन प्रमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार शरण ने बताया कि इस पार्क में विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। इसमें वैसे पौधे भी होंगे जो विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं या फिर दुर्लभ हैं। इन पौधों की विशेषताओं की जानकारी भी यहां आनेवाले लोगों को दी जाएगी। इससे पर्यावरण को फायदा पहुंचेगा ही साथ ही इस इलाके हुए पौधों की प्रजातियां और उनकी विशेषताओं से लोग अवगत हो सकेंगे। पार्क के बन जाने से इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में भी फायदा होगा क्योंकि यह बिहार में अररिया और गया के बाद तीसरा बायो डायवर्सिटी पार्क होगा। इसके लिए जमीन की खोज की जा रही है।