पिता की हसरत को पूरा कर में जुटी है मोनिका
बिहपुर [मिथिलेश कुमार] गांव के परिवेश में बेटियों के पहनावे और खेलकुद के दायरे बने
बिहपुर [मिथिलेश कुमार]
गांव के परिवेश में बेटियों के पहनावे और खेलकुद के दायरे बने हुए हैं। अगर सयानी लड़की हाफ पैंट पहनकर खेल के मैदान पर उतरे तो उसे हतोत्साहित करने में लोग कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन पिता की हसरत पूरी करने के लिए किसान परिवार की इस बेटी ने सारी रूढि़वादिता, सारी बाधाओं की बंदिशों को तोड़ते हुए खरीक प्रखंड की राघोपुर पंचायत में नन्हकार गांव की बेटी मोनिका भारती ने कबड्डी के खेल में राष्ट्रीय प्रतियोगिता तक का सफर तय किया है। मोनिका महज सात-आठ साल की रही होगी कि वर्ष 2007 में उसके सिर से पिता सुरेश मंडल का साया उठ गया। पिता की हसरत थी कि उनकी बेटी पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करे। जिसे पूरा करने के लिए मोनिका पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी रुचि लेने लगी। तभी ग्रामीण परिवेश में मोनिका के लिए यह सब आसान नहीं था। पर उनकी मां मुनेश्वरी देवी समेत पूरे परिवार ने उसका भरपूर समर्थन किया। स्कूल में कबड्डी के खेल में मोनिका हमेशा अव्वल रहती थी। इसलिए आगे बढ़ने के लिए कबड्डी को ही चुना। भागलपुर जिला कबड्डी के संघ के अध्यक्ष अरविद चौधरी व सचिव गौतम कुमार प्रीतम बताते हैं कि अपनी प्रतिभा के दम पर मोनिका हमेशा आगे बढ़ती रही। मधुबनी में 2017 में आयोजित स्टेट सीनियर कबड्डी प्रतियोगिता के अलावा पूर्व में मोनिका दो बार जुनियर स्टेट कबड्डी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की ओर से 2016 में बनारस में राष्ट्रीय विश्वविद्यालय कबड्डी प्रतियोगिता 2017 में मध्यप्रदेश और 2018 में ओडिशा में आयोजित प्रतियोगिता में खेलते हुए राष्ट्रीय पटल पर अपना लोहा मनवा चुकी है। मोनिका को देखकर गांव की अन्य लड़कियां भी अब खेल के मैदान पर पहुंचने लगी हैं। फिलवक्त मोनिका ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद खेल कोटे से सरकारी नौकरी तैयारी में भी जुटी हुई है। मोनिका कहती है कि कल तक जो लोग लड़की होने के नाते खेल मैदान में मेरे जाने व खेलने के खिलाफ थे, वे आज प्रोत्साहित कर रहे हैं।