JLNMCH रचेगा इतिहास, राज्य में ब्लैक फंगस का पहला आपरेशन होगा आज, निजी अस्पतालों में 10 लाख तक आती है खर्च
जेएलएनएमसीएच आज इतिहास रचने जा रहा है। यहां पर राज्य में पहली बार ब्लैक फंगस के मरीज का आज आपरेशन होगा। इसको लेकर मेडिकल कालेज प्रशासन की ओर से सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। अभी यहां चार मरीज भर्ती हैं।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में ब्लैक फंग्स के मरीज का ऑपरेशन शनिवार को किया जाएगा। राज्य में नौ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सिर्फ मायागंज अस्पताल में ही डिब्राइडर मशीन के आने के बाद किया जाएगा। ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डा एसपी ङ्क्षसह ने कहा कि अभी चार मरीज भर्ती हैं। एक मरीज का ऑपरेशन शनिवार को तो दूसरे मरीज का ऑपरेशन सोमवार को किया जाएगा। मशीन के अभाव की वजह से कई मरीजों को पटना भेजा गया था, अब ऐसी स्थिति नहीं आएगी।
ईएनटी विभाग के सह प्रध्यापक करेंगे आपरेशन
ईएनटी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. धर्मेद्र कुमार ऑपरेशन करेंगे। उन्होंने कहा कि नवगछिया भवानीपुर की 45 वर्षीय इंदू देवी को 10 दिन पहले ईएनटी विभाग में भर्ती किया गया था। शनिवार को ऑपरेशन होगा, वहीं करिया निवासी 60 वर्षीय विमला देवी का ऑपरेशन सोमवार को किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पटना एम्स और आईजीएमएस में ब्लैक फंग्स के मरीजों का ऑपरेशन किया जाता है। निजी अस्पताल में ऑपरेशन का खर्च तकरीबन 10 लाख रुपये है। मायागंज अस्पताल में ऑपरेशन निशुल्क किया जाएगा।
मेडिसीन विभाग में टीएमटी और इंडोस्कोपिक मशीन बंद
मायागंज अस्पताल के मेडिसीन विभाग में लाखों रुपये की टीएमटी और इंडोस्कोपिक मशीन शो पीस बनी हुई है। प्रतिदिन मरीज अस्पताल से लौट रहे हैं। क्लीनिकों में राशि देकर इंडोस्कोपिक और टीएमटी करवा रहे हैं। अस्पताल में फिजिसियन द्वारा जांच किया जाता था, अब बंद है। हालांकि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में विभाग में कोरोना मरीजों को भर्ती किया जाता था, इसलिए भी मशीन का उपयोग नहीं किया जा रहा था। लेकिन जून से जब विभाग में सामान्य मरीजों को भर्ती किया जाने लगा तो भी मशीन को अभी तक बंद रखा गया है।
टीएमटी मशीन यानि ट्रेड मिल टेस्ट मशीन दुरुस्त है लेकिन कर्मचारी दिसंबर में सेवानिवृत होने के बाद किसी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई। इसलिए मरीजों का टीएमटी नहीं किया जाता। इंडोस्कोपिक मशीन एक वर्ष से खराब है। लेकिन सर्जरी विभाग में इंडोस्कोपिक मशीन रहते हुए भी मेडिसीन के मरीजों की जांच नहीं की जाती। आउटडोर और अस्पताल में भर्ती मरीजों को टीएमटी या इंडोस्कोपिक करवाने की आवश्यकता होती है तो उन्हें निजी अस्पताल जाना पड़ता है। अस्पताल में इंडोस्कोपिक करवाने में दो सौ रुपये लिए जाते थे, क्लीनिक में एक हजार से ज्यादा लिए जाते हैं। शुक्रवार को कई मरीज बिना इंडोस्कोपिक करवाए लौट गए। अस्पताल अधीक्षक डा असीम कुमार दास ने कहा कि कहा परेशानी है इसकी जानकारी ली जाएगी।