Bihar: किशनगंज पहुंचा जंगली हाथी, फसलों को पहुंचा नुकसान, कई घर भी तोड़े, दहशत में लोग

बिहार के किशगनंज में जंगली हाथी का आतंक बढ़ गया है। काफी संख्‍या में हाथी यहां पहुंचे हैं। इससे लोग दशतम में है। फसल बर्बाद किया जा रहा है। कई के घर तोड़ दिए गए हैं। कोरोना संकट से जूझ रहे लोग अब हाथी से परेशान हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 11:48 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 11:48 AM (IST)
Bihar: किशनगंज पहुंचा जंगली हाथी, फसलों को पहुंचा नुकसान, कई घर भी तोड़े, दहशत में लोग
किशगनंज में जंगली हाथी का आतंक कायम है।

जागरण संवाददाता, किशनगंज। पहले से ही दिघलबैंक प्रखंड के लोग कोरोना कहर से परेशान है। वही दूसरी ओर प्रत्येक दिन सीमावर्ती क्षेत्रों में जंगली हाथियों के उत्पात से लोग दहशत में दिन काट रहें हैं। शाम ढ़लते ही पिपला,डोरिया, मुलाबारी, हाथीडुब्बा आदि गांव के लोग हाथियों के मात्र आहट से भयभीत होकर रातजग्गा करने पर विवश हैं। इसका कारण यह है कि पिछले तीन महीना से नेपाल के जंगलों से आये करीब दो दर्जन हाथियों के झुंड ने दर्जनों कच्चे घरों को नष्ट कर दिया है। जबकि पिछले एक महीना में हाथियों ने अबतक दर्जनों किसानों के सौ बीधा से अधिक खेतों में लगे मक्का और गरमा धान के फसल को रौंद कर बर्बाद कर दिया है।

गुरुवार की सुबह पीपला गांव के समीप खेतों में आठ हाथियों को देखें जाने और तेज गर्जन की आवाज सुन दिन के समय ही अफरातफरी का माहौल हो गया। घर से बाहर खेतों में फसल काटने गए किसान जान बचाकर अपने अपने घरों की ओर भागने में सफल रहे।। इस दौरान कुछ लोग हाथियों के उत्पात और हाथियों को एक झलक देखने के घरों के छप्पर और बिजली के खंभों में चढ़ते देखा गया। ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार शाम तक आठ हाथियों का झुंड पीपला गांव के समीप खेतों में डेरा डाले है। जिससे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

दिघलबैंक पंचायत के अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्र के धनतोला पंचायत में मक्के की फसल शुरू होते ही नेपाल के घने जंगलों से निकलकर जंगली हाथियों का तांडव मक्के के खेतों में शुरू हो जाती है। ऐसे में कर्ज लेकर जो किसान खेती करते हैं वह अपने कर्ज के तले दब जाते  है। हाथियों का तांडव से पिछले वर्ष कई किसान अपनी जान भी गवां चुके हैं। जिसे हाथियों ने कुचल कर मार डाला था। ऐसे में किसान भय के माहौल में रहते हैं और अपना जीवन रात जागकर बिताते हैं।लेकिन यहाँ किसानों की सुधि लेना वाले वन विभाग सहित अन्य अधिकारी मूकदर्शक बने हुए है।

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