Bihar: कहां चली गई चिकित्‍सकों की मानवता, गरीब पीडि़त को बताया 'सामाजिक आपदा', खूब हो रहे ट्रोल

कोरोना काल से पूरा देश जूझ रहा है। ऐसे में कई ऐसे चिकित्‍सक हैं जो इस दौरान सभी मानवता को भूलकर लोगों से रुपये कमाने में लगे हैं। आइए आज हम भागलपुर के एक चिकित्‍सक की कहानी सुनाते हैं जिन्‍होंने एक मरीज को सामाजिक आपदा बताया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 06:10 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 06:10 AM (IST)
Bihar: कहां चली गई चिकित्‍सकों की मानवता, गरीब पीडि़त को बताया 'सामाजिक आपदा', खूब हो रहे ट्रोल
चिकित्‍सकों में नहीं है कोई मानवता, मरीजों से खूब कमा रहे रुपये।

भागलपुर, ऑनलाइन  डेस्‍क। बिहार के भागलपुर में इस कोरोना काल में भी चिकित्‍सकों की मानवता कहां चली गई, यह आज चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर जहां सामान्‍य लोग कोरोना में सेवा कार्य कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर चिकित्‍सक खुद इस आपदा को कमाई का जरिया बना लिए हैं। यहां तक कि चंद शब्‍द भी बेहतर तरीकों से वे नहीं बोलते हैं। निजी नर्सिंग होम में तो सिर्फ लूट ही लूट हो रही है। डॉक्‍टरों के इस कृत्‍य को लोग शर्मसार करने वाली बात बता रहे हैं। लोगों ने कहा कि डॉक्‍टर को भगवान का दर्जा दिया है। लेकिन समाज में ऐसे भी कई डॉक्‍टर हैं, जिन्‍होंने मानवता को झकझोर कर रखा दिया है।

आइए, आज हम बात करते हैं शहर के तिलकामांझी इलाके में एक चिकित्सक के क्लीनिक का। प्रसिद्ध चिकित्‍सक हैं। शाम हो चुका है, साढ़े तीन बज गए थे। काफी मरीजों की भीड़ थी। क्‍लीनिक में डॉक्‍टर के कक्ष के बाहर कोने में एक महिला गुमसुम बैठी है। वह करीब 24 साल की थी। उसके तीन छोटे-छोटे वहीं बैठा ए‍क-दूसरे से सटा हुआ था। तीनों मां से चिपका हुआ था।

इसी दौरान एक कंपाउंडर उससे कुछ सख्‍ती से पूछता है। लेकिन महिला सिर झुकाए ही रखती है। बैठी रहती है। महिला बदहवास स्थिति में है। जमीन पर नजरें टिकाए बैठी है। कंपाउंडर ने चैंबर में जाकर डॉक्टर साहब को इसकी सूचना दी। डॉक्टर साहब चैंबर से बाहर निकले। डॉक्टर ने महिला से सख्‍ती से पेश किया। आते ही गुस्‍से में कई सवाल पूछे। महिला बिना बोले वहीं बैठी थी। सिर झुका हुआ था। कठोर और डांट डपट करने के बाद वह सिर्फ इतना ही बोल पाई कि  उसके पति की मौत हो गई है। जगह का नाम खरीक बता रही थी। डॉक्टर साहब ने फोन निकाला और महिला की कई फोटो उतारीं। फ‍िर किसी को डॉक्‍टर साहब ने तस्‍वीर भेजा।

डॉक्टर साहब काफी गुस्से थे। कुछ से कुछ बुदबुदा रहे थे। इसके बाद उन्‍होंने पुलिस को फोन किया। उन्होंने फोन पर कहा, हैलो तिलकामांझी पुलिस, आप लोग तुरंत यहां आइए। यहां एक 'सामाजिक आपदा' आ गई है। इस सामाजिक आपदा को मेरे क्‍लीनिक से ले जाइए। कुछ देर बाद एक पुलिस पदाधिकारी वहां पहुंचे। दो महिला सिपाही भी उनके साथ थे।

पुलिस पदाधिकारी ने महिला से काफी पूछताछ की। लेकिन वह कुछ ज्यादा बोल नहीं रही थी। बच्चे सुबह से भूखे हैं। सभी बच्‍चे रो रहे थे। लेकिन डॉक्टर की संवेदना जरा भी नहीं जगी। डॉक्टर ने 'सामाजिक आपदा' कहकर मानवता को शर्मसार कर दिया, उन्‍होंने मानवता का मजाक बनाया। वहां से महिला को उनके बच्‍चों के साथ जल्द हटाने को कहा। वहां मौजूद मरीजों के स्वजन ने महिला को कुछ पैसे दिये। बच्‍चे को खाना खिलाने को कहा। इसके बाद पुलिस वाले उसे वहां से साथ ले गए। बच्‍चों के साथ महिला के जाने के बाद डॉक्टर साहब ने राहत ली।

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