बिहार राज्य दंडादेश परिहार परिषद: दो उम्रकैदी को मिला मुक्ति का लाभ, भागलपुर जेल के कैदी निकलेंगे बाहर
राज्य दंडादेश परिहार परिषद की बैठक में शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में बंद तीन बंदियों को मुक्ति का दिया गया निर्देश एक बंदी के अर्थ दण्ड नहीं जमा करने से नहीं मिली मुक्ति। अच्छे आचरण वाले बंदियों को देती है लाभ।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार राज्य दंडादेश परिहार परिषद की बैठक में शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा में बंद तीन उम्र कैदियों को मुक्ति का आदेश पारित कर दिया गया। जेल अधीक्षक संजय कुमार चौधरी ने तीन बंदियों में दो बंदी संजीव सिंह उर्फ मंगरा और पवन सिंह को बुधवार की देर शाम सभी आवश्यक कार्रवाई पूरी करते हुए सुरक्षित कारा से मुक्त कर दिया। जबकि रामचंद्र राउत को मूल सजा में मुक्ति तो मिल गई लेकिन अर्थ दण्ड जमा नहीं करने के कारण उसे मुक्त नहीं किया जा सका। अर्थ दण्ड राशि जमा होते ही उसे भी जेल प्रशासन मुक्त कर देगा।
अच्छे आचरण वाले बंदियों को सरकार देती है लाभ
उम्र कैद का मतलब अब सजा काट रहे बंदियों का मृत शरीर ही जेल से बाहर होगा। लेकिन बिहार सरकार जेल जीवन के दौरान बेहतर आचरण वाले ऐसे बंदियों को सजा का 14 साल पूरा कर लेने पर छह साल के परिहार का लाभ जोड़ते हुए उसे 20 साल की सजा पूरी कर लेना मानते हुए उन्हें विहित जांच प्रक्रिया पूरी कराते हुए समय-समय पर मुक्त करती रही है। इसके लिए बेहतर आचरण वाले बंदियों की निगरानी कराने के बाद सूबे की जेलों के अधीक्षक, प्रोवेशन पदाधिकारी, एसपी, गृह क्षेत्र के थानाध्यक्ष की रिपोर्ट जेल आइजी को भेजी जाती है। जिसे राज्य दंडादेश परिहार परिषद की बैठक में रखा जाता है। जिसकी समय-समय पर अमूमन छह माह में बैठक होती है। जिसमें राज्य के सभी प्रमुख सक्षम अधिकारी बैठते हैं। इनमें गृह सचिव, जेल आइजी भी शामिल होते हैं। उक्त परिषद की बैठक में ऐसे बंदियों के नामों पर विचार किया जाता है। उनसे संबंधित भेजी गई रिपोर्ट के अवलोकन में यह देखा जाता है कि जिसके नामों का प्रस्ताव लाया गया है क्या वह सही पात्र हैं। उनकी पात्रता मानक के अनुरूप होने पर उन्हें मुक्त करने का आदेश जेलों को दिया जाता है।