पूर्णिया पंचायत, मुखिया चुनाव: पूर्णिया के जलालगढ़ सीमा काली मंदिर पहुंच रहे प्रत्याशी, बोले- मैया सुनी लिहो पुकार, अबकी करी दीहो बेड़ा पार

पूर्णिया पंचायत मुखिया चुनाव बिहार के पूर्णिया जिले के जलागढ़ में प्रत्याशियों के दिल में हार-जीत का डर ऐसा है कि वे अब मतदाताओं से जनसंपर्क करने के बाद माथा टेकने पहुंचे मां काली के दरबार पहुंच रहे हैं...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 05:26 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 05:26 PM (IST)
पूर्णिया पंचायत, मुखिया चुनाव: पूर्णिया के जलालगढ़ सीमा काली मंदिर पहुंच रहे प्रत्याशी, बोले- मैया सुनी लिहो पुकार, अबकी करी दीहो बेड़ा पार
पूर्णिया के जलागढ़ में काली मंदिर पहुंच रहे प्रत्याशी...

संवाद सूत्र, जलालगढ़ (पूर्णिया)। बिहार पंचायत चुनाव: जलागढ़ प्रखंड कार्यालय में नामांकन करने के बाद प्रत्याशी सबसे पहले एनएच 57 स्थित प्राचीन जलालगढ़ सीमा काली मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश करने के साथ ही प्रत्याशियों के समर्थक 'प्रेम से बोलिए काली मैया की जय' के जयकारे लगाना नहीं भूल रहे हैं। विभिन्न पदों के प्रत्याशी नामांकन कक्ष से पैदल ही माता के दरबार तक हाजरी लगाने पहुंच रहे हैं। प्रत्याशी माता के सामने अपना मत्था टेकने के बाद कह रहे हैं, हे मैया सुनी लिहो पुकार, अबकी करी दीहो बेड़ा पार..।

वैसे भी में प्राचीन काली मंदिर का ऐतिहासिक महत्व रहा है। कई वर्षी पूर्व मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। नए पुराने प्रत्याशी नामांकन कराने के बाद माता का आशीर्वाद लेने से नहीं चूक रहें। ऐसी मान्यता है कि माता काली की जो सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं माता उनकी प्रार्थना कभी ओ स्वीकार नहीं करती, उन्हें मनचाहा वरदान देती है। बस मां के प्रति यही प्रेम और आस्था प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को माता के दरबार खींच ला रही है। बच्चे, बूढ़े, युवा हो या फिर महिलाएं हर कोई प्रत्याशी के साथ एक बार माता के दरबार में अपना मत्था जरूर टेक रहे हैं।

माता का आशीर्वाद लेने के बाद प्रत्याशी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं। पूछने पर प्रत्याशी बताते हैं कि माता का आशीर्वाद मिल गया अब राह में कोई बाधा नहीं है, जीत तय है। बस इसी विश्वास के साथ प्रत्याशी और उनके समर्थक माता के दरबार में आना जरूरी समझते हैं। नामांकन के दौरान ऐसा लग रहा है जैसे 10 पंचायतों के लोग प्राचीन काली मंदिर में आकर एकाकार रूप ले रहा हो। कोई मैया को नारियल तो कोई लड्डू का चढ़ावा चढ़ा रही हैं। महिलाएं माता के चरणों के नीचे रखी सिदूर को अपनी मांगों में सजा विजयी तिलक लगा रही है।

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