Jamui, Bihar News : यहां की खेती से दुनिया भर के लोग होंगे रूबरू, बिहार कृषि विवि करा रहा फिल्म की शूटिंग, जानिए क्यों है खास?
Bihar Jamui News जमुई में हो रहे मौसम अनुकूल खेती के बारे में अब दुनिया भर के लोग देख और जान सकेंगे। इसके लिए बिहार कृषि विवि की ओर से शॉर्ट डाक्यूमेंटरी की शूटिंक की जा रही है। जल्द ही इसे रिजिज किया जाएगा।
जमुई [आशीष कुमार चिंटू]। Bihar, Jamui News : जल जीवन हरियाली अंतर्गत संचालित परियोजना जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संसाधन संरक्षण तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है। जमुई एवं सिकंदरा प्रखंड के पांच गांवों में केविके कलस्टर स्थापित कर बड़े स्तर पर खेती कर रहा है। तकनीक से लगी विभिन्न फसलें लहलहा रही है। फसल उत्पादन से जुड़ी हुई पहलुओं को बारीकी से मूल्यांकन के लिए ड्रोन के माध्यम से वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की मीडिया विभाग विभिन्न तकनीक से हुई खेती पर फिल्म तैयार कर रही है। 10 मिनट के इस फिल्म को इंटरनेट मीडिया पर अपलोड किया जाएगा ताकि किसान संसाधन संरक्षण तकनीकों को अपना कर लाभ प्राप्त कर सकें। ड्रोन कैमरे से लगे फसलों को विभिन्न एंगल से शूट किया गया। बताया जाता है कि इस फिल्म के माध्यम से तकनीकों का विशेष अध्ययन किया जाएगा। साथ ही अन्य किसानों को फिल्म दिखाकर जागरूक किया जाएगा। इधर, फिल्म शूटिंग के दौरान खेत में खड़े होकर किसानों ने अपना मंतव्य भी दिया।
मंजोष के किसान अमरजीत सिंह ने बताया कि इस इलाके में कंबाइड हारर्वेस्टर से फसल की कटाई होती है। जिस कारण जीरो टिलेज से बुआई करने में परेशानी होती है। अमरजीत ने हेपी सिडर मशीन की जरूरत बताई। कुंदरी के किसान पंकज सिंह ने बताया कि पहले संशकित थे लेकिन अब उत्साहित हैं। बेड प्लांङ्क्षटग विधि से गेहूं एवं सरसों की खेती को देखने अगल-बगल के गांव सहित अन्य क्षेत्र के किसान पहुंच रहे हैं। केविके के सहयोग से अच्छी उत्पादकता प्राप्त होगी।
बेड प्लांटिंग विधि के फायदे
बेड प्लांटिंग बुआई करने पर 25 फीसद बीज और 40 फीसद पानी की बचत होती है। खरपतवार कम निकलता है। पोषक तत्व पौधे को आसानी से उपलब्ध होता है। सिंचाई करने पर खेत में पानी जमा नहीं हो पाता। पौधे को पर्याप्त नमी मिलती है जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
जीरो टिलेज विधि के फायदे
बिना जुताई बुआई करने की विधि के कारण समय से बुबाई हो जाती है। लाइन से लाइन व पौधे के बीच दूरी बराबर होती है। जिससे सभी पौधों को सूर्य की रोशनी ज्यादा व अधिक समय तक मिलता है। साथ ही फसलों के बीच से हवा का मुक्त आवागमन होता है। जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है। पहले सिंचाई में 27 फीसद तक पानी की बचत होती है। जुताई नहीं होने के कारण खरपतवार कम निकलते हैं व पौधों में पहली सिंचाई के बाद पीलापन नहीं आता है। इस सब कारणों से उत्पादकता में वृद्धि होती है और फसल लागत 22 सौ से 25 सौ रुपया प्रति एकड़ घट जाता है।
बिहार पशु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह के मार्ग दर्शन में केविके द्वारा कलस्टर स्थापित कर जल जीवन हरियाली अंतर्गत तकनीक का प्रदर्शन किया गया है ताकि अन्य किसान भी इसे अपनाएं। इससे उत्पादकता में वृद्धि व लागत खर्च में कमी आती है जिससे किसानों की आमदनी बढ़ जाती है। -डा सुधीर कुमार ङ्क्षसह, केंद्र प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, जमुई।