बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था: सुपौल के इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीज नहीं, रखा जाता है जलावन और भूसा

भवन हुआ जर्जर नहीं आते स्वास्थ्य कर्मी। अब भूसा और जलावन रखने के काम आ रहा स्वास्थ्य केंद्र। लोगों को अनुमंडलीय अस्पताल का है सहारा। सुपौल के जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड अंतर्गत एक उपस्वास्थ्य का हाल ऐसा कि लोग हो जाए बीमार।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 09:59 AM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 09:59 AM (IST)
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था: सुपौल के इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीज नहीं, रखा जाता है जलावन और भूसा
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कालिख पोतता उपस्वास्थ्य केंद्र।

जागरण संवाददाता, सुपौल: अस्पताल का नाम सुनते ही वार्डों में भर्ती मरीज, इलाज करते डाक्टर और तीमारदारी में लगी नर्स आदि दिमाग में तैरने लगते हैं लेकिन जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड अंतर्गत एक उपस्वास्थ्य केंद्र ऐसा है जहां जलावन और भूसा रखा जाता है। भले ही राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र खोले गए लेकिन हकीकत कुछ और ही है। प्रखंड मुख्यालय स्थित बरहकुरवा पंचायत के वार्ड नंबर चार के उप स्वास्थ्य केंद्र में जलावन रखे जाते हैं और कमरे में भूसा रखा जाता है।

इस उप स्वास्थ्य केंद्र में पहले स्वास्थ्य कर्मी नियमित तौर पर आते थे, लेकिन बीते कई वर्षों से कोई नहीं दिखते। इसके कारण लोगों को काफी दिक्कत होती है। वर्तमान में यह उप स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है। भवन की छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। अंदर के कमरों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। कमरों में लगी खिड़की उखड़ चुकी है। उप स्वास्थ्य केंद्र को चालू कराने के लिए ग्रामीणों ने कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मांग की, लेकिन कोई असर होता नहीं दिख रहा है।

ग्रामीण बताते हैं कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कई दशक पूर्व हुआ था। निर्माण के बाद तो कुछ वर्षों तक ठीकठाक चला, लेकिन उसके बाद से आज तक स्वास्थ्य उप केंद्र बदहाल है, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि अगर यह चालू हो जाए तो पंचायतवासियों को छोटी-मोटी परेशानियों में अनुमंडलीय अस्पताल के चक्कर काटने से निजात मिल सकती है। ग्रामीणों ने केंद्र के भवन का जीर्णोद्धार कर डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी के पदस्थापन की मांग की है। अब देखना होगा कि ग्रामीणों की मांग कब तक पूरी होती है। कब इस उपस्वास्थ्य केंद्र के दिन बदलते हैं। कब जिम्मेदार इस ओर रुख करते हैं। 

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