Bihar Assembly Elections 2020 : जोकीहाट में तस्लीमउद्दीन के बेटों के बीच खिंची तलवार

Bihar Assembly Elections 2020 अररिया में विरासत वाली सीट पर दिलचस्प मुकाबला होगा। अब तक 15 विधानसभा चुनावों में दस बार तस्लीमुद्दीन के परिवार का कब्जा रहा है। लेकिन इस बार इस सीट से विधानसभा जाने के लिए उनके दो बेटों के बीच तलवार खिंच गई है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 01:42 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 01:42 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : जोकीहाट में तस्लीमउद्दीन के बेटों के बीच खिंची तलवार
तस्लीमुद्दीन के आसपास रही है सीमांचल की राजनीति।

अररिया, जेएनएन। Bihar Assembly Elections 2020 : सीमांचल के गांधी के नाम से मशहूर थे तस्लीमुद्दीन। यहां की राजनीति हमेशा उनके ही इर्द-गिर्द रही। उन्हें या उनके परिवार को विधानसभा पहुंचाने वाली सुरक्षित सीट है रही है जोकीहाट। अब तस्लीमुद्दीन नहीं हैं और इस सीट से विधानसभा जाने के लिए उनके दो बेटों के बीच तलवार खिंच गई है। उनके पूर्व विधायक बेटे सरफराज आलम और वर्तमान विधायक बेटे शाहनवाज आलम दोनों आपस में ही मुकाबले को तैयार दिख रहे हैं।

दोनों भाई बीते छह माह से खुद को अगला कंडीडेट बताकर लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। खास यह कि राजद से ही चुनाव लडऩे का इरादा रखते हैं। अभी दोनों राजद में ही हैं। ऐसे में दोनों के समर्थक भी असमंजस की स्थिति में हैं। यहां तीसरे चरण में चुनाव है। अभी दोनों भाई पटना में अपने-अपने टिकट के लिए कैंप किए हैं। तेजस्वी किस भाई पर मेहरबान होते हैं इसके बाद दूसरा भाई अगला कदम उठाएगा। वैसे एक भाई जदयू को भी साधे हुए हैं ताकि राजद ने अगर उन्हें टिकट नहीं दिया तो जदयू से टिकट न गड़बड़ाए।

जोकीहाट विधानसभा में 1967 से 2018 तक 15 बार चुनाव हुआ है। इसमें 10 बार तस्लीमुद्दीन और उनके पुत्र यहां से जीते। तस्लीमुद्दीन पांच बार स्वयं विधायक रहे। उनके पुत्र सरफराज चार बार जीते। अभी विधायक हैं शहनवाज आलम। ये भी तस्लीमुद्दीन के ही पुत्र हैं। शाहनवाज 2018 में हुए उपचुनाव में पहली बार विधायक बने।

सरफराज बने सांसद तो हुआ उपचुनाव

2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया सीट से तस्लीमुद्दीन सांसद चुने गए। 17 सितंबर 2017 में सांसद तस्लीमुद्दीन की मौत हो गई। तब तस्लीमुद्दीन के पुत्र सरफराज जदयू से जोकीहाट के विधायक थे। पिता की मौत के बाद अररिया का संसदीय उपचुनाव मार्च 2018 में तय हुआ। सरफराज ने जदयू छोड़ दी और राजद की टिकट पर जीतकर सांसद बन गए। इसके बाद जोकीहाट विधानसभा सीट खाली हुई। इस सीट पर मई 2018 में उपचुनाव हुआ। राजद ने सरफराज के भाई शाहनवाज को टिकट दिया और वे जीते। अब भाइयों में पेंच फंसा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद। मोदी लहर में सरफराज अररिया सीट हार गए। उनके नाम के आगे लगे ओहदों में पूर्व लग गया। इसके बाद से लगातार वे जोकीहाट विधानसभा सीट पर नजर बनाएं हुए हैं। साफ तौर पर कह चुके हैं कि वे विधानसभा चुनाव जोकीहाट से लड़ेंगे ही। वे कह रहे हैं कि यह सीट उन्होंने ही अपने भाई को दी है इसलिए कायदे से उसे वापस कर देना चाहिए। इधर, उनके छोटे भाई अब सीट छोडऩे के मूड में नहीं हैं। वे लगातार क्षेत्र में घूमकर अपने चुनाव लडऩे का एलान कर चुके हैं।

1967- नजीमउद़्दीन- पीएसपी

1969- तस्लीमुद्दीन- आइएनसी

1972- तस्लीमुद्दीन- आइएनडी

1977-तस्लीमुद्दीन- जेएनपी

1980- मोइदुर रहमान- आइएनसी आइ

1985- तस्लीमुद्दीन- जेएनपी

1990- मोइदुर रहमान- आइएनसी

1995- तस्लीमुद्दीन- एसपी

1996 सरफराज- जेडी

2000- सरफराज- आरजेडी

2005 फरवरी- मंजर आलम- जदयू

2005 अक्टूबर- मंजर आलम- जदयू

2010- सरफराज आलम- जदयू

2015- सरफराज आलम-जदयू

2018- शाहनवाज आलम- आरजेडी

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