Bihar Assembly Elections 2020 : रोजगार पर धीरे-धीरे गर्म हो रही सियासत, युवा वोटर ही होंगे निर्णायक की भूमिका में

Bihar Assembly Elections 2020 इस इलाके के युवा मतदाता बेरोजगारी को लेकर ज्यादा सवाल-जवाब नेताओं से कर रहे हैं। सतारुढ़ दल के नेता स्टार्टअप स्टैंडप योजना गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत रोजगार दिलाने का भरोसा दे रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 09:24 AM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 09:24 AM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : रोजगार पर धीरे-धीरे गर्म हो रही सियासत, युवा वोटर ही होंगे निर्णायक की भूमिका में
कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद काफी संख्‍या में प्रवासी अपने-अपने क्षेत्र में लौट गए।

भागलपुर [संजय सिंह]। Bihar Assembly Elections 2020 : विकास के साथ-साथ विरोधी पार्टियां बेरोजगारी को भी चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी है। लेकिन, हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोसी, पूर्व बिहार और सीमांचल इलाके में रेल और दूसरी अन्य परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास की है। लोगों में विकास की उम्मीदें तो जगी है। यदि विकास होता तो गरीबी दूर होगी। लेकिन, इस इलाके के युवा मतदाता बेरोजगारी को लेकर ज्यादा सवाल-जवाब नेताओं से कर रहे हैं। सतारुढ़ दल के नेता स्टार्टअप, स्टैंडप योजना, गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत रोजगार दिलाने का भरोसा दे रहे हैं। गरीब कल्याण रोजगार अभियान से पूर्व बिहार, कोसी, और सीमांचल जिलों के 41.63 लाख प्रवासी जुड़ेंगे। रेलवे की ओर से पहले फेज में 125 दिनों का काम दिया जाएगा। 31 अक्टूबर तक इन्हेंं काम मिलेंगे। इसके बाद दूसरे फेज में भी इन्हेंं रोजगार दिए जाएंगे। इस फैसले से प्रवासियों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्हें तत्काल अभी रोजगार के लिए वापस लौटना नहीं पड़ेगा। इन प्रवासियों को पारिश्रमिक भुगतान के लिए रेलवे ने मोटे फंड भी स्वीकृत कर दिया है।  

जैसा हुनर वैसा काम

गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासियों को रेलवे क्रॉसिंग, रेलवे स्टेशनों के लिए संपर्क मार्ग का निर्माण, मरम्मत, रेल पटरी मरम्मत, रेलवे ट्रैक किनारे झाडिय़ों की छंटनी, रेलवे की जमीन पर पेड़-पौधे लगाने जैसे कार्यों में लगाए जाएंगे। रेलवे का मानना है कि वापस लौटे लाखों प्रवासी में रेलवे कार्य को लेकर उतनी जानकारी नहीं है, इस वजह से सुरक्षा और संरक्षा से जुड़े काम न देकर उनकी रूचि को देखते हुए काम दिए जाएंगे।

पूर्व बिहार से पलायन करने वालों की संख्या कम

कोसी और सीमांचल का इलाका भी हर साल प्राकृतिक आपदा की वजह से तंग-तबाह होता है। यहां रोजगार के अवसर भी कम हैं। परिणामस्वरूप यहां के लोग रोजगार के लिए दूसरों राज्यों में पलायन करते हैं। यहां रोजगार का दर 35-40 फीसद है। आर्थिक सशक्तीकरण के इस दौर में विकास के साथ-साथ अब युवा वोटर अपनी भविष्य और रोजगार की चिंता करने लगे हैं।

हर चुनाव में रोजगार का मुद्दा

रोजगार का मुद्दा कोई नया नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा पुरजोर तरीके से उठा था। कटिहार के जूट उद्योग में जान लाने की कोशिश अब तक सफल नहीं हो सका है। खगडिय़ा, बांका में फूड प्रोसिंग का मामला भी अधर में है। कटिहार, जमुई, मधेपुरा, सुपौल, मुंगेर जैसे जिलों में चुनावी तैयारी में घूम रहे सत्ता पक्ष और विपक्ष नेताओं से अब रोजगार को लेकर सवाल-जवाब किए जाने लगे हैं। इस चुनाव में युवाओं की भूमिका किसी को जिताने और हराने में महत्वपूर्ण होगी।

जिले में युवा वोटरों की संख्या

भागलपुर-4.69 लाख

कटिहार- 5.2 लाख

अररिया-3.98 लाख

पूॢणया-

बांका-3.43 लाख

खगडिय़ा-2.76लाख

सुपौल- 3.64 लाख

सहरसा-3.36 लाख

किशनगंज-2.87 लाख

मधेपुरा - 7.3 लाख

जमुई-2.34 लाख

मुंगेर- 1.99 लाख

लखीसराय-1.54लाख

इन जिलों में आए प्रवासी

भागलपुर-63962

कटिहार-141944

अररिया-100973

पूर्णिया -96948

बांका-76693

खगडिय़ा-70449

सुपौल-64356

सहरसा-63898

किशनगंज-53793

मधेपुरा-51449

जमुई-33645

मुंगेर- 39645

लखीसराय-23838

-बिहार के लोगों को रोजगार की जरूरत ज्यादा है। रोजगार के अवसर भी घटे हैं। सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि सभी लोगों को सरकारी स्तर रोजगार मुहैया कराया जाए। ऐसी स्थिति में स्व-रोजगार की संभावना पैदा करनी होगी। -प्रो. आरडी शर्मा, अर्थ शास्त्री।  

मुख्‍य बातें

-पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचाल में 41.63 लाख लौटे थे कामगार

-लॉकडाउन में कामगारों को लेकर लौटी थी करीब 379 श्रमिक स्पेशल

-युवा वोटर ही इस बार भी होंगे निर्णायक की भूमिका में

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