30 अक्टूबर को बिहार विधानसभा उपचुनाव, अबकी कौन बनेगा तारापुर की आंखों का तारा?
बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की गई है। मुंगेर की तारापुर सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सक्रियता पहले से ही तेज थी। मेवालाल चौधरी के निधन के बाद से खाली इस सीट पर पिछली बार 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। बिहार पंचायत चुनाव के दरम्यान ही बिहार विधानसभा उपचुनाव को कराया जाएगा। इलेक्शन कमीशन की ओर से रिक्त हुई विधानसभा सीट पर 30 अक्टूबर को मतदान कराने का निर्णय लिया गया है। मुंगेर की तारापुर विधानसभा सीट पर चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब लोगों की नजर इस ओर है कि कौन सी पार्टी से कौन उम्मीदवार चुनावी मैदान में होगा। पिछली बार जनता ने जीत का सेहरा मेवालाल चौधरी के सिर बांधा था। यहां ये भी बता दें कि पिछले चुनाव में राजद की टिकट पर दिव्य प्रकाश चुनावी मैदान में थी। दिव्य प्रकाश पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश नारायण यादव की बेटी हैं। वे दूसरे नंबर पर रहीं थीं। 7200 वोटों से मेवालाल ने दिव्य प्रकाश को मात दी।
इस बार जदयू ने फिर से अपना झंडा बुलंद करने का आह्वान किया है। दरअसल, हाल के दो महीनों पर नजर घुमाएं तो जदयू के कई दिग्गज नेता तारापुर का रुख कर चुके हैं। यही नहीं, खुद सीएम नीतीश कुमार अपने करीबी रहे दिवंगत मेवालाल चौधरी के आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उपचुनाव को लेकर मुंगेर से दैनिक जागरण संवाददाता रजनीश बताते हैं कि ग्राउंड पर जदयू से तीन, राजद से दो और लोजपा से एक उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश करते दिखाई दे रहे हैं और इसकी चर्चा तेज है। हालांकि, शीर्ष नेतृत्व किसपर भरोसा जताता है, ये देखने वाली बात होगी।
रजनीश ने बताया कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में चिराग पासवान का दौरा है, उसी वक्त क्लियर होगा लोजपा से कौन खड़ा होगा। आम आदमी पार्टी भी अपना प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर चुकी है। पिछले चुनाव में तारापुर से 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।
तारापुर विधानसभा 2020 चुनाव: प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार
पढ़ें: Hot Seat बन गया मुंगेर का तारापुर, क्या कुछ कहता है इतिहास?
रजनीश ने बताया कि पिछले चुनाव में चूंकि उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) गठबंधन के साथ थी और तारापुर से इस गठबंधन से रालोसपा समर्थित उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारा गया था। अबकि कुशवाहा की पार्टी का जदयू में विलय हो गया है। तो कुछ नया देखने को मिलेगा। जदयू इस सीट को अपनी परंपरागत सीट मानती है क्योंकि 2010 से अब तक जदयू का तीर यहां मछली की आंख भेदता रहा है। कुल मिलाकर उपचुनाव में इस बार कांटे की टक्कर होनी तय मानी जा रही है।