राजद को माई तो जदयू को लव-कुश से उम्‍मीद, कांग्रेस और चिराग बढ़ाई मुश्किल, Tarapur assembly by-election analysis

Tarapur assembly by-election analysis ब‍िहार में हो रहे विधानसभा उपचुनाव पर राजद को माई समीकरण और वैश्य वोट पर भरोसा है। जदयू को लव-कुश एकता से काफी उम्‍मीद है। कांग्रेस ने अगड़ी जाति का उम्मीदवार बनाया है। चिराग पासवान ने सभी की की मुसीबत बढ़ा दी है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:41 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:41 AM (IST)
राजद को माई तो जदयू को लव-कुश से उम्‍मीद, कांग्रेस और चिराग बढ़ाई मुश्किल, Tarapur assembly by-election analysis
विधानसभा उपचुनाव के दौरान मतदाताओं को किया जागरूक।

भागलपुर [संजय सिंह]। तारापुर की विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीख ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, त्यों-त्यों सत्ता संग्राम की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद चुनाव प्रचार की यहां कमान संभालेंगे। नीतीश के आने के बाद राजद समर्थकों का मानना है कि पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद भी सत्ता संग्राम में कूद सकते हैं। फिलहाल यहां राजनीति के धुरंधरों की फौज तैनात है। लाखों की चमचमाती गाडिय़ां तारापुर विधानसभा क्षेत्र में घूमती फिर रही हैं।

तारापुर विधानसभा क्षेत्र में तीन लाख 28 हजार मतदाता हैं। ये 30 नवंबर को 406 मतदान केंद्रों पर अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। राजद प्रत्याशी को अपने माई समीकरण के अलावा वैश्य वोट पर भरोसा है। उधर, जदयू को लव-कुश एकता को अपना आधार वोट मान रहा है। कांग्रेस ने अगड़ी जाति के राजेश मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। लोजपा प्रत्याशी चंदन सिंह ने इन तीनों प्रमुख दलों की मुसीबत बढ़ा दी है। यह माना जा रहा है कि इस चुनाव में पंचपौनिया (कई उपजातियां) वोटरों की निर्णायक भूमिका है। इन्हें रिझाने के लिए उसी जाति के नेताओं को हर दल ने लगा रखा है। अब इसका प्रभाव कितना पड़ेगा, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

तारापुर के राजेश यादव कहते हैं कि यहां ना तो सुशासन का नारा चल रहा है और ना ही जंगलराज का दुष्प्रचार। मतदाता लगभग अपना मन बना चुके हैं। कुनबाई वोटों को समेटने की तैयारी हर राजनीतिक दल द्वारा की जा रही है। जो जितना वोट समेट पाएगा, जीत उसी की होगी। इसके लिए जरूरी है कि वोटरों को एग्रेसिव वोटिंग के लिए जागरूक किया जाए। इस बार का परिणाम एग्रेसिव वोटिंग पर ही निर्भर करेगा। यहां के मनोज राम कहते हैं कि यहां से तीन बार जदयू के विधायक रहे। बिजली, पानी और सड़क के अलावा कोई भी नेता अपनी उपलब्धि को नहीं गिना पाते। इस इलाके में उद्योग की अपार संभावनाएं हैं।

इधर, दुकानदारों का कहना है कि कांवरिया पथ डायवर्ट होने के बाद उनका रोजगार मंदा हो गया था, लेकिन उपचुनाव में नेताओं और समर्थकों की भीड़ से उनका व्यवसाय फिर चमक उठा है। इन्होंने बताया कि कांवरिया पथ हटने के बाद पहली बार तारापुर में इतना शोर-शराबा दिख रहा है। इतने नेताओं की फौज तो विधानसभा चुनाव में भी नहीं दिखी थी, जितनी उपचुनाव में दिख रही है। मतदाता अपनी चुप्पी बरकरार रखे हुए हैं। कई मतदाता ऐसे भी हैं, जो सभी राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। ऐसे मतदाता सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को वोट देने का आश्वासन भी देते हैं।

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