Bihar Politics: तारापुर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम से चिंतित हैं चिराग पासवान, अब कहां सुरक्षित ठिकाना तलाशेंगे जमुई MP?

Bihar Politics लोजपा (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान चिंतित हैं। विधानसभा उपचुनाव 2021 परिणाम आने के बाद तारापुर उपचुनाव परिणाम ने उनके लिए खतरे की घंटी बजा दी है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चिराग ने यहां से काफी मतों के अंतर से चुनाव जीता था।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 06:35 PM (IST) Updated:Wed, 10 Nov 2021 08:54 PM (IST)
Bihar Politics: तारापुर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम से चिंतित हैं चिराग पासवान, अब कहां सुरक्षित ठिकाना तलाशेंगे जमुई MP?
बिहार के जमुई लोकसभा सीट के सांसद चिराग पासवान।

जमुई [अरविंद कुमार सिंह]। Bihar Politics: तारापुर विधानसभा उपचुनाव परिणाम ने जमुई सांसद चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। खासकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से रिश्तों में खटास आने के बाद लोजपा (रामविलास) खेमें में चिंता की लकीरें उभर आई है। ऐसे में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि चिराग पासवान जमुई में राजनीतिक भविष्य दांव पर लगाने से परहेज करेंगे और सुरक्षित ठिकाना की तलाश इनके लिए बेहतर होगा। वैसे चिराग और उनके समर्थक जमुई लोकसभा क्षेत्र को संसदीय राजनीति में मां का दर्जा देते रहे हैं और मां से बेटा के दूर होने के सवाल को सिरे से खारिज भी करते रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी की बदली हुई परिस्थितियों में चिराग का अगला कदम क्या होता है।

बहरहाल तारापुर विधानसभा उपचुनाव परिणाम और वोटों के समीकरण के लिहाज से चिराग के लिए सुरक्षित सीट की तलाश राजनीतिक मजबूरी होगी। यहां यह बताना लाजमी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान को तारापुर विधानसभा क्षेत्र में 93 हजार 264 की मत मिले थे। उन्होंने 37 हजार 941 मतों से राजद गठबंधन के प्रत्याशी भूदेव चौधरी को शिकस्त दी थी। विधानसभा चुनाव 2020 और विधानसभा उपचुनाव 2021 में चिराग ने एकला चलो का रास्ता अख्तियार किया। परिणाम दोनों ही वार निराशाजनक रहा। यह दीगर बात है कि विधानसभा चुनाव 2020 में तारापुर से लोजपा प्रत्याशी सम्मानजनक स्थिति में रहे और तकरीबन 11 हजार मत हासिल किया था।

तारापुर उपचुनाव ने चिराग की उम्मीद पर पानी फेर दिया। इस चुनाव में उनके प्रत्याशी 5350 मत पर ही सिमट गए। वैसे चिराग के लिए संतोष की बात यह है कि राजद और लोजपा (रामविलास) को प्राप्त मत जोड़कर जदयू प्रत्याशी से बढ़त हासिल कर रहा है। हालांकि राजनीतिक प्रेक्षक राजद को प्राप्त मत में वैश्य समाज से प्रत्याशी होने के कारण एनडीए का आधार वोट भी जुड़े होने की बात बता रहे हैं। उक्त आंकड़े वैश्य वोट खिसकने के बाद राजद और एनडीए के बीच बड़ा फासला हो जाएगा जो किसी भी सूरत में चिराग खेमा के लिए सुखद नहीं है।

हालांकि राजनीति में ऊंट कब किसका करवट बैठेगा इसका अंदाजा अभी से लगाना मुश्किल है। लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं इस बीच राजनीतिक समीकरण बनने और बिगड़ने पर सब कुछ निर्भर होगा। लेकिन इतना तो तय है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में नीतीश कुमार के रहते चिराग की वापसी संभव प्रतीत नहीं होती।

अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी नहीं है सुखद स्थिति 

जमुई संसदीय लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत जमुई जिले के चार (सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई) तथा शेखपुरा और तारापुर को मिला कर छह विधानसभा क्षेत्र शामिल है। छह में एक मात्र सीट शेखपुरा पर राजद के विजय सम्राट का कब्जा है। विधानसभा चुनाव 2020 में झाझा और चकाई में नजदीकी मुकाबला हुआ था। हालांकि चकाई में जदयू और निर्दलीय विधायक सुमित के मतों को जोड़कर राजद का आंकड़ा काफी पीछे हो जाता है। जमुई विधानसभा क्षेत्र राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का गढ़ रहा है। यह क्षेत्र राजद प्रत्याशी के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है।

जमुई लोकसभा क्षेत्र के पुनः अस्तित्व में आने के बाद से हमेशा से एनडीए प्रत्याशी की ही जीत होती रही है। पहली बार जदयू के टिकट पर भूदेव चौधरी ने 2009 के चुनाव में सुधांशु शेखर को परास्त कर जीत हासिल किया था। दूसरी और तीसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चिराग पासवान को विजय का माला मतदाताओं ने पहनाया था। लोकसभा चुनाव 2019 में तो चिराग ने 2 लाख 48 हजार 55 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। 

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