मन, कर्म और आचरण से पवित्र होकर करें ईश्वर की भक्ति

ईश्वर की भक्ति मन कर्म और आचरण से पवित्र होकर करने की जरूरत है। भक्ति में पवित्रता होने पर भगवान भक्तों के बिल्कुल करीब होते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 01:54 AM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 06:17 AM (IST)
मन, कर्म और आचरण से पवित्र होकर करें ईश्वर की भक्ति
मन, कर्म और आचरण से पवित्र होकर करें ईश्वर की भक्ति

भागलपुर। ईश्वर की भक्ति मन, कर्म और आचरण से पवित्र होकर करने की जरूरत है। भक्ति में पवित्रता होने पर भगवान भक्तों के बिल्कुल करीब होते हैं। ये बातें गोशाला में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को प्रवचन के दौरान कृष्ण प्रिया जी महाराज ने कही।

उन्होंने कहा कि भगवान अवतार लेते हैं, पर हम मनुष्य का जन्म कर्म के आधार पर होता है। भगवान कर्म के बंधन में नहीं होते हैं। वे सभी कार्य अपने मन से करते हैं। कथा के पूर्व महाआरती का आयोजन हुआ। मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष श्रवण कुमार बाजोरिया ने आचार्य कृष्ण प्रिया जी महाराज को अंग वस्त्र प्रदान कर उनका स्वागत किया। प्रवक्ता चांद झुनझुनवाला ने कहा कि कथा वाचिका कृष्ण प्रिया जी सात वर्ष की उम्र से कथा कर रही हैं। कार्यक्रम की सफलता में जगतगुरु सेवा समिति, नारायण सेवा संस्था और गोशाल प्रबंध समिति के सदस्य अपना योगदान दे रहे हैं।

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देवी बाबू धर्मशाला : प्रतिभावान बच्चों को आगे बढ़ाएं समाज के समृद्ध लोग

जागरण संवाददाता, भागलपुर : परिवार में किसी ज्ञानी व विवेकी पुरुष का जन्म होना, उस परिवार के लिए सम्मान का पात्र बनता है। ये बातें श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन गुरुवार को देवी बाबू धर्मशाला में प्रवचन के दौरान शिवम विष्णु पाठक जी ने कही।

उन्होंने कहा कि प्रतिभावान को धनी व्यक्ति आगे बढ़कर सहयोग करें। उन्होंने श्रोताओं को राम के नाम की महत्ता की जानकारी दी। कथा के दौरान वामन अवतार की झांकी भी प्रस्तुत की गई, जिसे देख भक्तगण भाव विभोर हो गए।

------------------- न्यू शिवपुरी कॉलोनी आत्म कल्याण के लिए हर व्यक्ति को सोचने की जरूरत

जासं, भागलपुर : हर व्यक्ति की सोच सकारात्मक होनी चाहिए, जब सोच अच्छी होती है तो हर काम में कामयाबी मिलती है। उक्त बातें गुरुवार को न्यू शिवपुरी कॉलोनी हवाई अड्डा में चल रहे भगवत कथा के दौरान अर्चना कुमारी सिंह ने कही।

उन्होंने कहा, आत्म कल्याण के लिए हर मनुष्य को सोचने की जरूरत है। उन्होंने कृष्ण जन्म की झांकी के साथ उनके बाल्यावस्था की कथा विस्तार से सुनाई।

कथा को सफल बनाने में समाज की रिकू देवी, सुनीता मिश्रा, मंजू, कलावती, सरिता, सुमित्रा, पुतुल, गीता, इंदु, प्रवीण झा, डीके सिंह, मुन्ना, भवेश, अजीत एवं रतन सहित अन्य अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

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