भागलपुर पंचायत चुनाव 2021: घोघा में मुखिया, सरपंच व पंचायत समिति के चुनावी जंग में देवरानी-जेठानी आमने-सामने, आठ को होगा मतदान

भागलपुर पंचायत चुनाव 2021 कहलगांव प्रखंड में आठ दिसंबर को होने वाले चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। सभी प्रत्‍याशी चुनाव प्रचार में जुटे हैं। घोघा में एक पद पर परिवार के दो सदस्‍य आमने सामने हैं। ऐसे में यहां पर मुकाबला...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 12:02 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 12:02 PM (IST)
भागलपुर पंचायत चुनाव 2021: घोघा में मुखिया, सरपंच व पंचायत समिति के चुनावी जंग में देवरानी-जेठानी आमने-सामने, आठ को होगा मतदान
भागलपुर पंचायत चुनाव 2021: कहलगांव प्रखंड में चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है।

संवाद सूत्र, घोघा। कहलगांव प्रखंड में आठ दिसंबर को होने वाली पंचायत चुनाव को लेकर गांव घरों में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। प्रत्याशी जोर शोर से चुनावी प्रचार प्रसार करने लगे हैं साथ हीं साथ जनसंपर्क कर मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं ।

- घोघा पंचायत से मुखिया पद के लिए पूर्व परिवहन राज्य मंत्री की दो पुत्रवधू चुनावी जंग में एक दूसरे को दे रही हैं टक्कर

- जानीडीह पंचायत से पंचायत समिति पद के लिए जेठानी के खिलाफ देवरानी ने ठोकी ताल

- जानीडीह पंचायत में सरपंच की पगड़ी के लिए बड़ी गोतनी के खिलाफ छोटी गोतनी उतरी मैदान में

- चुनावी पलड़े के मापदंड पर कहीं हल्का तो कहीं भारी होने लगे रिश्ते

- धर्म संकट में रिश्तेदार व करीबी मतदाता, कई रिश्तों में कड़वाहट का हुआ बीजारोपण

दिलचस्प पहलू ये है कि चुनावी दंगल को लेकर कई घरों का राजनीतिक तापमान काफी बढ़ गया। एक हीं पद के लिए घर से दो-दो महिला प्रत्याशी मैदान में आमने सामने होकर एक दुसरे को चुनौती दे रही हैं।

घोघा पंचायत से मुखिया पद हेतु पूर्व परिवहन राज्य मंत्री (बिहार) महेश मंडल की दो पुत्रवधू च्रानी देवीच् व च्सविता देवीच् चुनावी दंगल मे आमने-सामने है। वहीं जानीडीह पंचायत उत्तरी से पंचायत समिति पद के लिए मधु देवी व पिंकी देवी दो गोतनी आमने सामने हो गई है तथा सरपंच की पगड़ी के लिए जानीडीह पंचायत से जेठानी च्लवली भूषणच् को शिकस्त देने के लिए देवरानी च्माधुरी कुमारीच् चुनावी मैदान में पुरे जोश के साथ गर्जना कर रहीं हैं।

धर्म संकट : प्रत्याशी के रिश्तेदार व करीबी मतदाता के लिए धर्मसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहॉ अपने पराये का होने लगा आकलन । चुनावी पलड़े के मापदंड पर कहीं हल्का तो कहीं भारी होने लगे रिश्ते।

पॉच वर्षों में होने वाली सियासी त्योहार (पंचायत चुनाव) में कई रिश्ते बनते और बिगड़ते है । कहीं जख्मों पर मरहम लगती है तो कहीं पुराने जख्में कुरेदी जा रही है,तो कहीं रिश्तों में दरार पैदा होती नजर आ रही है । एक हीं आंगन में दो प्रतिद्वंदी सियासी चाल से एक दुसरे को मात देने में लगे हुए है। नैतिकता के साथ साथ पारिवारिक व समाजिक समरसता का भाव सियासी त्योहार में समाप्त होती नजर आ रही है। 

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