50 हजार की पूंजी से खड़ा किया 5 करोड़ रुपये का कारोबार, प्रतिवर्ष करते हैं सवा दो लाख इनकम टैक्‍स जमा, जानिए

मधुमक्‍खी पालन 200 से अधिक युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं बिहपुर के संजय। किसानों को मधुमक्खी पालन करने के लिए कर रहे प्रोत्साहित। दो लाख 25 हजार रुपये प्रतिवर्ष कर रहे इनकम टैक्स जमा। इससे आर्थिक उन्‍नति होता है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 10:38 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 10:38 AM (IST)
50 हजार की पूंजी से खड़ा किया 5 करोड़ रुपये का कारोबार, प्रतिवर्ष करते हैं सवा दो लाख इनकम टैक्‍स जमा, जानिए
मधुमक्‍खी पालन व्‍यवसाय से जुड़े संजय कुमार।

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। बिहपुर प्रखंड के अमरपुर निवासी संजय ने 50 हजार की पूंजी से पांच करोड़ का कारोबार खड़ा कर दिया। मधुमक्खी पालन कर वे उन्नति की राह चढ़ रहे हैं। वर्तमान में वह दो लाख 25 हजार रुपये इनकम टैक्स जमा कर रहे हैं। पारंपरिक खेती में फायदा होता नहीं देख उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर मधुमक्खी पालन शुरू किया था। अब वे किसानों को मधुमक्खी पालन को लेकर प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्हें प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। अभी तक वे 200 से अधिक युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा चुके हैं। आज उनकी गिनती उन्नत किसानों में होने लगी है।

2010 में शुरू किया मधुमक्खी पालन

संजय कुमार 2007 में परंपरागत खेती व गाय पालन के अलावा किराने की दुकान चलाते थे। इससे उनके घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चलता था। इसी बीच लीची के बगीचे में उनकी मुलाकात मुजफ्फरपुर से आए मधुमक्खी पालक छोटू यादव से हुई। उनसे उन्हेंं मधुमक्खी पालन से होने वाले फायदा की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने सबौर कृषि कॉलेज में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया। पूसा कृषि विश्वविद्यालय में कीट विभाग के वैज्ञानिक रामाश्रृति के मार्गदर्शन में मधुमक्खी के विकास के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की। शहद तैयार कर उसे सरलता से बेचने तक की जानकारी ली।

संजय बताते हैं कि उन्होंने 2010 में उद्यान विभाग की योजना प्राप्त कर 50 हजार रुपये बैंक से लेकर मधुमक्खी पालन शुरू किया। कई जिलों में जाकर जीविका समूह व कई कंपनियों के बड़े-बड़े अधिकारियों एवं विभागों के लोगों से मिलकर शहद उत्पादन के क्षेत्र में सफलता की सीढ़ी चढ़ता गया।

बताते हैं वैज्ञानिक विधि

संजय मधुमक्खी युक्त बक्से के साथ खेतों व बगीचों पूरी वैज्ञानिक विधि से जानकारी भी देते हैं। जिन्हें प्रशिक्षण देते हैं, उनसे उत्पादित शहद भी खरीद लेते हैं, ताकि उन्हेंं बाजार में बेचने की समस्या न रहे। इनके प्रयोग को देखते हुए राज्य सरकार ने पूरे राज्य के मधुमक्खी पालकों को अनुदान पर बॉक्स उपलब्ध कराने का जिम्मा सौंपा है। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) की ओर से मधुमक्खी पालन व प्रसंस्करण द्वारा स्वरोजगार सृजन विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी प्रशिक्षण देते हैं।

राज्यपाल व मुख्यमंत्री से हो चुके सम्मानित

गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन के लिए संजय को 60 से अधिक अवार्ड व सम्मान जिले, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मिल चुका है। सबौर कृषि विश्वविद्यालय में तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन व राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार के अलावा वानिकी के क्षेत्र में संजय के द्वारा किए जा रहे प्रयास के लिए सूबे के सीएम नीतीश कुमार व पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सम्मानित किया है।

कैसे तैयार होता है शहद

एक बक्से में पांच से सात हजार मधुमक्खियां रहती है। इसमें एक रानी मधुमक्खी और कुछ ड्रोन नर मधुमक्खी व वर्कर मधुमक्खियां रहती हैं। फूल के समय आमतौर पर जनवरी व फरवरी से मई तक खेतों व बगीचों में बक्से रखे जाते हैं। तीन किमी की रेंज में मधुमक्खियां फूलों से रस लाकर बक्से के छत्ते में भरती हैं। एक दिन में रानी मधुमक्खी पंद्रह सौ से दो हजार अंडे देती है। वर्कर मधुमक्खियां अपने पंख से लाए रस को झेलते हुए पानी सुखाती है और मधु तैयार होता है। संजय बताते हैं कि लीची, केला, सरसों, वन तुलसी, धनिया, जामुन, सहजन, तार, चिकना, खेसारी के अलावा 90 फीसद जिन पौधों में फूल होता है उससे शहद प्राप्त होता है।

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