धार्मिक स्थलों में चढ़ाए गए फूल अब फेंके नहीं जाएंगे, जानिए.. इस आस्था के फूल का क्या उपयोग होगा
भागलपुर क्षेत्र के धार्मिक स्थलों पर प्रतिदिन 10 से 12 क्विंटल फूल और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। खाद बनाने के लिए गंगा बेसिन में जमीन तलाशी जा रही है। अबतक फूल बेलपत्र या अन्य पूजन सामग्री का निस्तारण अमूमन कूड़ों के ढेर या निर्जन जगहों पर किया जाता है।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। अंग नगरी के धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं के चढ़ाए गए आस्था के फूल अब फेंके नहीं जाएंगे। इन्हें बर्बाद करने के बजाय इनसे जैविक खाद बनाई जाएगी, जो फसलों की उपज में बढ़ोतरी करेगी। इसे लेकर योजना बनाई जा रही है।
इसके लिए एमआरएफ, यानी मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर बनाने की योजना शहर में बन रही है। योजना के तहत सभी धार्मिक स्थलों से निस्तारित फूल-पत्तों को एकत्रित कर उसे सेंटर पर लाया जाएगा। इसके बाद इसे रिसाइकल कर इनसे खाद बनाई जाएगी। इसके लिए ब्लू प्रिंट भी तैयार किया गया है। इसमें बेंगलुरु और पुणे के तकनीकी विशेषज्ञों से भी सहयोग से लिया है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन से प्रभावित उप महापौर अंग प्रदेश में इस महत्वाकांक्षी योजना को मूर्त रूप देने के पूर्व जल्द प्रधानमंत्री से भी मिलने वाले हैं।
10 से 12 क्विंटल रोज चढ़ते हैं फूल और बेलपत्र : अंग नगरी के धार्मिक स्थलों पर रोजाना 10 से 12 क्विंटल फूल और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। अब इनसे खाद बनाने के लिए गंगा बेसिन में जमीन तलाशी जा रही है। अबतक धार्मिक स्थलों पर चढ़ाए जाने वाले फूल, बेलपत्र या अन्य पूजन सामग्री का निस्तारण अमूमन कूड़ों के ढेर या निर्जन जगहों पर किया जाता है। आजकल पूजा के फूलों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का भी काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता मिशन से प्रभावित होकर इस योजना को आकार दिया जा रहा है। जल्द ही आस्था के फूलों से स्वच्छता का सपना अंग नगरी में भी साकार होगा। - राजेश वर्मा, उपमहापौर, भागलपुर