'लॉक' हुए हम तो चहक उठे नवरंग और काला बुज्जा

लॉकडाउन ने गंगा दियारा समेत जिले के आसपास की फिजा ही बदल दी है। माहौल शात रहने से परिदे फुदकने-चहकने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 May 2021 04:09 AM (IST) Updated:Sat, 22 May 2021 04:09 AM (IST)
'लॉक' हुए हम तो चहक उठे नवरंग और काला बुज्जा
'लॉक' हुए हम तो चहक उठे नवरंग और काला बुज्जा

भागलपुर। लॉकडाउन ने गंगा दियारा समेत जिले के आसपास की फिजा ही बदल दी है। माहौल शात रहने से परिदे फुदकने-चहकने लगे हैं। कई जगह पेड़ों के झुरमुट में इन परिदों की अठखेलिया देखी जा सकती है। साथ ही कुछ ऐसे भी पक्षियां दिखने लगीं हैं, जो अब तक यहां कभी नहीं दिखी थी। इसमें नवरंग और काला बुज्जा प्रमुख है। ये पक्षियां जगदपुर झील के पास देखी गई हैं।

बीएनएचएस के एजुकेशन असिस्टेंट दीपक कुमार ने इसे अपने कैमरे में कैद किया है। उन्होंने बताया कि जगतपुर झील के पास 22 की संख्या में काला बुज्जा को देखा गया। इसके साथ ही नवरंग को नवगछिया के पकरा गांव में बिहार में पहली बार देखा गया है। इसे अपने कैमरे में गंगा प्रहारी स्पियर हेड ज्ञान चंद ज्ञानी ने अपने कैमरे में कैद किया है। रेस्क्यू सेंटर में नौ गरुड़ और एक मोर

सुंदरवन स्थित गरुड़ सेंटर में अभी फिलहाल दस गरुड़ और एक मोर है। इनकी उचित देखभाल की जा रही है। गरुड़ को कदवा दियारा से घायल अवस्था में लाया गया है। सेंटर के केयर टेकर मो. अख्तर ने बताया कि इनकी नियमित देखभाल की जा रही है। समय पर भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, मोर को बबरगंज इलाके से रेस्क्यू कर लाया गया है। वहीं, कछुआ रेस्क्यू सेंटर में अभी फिलहाल 16 कछुआ है। कोरोना काल में प्रकृति ने बढ़ाई हमारी समझ

कोरोना महामारी के इस संकट काल में हम खुद को कैसे सुरक्षित करें। कम संसाधनों में बेहतर जीवन यापन करें यह समझ प्रकृति ने बढ़ा दी है। लोग अब ऑक्सीजन के लिए पीपल और बरगद जैसे पेड़ लगा रहे हैं। लॉकडाउन से पर्यावरण भी शुद्ध हुआ है। वातावरण में शोर कम हुए हैं जिस वजह से जीव जंतु भी खुद को सहज महसूस कर रहे हैं। गागेय डॉल्फिन पर अब भी संकट बरकरार

गंगा में लगातार बढ़ते प्रदूषण और उसके सीमा क्षेत्र में बेरोकटोक हो रहे अतिक्रमण ने इसकी धारा को भी अवरुद्ध करना शुरू कर दिया है। इसके पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे छेड़छाड़ से गंगा में गाद के टीले बन रहे हैं। पानी का प्रवाह कम होने से गागेय डॉल्फिन पर भी खतरा मंडराने लगा है। उद्विलाव और कछुआ जैसे जीव जंतु पर भी संकट के बादल छाए हुए हैं। हालांकि भागलपुर के आसपास डॉल्फिन को अटखेलियां करते आप अब भी देख सकते हैं, लेकिन इस पर खतरा बरकरार है। समाजसेवी ने पीएम को लिखा पत्र

पर्यावरण प्रेमी सुनील कुमार सिंह ने जैव विविधता की सुरक्षा के लिए पीएम से आग्रह किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। संक्रमित शवो को गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं। इस संक्रमण से गंगा में फल-फूल रहे जीव जंतुओं में भी कोट

हम प्रकृति के प्राणी हैं। जैव विविधता पर ही हमारा जीवन संभव है। इसे संतुलित बनाए रखने के लिए पौधारोपण एवं उसका संरक्षण कर प्रकृति का सिंगार करने की जरूरत है। हमारी संस्था जियो इस दिशा में वर्षो से धरती पर हरियाली बढ़ाने में लगी है। अब इसका असर भी दिखने लगा है। लोग भी जागरूक हुए हैं। -डॉ केडी प्रभात, संस्थापक जिओ संस्था। कोरोना काल ने लोगों को जैव विविधता के महत्व को समझा दिया है। हम तेजी से प्रकृति की ओर मुड़ रहे हैं। जैव विविधता के बीच पाए जाने वाले गिलोय, बाकस, नीम और पीपल आदि का जीवन मे क्या महत्व है फिर से लोग इसको समझने लगे हैं। जड़ी बूटी के दुकानों पर लगी लोगों की भीड़ इस बात को प्रमाणित करता है। -अरविंद मिश्रा, संस्थापक मंदार नेचर क्लब।

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