सुपुर्द-ए-खाक हुए हसन मानी, श्रद्धांजलि देने को लगा तांता

भागलपुर। शहर के शाह मार्केट स्थित खानकाह पीर दमडिया भागलपुर के चौदहवें सज्जदानशीं मौल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 12:12 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 12:12 PM (IST)
सुपुर्द-ए-खाक हुए हसन मानी, श्रद्धांजलि देने को लगा तांता
सुपुर्द-ए-खाक हुए हसन मानी, श्रद्धांजलि देने को लगा तांता

भागलपुर। शहर के शाह मार्केट स्थित खानकाह पीर दमडिया भागलपुर के चौदहवें सज्जदानशीं मौलाना सैय्यद शाह हसन मानी नदवी सोहरवर्दी कादरी का शनिवार की देर रात एक बजकर 30 मिनट पर निधन हो गया। वह एक सप्ताह से बीमार चल रहे थे। हसन मानी अपने पीछे भरापूरा खानदान छोड़ गए हैं। पत्नी के अलावा दो बेटा और चार बेटियां हैं। जिनमें बड़े बेटे सैय्यद शाह फखरे आलम हसन, जिन्हें हसन मानी ने 28 फरवरी 2021 को अपनी जिन्दगी में ही 15वां सज्जादनशीं बनाया था।

हसन मानी खानकाह के सज्जादानशी के पद पर 3 जुन 2005 से 17 अप्रैल 2021 तक रहे। उन्हें उनके पिता मौलाना सैय्यद शाह शरफ आलम नदवी से बैअत व एजाजत मिली थी। इसके अलावा इन्हें सिलसिला चिश्चिया आशरफिया से भी इजाजत मिली थी।

सैयद शाह हसन मानी की अंतिम यात्रा उनके आवास से खलीफाबा़ग की मस्जिद के बगल तक रविवार को ईशा की नमाज के बाद निकाली गई। जनाजे में सैकड़ों लोग शामिल हुए। नमाजे जनाजा रात 8 बजे खलीफाबा़ग मे अदा की गई। इसके बाद सुपूर्दे खाक किया गया।

अंतिम दर्शन को लगा रहा तांता

सैयद शाह हसन मानी के अंतिम दर्शन को सुबह से ही लोगों का तांता लगा रहा। उनके निधन की सूचना मिलते ही समाजसेवी, प्रबुद्धजनों व उनके चाहने वालों का जमावड़ा रहा। यहां पहुंचकर लोगों ने शोक संवेदना भी व्यक्त की। साथ ही उनके साथ बिताए हुए पल को याद किया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर फोटो टैग कर श्रद्धांजलि दी। प्रबुद्धजनों ने कहा कि सैयद हसन मानी एक धार्मिक गुरु होने के साथ-साथ सेक्यूलर मिजाज वाले व्यक्ति थे। यही कारण था कि जब भी अपने यहां कोई कार्यक्रम किया करते थे, उसमें सभी धर्म के लोगों को बुलाते थे। रेशमी शहर में अमन शांति को लेकर अमिट पहचान भी बनाई। उनके निधन के बाद शाह मार्केट बाजार पूरी तरह से बंद रहा।

शैक्षणिक सफर

हसन मानी की शिक्षा पहले शाह मार्केट के मदरसे से हुई। इसके बाद 1963 में दारूल उलूम लखनऊ में दाखिला लिया। वहां से 1969 में अलीगढ़ से अर्बिक में एमए किया। फिर दिल्ली के जेएनयू और जामिया में भी तालीम हासिल की। इसके बाद हसन मानी ने तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए और इसके बाद एलएलबी भी किया। मानी साहब ने मुंबई से कंप्यूटर प्रोग्रामिग का भी कोर्स किया। इसके बाद सऊदी सरकार के सुरक्षा मंत्रालय में 3 साल तक अपनी सेवा दी। वहां से वापसी का बाद भागलपुर के खलीफाबाग में मैंनेजमेंट एंड टेक्निकल इन्स्टीट्यूट खोली। जिसे दो साल चलाने के बाद निजी हाथों में सौंप दिया। इस कंप्यूटर सेंटर में अभी भी लोग लाभ ले रहे हैं। सैयद हसन मानी ने एक दर्जन से ज्यादा देशों का दौरा किया है। इनमें अमेरिका, रूस, सिगापुर, इंडोनेशिया, जापान आदि शामिल है।

हसन मानी ने तीन बार हज यात्रा की। जिसमें से एक बार सऊदी अरब सरकार की ओर से शाही मेहमान बनकर गए। उन्होंने अब तक कई किताबें लिखीं हैं। जिनमें से चार किताब प्रकाशित हो चुकी है। जबकि अभी एक दर्जन किताबें प्रकाशित होना बाकी है।

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