भागलपुर नगर निगम: ट्रेड लाइसेंस ने 100 करोड़ के व्यापार पर लगाया ब्रेक

भागलपुर नगर निगम नगर निगम ने जारी किया है 1200 से अधिक ट्रेड लाइसेंस 110 आवेदन दो माह से लंबित। प्रतिदिन 15 से 20 व्यापारी निगम में लाइसेंस और नवीकरण कराने को पहुंच रहे। व्यवसायी और औद्योगिक क्षेत्र को ट्रेड लाइसेंस के बिना नहीं मिल रहा बैंक से लोन।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 10:09 AM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 10:09 AM (IST)
भागलपुर नगर निगम: ट्रेड लाइसेंस ने 100 करोड़ के व्यापार पर लगाया ब्रेक
नगर निगम की कुव्यवस्था से व्यवसायिक गतिविधि की रफ्तार को रोक रखा है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहरी क्षेत्र में लॉकडाउन ने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की कमर तोड़ दी है। बदहाल व्यापार में सुधार और नए व्यवसाय को गति देने के लिए बैंक से आर्थिक सहयोग की अेार देख रहे है। लेकिन, नगर निगम की कुव्यवस्था से व्यवसायिक गतिविधि की रफ्तार को रोक रखा है। निगम द्वारा एक अप्रैल से ट्रेड लाइसेंस जारी नहीं किया गया। इससे 100 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है। रोजगार के लोगों को ट्रेड लाइसेंस की आवश्यकता है। इस लाइसेंस के आधार पर ही बैंक से ऋण निर्गत किया जाता है।

निगम में करीब 110 के करीब आवेदन लंबित हैं। अगर यह निर्गत होता तो छोटे रोजगार और उद्योग खड़े होते। नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस के लिए प्रतिदिन 15 से 20 लोग लाइसेंस नवीकरण और नए लाइसेंस निर्गत कराने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। इसमें सोमवार को नगर निगम में वारसलीगंज के मनोज मल्लिक बांस का डलिया और सूप आदि बनाने के लिए ट्रेड लाइसेंस का आवेदन करने पहुंचे। शाखा प्रभारी से गुहार लगाते हुए कहा कि बैंक से एक लाख रुपये का ऋण लेना है। इसके बैंक ट्रेड लाइसेंस मांग रहा है। इसके कारण ऋण नहीं मिल रहा। लेकिन शाखा प्रभारी ने कहा कि विभाग से आदेश का इंतजार है। इसके बाद ही बनेगा। यह सुनते ही निराश लौटना पड़ा।

ट्रेड लाइसेंस की व्यवसाय में आवश्यकता

व्यवसाय के लिए बैंक में करंट अकाउंट खोलने के लिए ट्रेड लाइसेंस अनिवार्य है। इसके बिना व्यवसायी को बैंक से व्यवसायिक ऋण निर्गत नहीं किया जाता है। जीएसटी के लिए आवेदन में ट्रड लाइसेंस जरुरी है। दुकान का बीमा, इएसआइ, पीएफ, व फुड लाइसेंस व मापतौल से निबंधन और लाइसेंस लेने के लिए ट्रेड लाइसेंस आवेदन के साथ जमा करना होता है।

इन व्यवसाय के लिए ट्रेड लाइसेंस अनिवार्य

विवाह भवन, धर्मशाला, पेट्रोल पंप, कारखाना, मेडिकल, निजी अस्पताल, आटा चक्की, मिठाई की दुकान, मॉल, राशन-किरासन की दुकान, सिमेंट छर्री, आभूषण की दुकान, खाद्यान्न दुकान, रेस्टोरेंट, होटल, छात्रावास, कोचिंग, स्कूल, सिनेमा हॉल, एजेंसी व कंस्ट्रक्सन कंपनी आदि।

यह नहीं है लाइसेंस के दायरे में

नगर निगम द्वारा मांस, मछली की दुकान अल्होकल, तंबाकू, पॉलिथिन कैरीबैग, और आरओ प्लांट के लिए लाइसेंस निर्गत नहीं करता है।

ये है लाइसेंस का निर्धारित शुल्क

नगर निगम पेशाकर के लिए ट्रेड लाइसेंस जारी करता है। इसके लिए दो प्रकार का लाइसेंस निर्गत करता है। इसमें 10 लाख रुपये से अधिक के व्यवसाय के लिए 2500 रुपये और 10 लाख रुपये से कम के व्यवसाय पर 1000 रुपये प्रति वर्ष लिया जाता है।

लाइसेंस निर्गत करने में व्यवधान

नगर निगम के ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी निरंजन मिश्रा ने बताया कि नगर विकास एवं आवास विभाग ने ई-म्यूनिसिपल पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन टेड लाइसेंस निर्गत किया जाता था। लेकिन एक अप्रैल से कंपनी से करार समाप्त होने के बाद निगम में ट्रेड लाइसेंस का कार्य बंद है। विभाग से पोर्टल की अवधि नहीं बढ़ाए जाने के कारण व्यवधान हुआ है। निगम की ओर से विभाग को पत्राचार किया गया है। आदेश मिलने के बाद ट्रेड लाइसेंस का कार्य शुरू हो पाएगा। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए मेयर को सुझाव दिया गया है कि निगम अपना साफ्टवेयर व पोर्टल बनाकर तत्काल लाइसेंस निर्गत कर सकते हैं। सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक निगम को ट्रेड लाइसेंस से 11 लाख रुपये का राजस्व दिया गया है।

फर्जी ट्रेड लाइसेंस की चल रही जांच

नगर निगम में दिसंबर 2020 में फर्जी तरीके से ट्रेड लाइसेंस जारी करने का मामला तत्कालीन नगर आयुक्त जे. प्रयदर्शनी के समक्ष सामने आया। उन्हेांने जांच का आदेश दिया , लेकिन कुछ दिनों के बाद उनका स्थानांतरण प्रोन्नति के साथ हो गया। अब तक 65 से अधिक ऐसे ट्रेड लाइसेंस के मामले आए है जिनका रजिस्ट्रर में कोई लेखा-जोखा नहीं है। अब टीम गठित कर 30 जून तक जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

12 हजार से दुकान, लाइसेंस से बाहर

शहरी क्षेत्र के 51 वार्डों में करीब 12 हजार से अधिक दुकान व व्यवसायिक प्रतिष्ठान व छात्रावास सहित कोचिंग संस्थान है। लेकिन निगम से सिर्फ 1200 व्यवसायिक प्रतिष्ठानों ने ट्रेड लाइसेंस लिया है। लाइसेंस नहीं लेने से निगम के राजस्व् को करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसको लेकर डेढ़ वर्ष पहले निगम ने कवायद शुरू की थी। तहसीलदारों को वार्डों में सर्वे कर दुकानों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। ताकि इन्हें लाइसेंस के जद में लाया जा सके।

निगम के ट्रेड लाइसेंस जारी नहीं करने से व्यवसाय प्रभावित हुआ है। बैंक से ऋण और जीएसटी नंबर आदि लेने की समस्या है। अगर बैंक से ऋण मिलता तो करीब 100 करोड़ का व्यवसाय बढ़ सकता था। -अभिषेक जैन, खाद्यान्न व्यवसायी संघ के उपाध्यक्ष सह चेंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारिणी सदस्य

नगर आयुक्त से ट्रेड लाइसेंस का कार्य बंद होने की जानकारी ली जाएगी। अगर विभाग के स्तर से परेशानी है तो पत्राचार किया जाएगा। - सीमा साहा, मेयर

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