कोरोना मरीजों की जेब पर निजी अस्पताल डाल रहे डाका

जिले में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन के लिए सरकार ने राशि तय की है। जिले को बी ग्रेड में रखा गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 06:02 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 06:02 AM (IST)
कोरोना मरीजों की जेब पर निजी अस्पताल डाल रहे डाका
कोरोना मरीजों की जेब पर निजी अस्पताल डाल रहे डाका

भागलपुर। जिले में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन के लिए सरकार ने राशि तय की है। जिले को बी ग्रेड में रखा गया है। सरकार ने दो दर तय की है जिसमें नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर से मान्यता वाले नर्सिग होम का सरकारी दर सामान्य से थोड़ा ज्यादा है लेकिन सामान्य नर्सिग होम में प्रतिदिन न्यूनतम 64 सौ से 12 हजार तक राशि तय की गई है। मजेदार तो यह है कि सिविल सर्जन की तरफ से हर नर्सिंग होम में तय राशि की सूचना भी चिपका दी गयी है। बावजूद, इसके तय राशि से ज्यादा राशि ली जा रही है।

भागलपुर के एक चिकित्सक ने कोरोना संक्रमित मां और बहनोई का नर्सिग होम में भर्ती कराया था। मां को 10 दिन और बहनोई को 16 दिनों तक भर्ती रखना पड़ा। चिकित्सक ने अपना और नर्सिग होम का नाम उजागर करने की शर्त पर बताया कि प्रतिदिन बेड का 12 हजार और दवा के अलग से तीन हजार रुपये लिया गया। इसके अलावा प्रतिदिन पैथोलॉजी जांच के लिए दो से चार हजार रुपये लिए जाते थे। अगर सिटी स्कैन करवाया जाता था तो 6,500 रुपये अलग से देने पड़ते थे। दोनों मरीजों में करीब पांच लाख रुपये खर्च हुए। मां के इलाज में करीब डेढ़ लाख रुपये का बिल देना पड़ा। बहनोई में ढ़ाई लाख खर्च हुए। पैथोलॉजी, सिटी स्कैन और खर्च के नाम पर एक लाख से रुपये लगे। हालांकि हम खुद चिकित्सक है इसलिए थोड़ी रियायत दी गई।

तीन दिन पहले एक युवक ने अपने पिता को नर्सिंग होम से मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया था। युवक ने बताया कि महज एक दिन में नर्सिग होम में 20 हजार रुपये खर्च हो गए। स्थिति में सुधार नहीं होने पर फिर मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया। युवक ने बताया कि नर्सिग होम कुछ किया भी नहीं। सामान्य मरीजों के साथ रख दिया। वहां इलाज की व्यवस्था समझ न आई तो हमने मायागंज में जाने की बात कही तो उन लोगों ने एक दिन बिल इतना दे दिया। उसमें चिकित्सक के देखने का भी चार्ज 800 रुपये लिया गया था।

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कोट :

नर्सिग होम में ज्यादा राशि लेने की शिकायत नहीं मिली है। जांच करने गई स्वास्थ्य विभाग की टीम को भी मरीज के स्वजन ज्यादा पैसे लेने की जानकारी नहीं देते हैं। अगर लिखित शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।

डॉ उमेश शर्मा, सिविल सर्जन कोट :

अगर नर्सिग होम ज्यादा राशि ले रहे हैं तो जांच करना जिला प्रशासन की जिम्मेवारी है। इसमें आइएमए कुछ नहीं कर सकता। आइएमए पहले नर्सिग होम के संचालकों से मानवता की खातिर ज्यादा राशि नहीं लेने की अपील कर चुका है।

डॉ संदीप लाल, अध्यक्ष, आइएमए

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