Bhagalpur Assembly Seat 2020: भाजपा की चुनावी नैया पर फिर सवार हुए बागी, किया-वंशवाद का विरोध

चुनाव की तारीख घोषित होते ही कोसी सीमांचल और पूर्वांचल की प्रमुख सीटों पर गतिविधियां तेज हो गई है। भागलपुर सीट इस क्षेत्र की चर्चित है। यहां भाजपा का माहौल बदल गया। वैसे तो हर चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदलते रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 08:43 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 08:43 AM (IST)
Bhagalpur Assembly Seat 2020: भाजपा की चुनावी नैया पर फिर सवार हुए बागी, किया-वंशवाद का विरोध
अर्जित शाश्‍वत चौबे, पवन गप्‍त, चंदन ठाकुर और रोहित पांडेय।

भागलपुर, जेएनएन। भागलपुर विधानसभा सीट पर वैसे तो हर चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदलते रहे हैं, लेकिन पिछले छह में से पांच चुनाव भाजपा के लगातार जीतने के कारण इसे भाजपा की प्रभाव वाली सीट मानी जाती है।

यह सीट 1990 से ही भाजपा के पास है। अश्विनी कुमार चौबे यहां 1995 से 2010 तक लगातार जीतते रहे हैं, लेकिन 2014 में उनके सांसद बन जाने के बाद यहां हुए उपचुनाव में यह सीट भाजपा के कब्जे से निकलकर कांग्रेस की झोली में चली गई। इसके कांग्रेस की झोली में जाने के कई कारण गिनाए जाते हैं। उनमें पार्टी के भीतर गुटबाजी भी एक कारण रहा। हालांकि सबकुछ पर्दे के पीछे से हुआ। उसमें भाजपा प्रत्याशी नभय चौधरी हार गए थे। हारने के बाद यहां तक कहा गया कि एक गुट ने खुद को मजबूत करने के लिए चुनाव हराने की भूमिका निभाई थी। इसके बाद वर्ष 2015 में पार्टी ने प्रत्याशी बदला। अर्जित शाश्वत चौबे को अपना उम्मीदवार बनाया। वह भागलपुर के पूर्व विधायक व मौजूदा केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र हैं। इसे देख पार्टी में लंबे समय से टिकट की आस में बैठे कुछ कार्यकर्ता गोलबंद हुए और उन्होंने बगावत का बिगूल फूंक दिया। उन्हीं कार्यकर्ताओं में से विजय साह का नाम उभर कर आया। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए नामांकन कर दिया। विजय साह के समर्थन में कुछ आरएसएस से जुड़े लोग भी शामिल हो गए। इसके बाद पार्टी में बगावत शुरू हो गई। जब संगठन के उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने इस खाई को पाटने की कोशिश की। भाजपा के राष्ट्रीय नेता सौदान सिंह ने पहले बागियों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे किसी की सुनने को तैयार नहीं हुए। फिर खुद भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी हस्तक्षेप किया और खुद भागलपुर पहुंचे। उन्होंने भी प्रयास किया लेकिन बगावत समाप्त नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने विजय साह सहित एक दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया। हालांकि उस निष्कासन का कोई फायदा नहीं हुआ। बागी चुनावी मैदान में डटे रहे। नतीजा यह हुआ कि भाजपा यहां से पिछला विधानसभा चुनाव हार गई और यहां की सीट कांग्रेस की झोली में चली गई। अजीत शर्मा फिर से भागलपुर से विधायक चुने गए।

बागियों ने अपने तेवर हुए तल्ख

इस बार फिर बागियों ने अपने तेवर तल्ख कर लिए है। बगावत की डोर थामे अपनी आवाज बुलंद कर रहे पवन गुप्ता का कहना है कि हमारा विरोध पार्टी को लेकर नहीं है, लेकिन वंशवाद को लेकर जरूर है। यहां वर्षों से कार्यकर्ता पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्हें भी चुनाव लडऩे का अधिकार है। यदि पार्टी उन पर विचार नहीं करेगी तो हम अपनी आवाज बुलंद करेंगे और यहां से निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा करेंगे।

परिवार के कई सदस्य एक ही पार्टी में काम करे तो इसे वंशवाद नहीं कहेंगे

वहीं भाजपा नेता चंदन ठाकुर का कहना है कि चुनाव के समय इस तरह की बातें होती रहती हैं। कई लोगों को नाराजगी होती है लेकिन उस नाराजगी को दूर कर लिया जाता है। जो गलतियां पिछले चुनाव में हुई हैं अबकी प्रयास होगा कि वैसी गलतियां दुबारा न हों। इसके लिए प्रयास जारी है। जहां तक वंशवाद का सवाल है, परिवार के कई सदस्य यदि एक ही पार्टी में सक्रिय हों और उन्हें टिकट मिले तो वंशवाद की कोई बात नहीं कही जा सकती है। ये सब बेबुनियाद बाते हैं।

टिकट का फैसला संसदीय बोर्ड करती है

पार्टी में फूट रहे बगावत के सुर के मुद्दे पर भागलपुर के भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय का कहना है कि टिकट का फैसला संसदीय बोर्ड को करना होता है। पार्टी जिसे टिकट देगी। हम सभी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है उसे चुनाव जिताने के लिए कार्य करें। बागियों को मनाने के लिए बातचीत की जा रही है। मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा भरोसा है कि सभी मिलकर संगठन और पार्टी के लिए काम करेंगे। इस बार यहां से भाजपा के सिर ताज सजेगा।

भागलपुर विधानसभा से भाजपा ही लड़ेगी चुनाव

यहां बता दें कि पिछले दिनों भाजपा के बिहार प्रदेश प्रवक्‍ता प्रेम रंजन पटेल ने स्‍पष्‍ट कह दिया था कि भागलपुर भाजपा की परंपरागत सीट है। यहां से भारतीय जनता पार्टी के ही उम्‍मीदवार ही चुनाव लड़ेंगे। राजग (NDA) के किसी भी सहयोगियों को यह सीट नहीं दी जाएगी।

chat bot
आपका साथी