पूर्णिया के बसंत यादव किसानों के सच्चे मित्र, वर्मी कंपोस्ट तैयार कर सुधार रहे खेतों की सेहत
यूं तो केंचुओं को किसानों का मित्र कहा जाता है। इन्हीं केंचुओं से खाद तैयार कर किसानों के खेत की सेहत सुधारी जा रही हो तो कंपोस्ट तैयार करने वाला भी किसानों का सच्चा मित्र ही कहलाएगा। पूर्णिया के बसंत यादव ऐसा ही कुछ कर रहे हैं....
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। खेतों में रसायनिक खाद और कीटनाशक के अधिक इस्तेमाल से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। पूर्णिया मधुबनी के वसंत यादव वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं और अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। इससे आय भी होती है और फसल की गुणवत्ता के साथ पर्यावरण का बचाव भी होता है। मिट्टी गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ पर्यावरण के लिए घातक हो रहा है। रसायनिक खाद के इस्तेमाल से कई स्तर पर नुकसान होता है। इससे ना केवल मिट्टी बल्कि प्राणी मात्र पर भी दुष्प्रभाव होता है। मानव के साथ जल - जमीन रहने वाले जीव-जंतु भी इसके दुष्प्रभाव के गिरफ्त में आते हैं। मानव और पर्यावरण स्वास्थ्य भी इसकी गिरफ्त में आ जाता है।
बसंत यादव पिछले एक दशक से वर्मी कंपोस्ट केंचुए से तैयार कर रहे हैं। यही जैविक खाद के इस्तेमाल के लिए लोगों को भी प्रेरित करते हैं। रसायनिक खादों और कीटनाशकों के प्रयोग से केंचुओं की संख्या कम हो रही है। इससे मिट्टी की उर्वरा क्षमता भी खत्म हो रही है। केंचुआ खाद को वर्मी कंपोस्ट भी कहते हैं जो पोषण पदार्थों से पूर्ण है और एक बेहतर जैव उर्वरक है। बसंत बताते हैं की चार हजार से अधिक केंचुआ की प्रजाति है लेकिन दो तरह का केंचुआ आम तौर पर जैविक खाद तैयार करने में उपयोगी है। इसमें ऐसीनिया फोटिडा ( लाल केंचुआ) और युड्रिलय युजीनी (भूरा गुलाबी केंचुआ) है।
बसंत खाद तैयार करने के लिए ऐसीनिया फोटिडा का सहारा लेते हैं। इससे एक हजार क्विंटल जैविक खाद तैयार कर लते हैं। इसमें 24 से 35 एकड़ जमीन के लिए पर्याप्त जैविक खाद मिल जाता है। किसानों के बीच इस खाद के पहुंचने से मिट्टी की गुणवत्ता बच सकती है। बसंत यादव बताते हैं कि वर्मी कंपोस्ट से पैदावार भी अच्छी होती है और मिट्टी की उर्वरता भी संरक्षित रहती है। बेस्ट सामग्री और गोबर का उपयोग कर केंचुए की मदद से कई टन जैविक खाद तैयार किया जा सकता है। कीटनाशक के लिए वसंत वर्मी वाष्प भी तैयार कर रहे हैं। सामान्य गोबर से तैयार खाद की जगह इस केंचुआ से तैयार खाद का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते है। यह महज दो माह में तैयार किया जा सकता है। इस खाद में सामान्य गोबर की खाद की तुलना में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश पाया जाता है। यह जमीन के लिए उपयोगी है। इससे फसल के गुणवत्ता में सुधार होता है। वर्मी कंपोस्ट में बदबू नहीं होता है और इससे पर्यावरण भी दूषित नहीं होता है।